10 मई 2025 को आधी रात के बाद 2:30 बजे, इस्लामाबाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के घर की खामोशी को एक फोन कॉल तोड़ देती है. लाइन पर दूसरी तरफ हैं – पाकिस्तान आर्मी चीफ आसिम मुनीर. उनकी आवाज में दहशत और बेचैनी है.
‘जनाब… चकलाला पर हमला हुआ है.’
नूर खान एयरबेस… पाकिस्तान का सबसे पुराना और सबसे अहम एयरबेस जल रहा था. ये कोई सांकेतिक स्ट्राइक नहीं थी… ये सटीक हमला था और बेहद घातक था. भारत ने वो कर दिखाया जो पहले कभी सोचा भी नहीं गया था.
नूर खान एयरबेस पाकिस्तान के VIP ट्रांसपोर्ट प्लेन, खुफिया एसेट्स और स्पेशल एयर यूनिट्स का ठिकाना है. दशकों तक ये जगह परमाणु ठिकाने की आड़ में सुरक्षित थी, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया. जो शुरुआत में आतंकियों के अड्डों पर हमले से शुरू हुआ, वो इस ऐक्शन से सीधा रावलपिंडी के लिए एक कड़ा संदेश बन चुका था.
रुबिका लियाकत कहती हैं,
‘हम दशकों से न्यूज की एंकरिंग कर रहे हैं, पहले भी जंग और तनाव कवर कर चुके हैं. हमने ऐसा पहले कभी नहीं देखा. जैसे न्यूक्लियर पॉलिसी को नए सिरे से लिखा जा रहा था. एक देश को, जो आतंक का पनाहगाह है, उसे खुलकर चेतावनी दी जा रही थी. हम इतिहास को अपनी आंखों के सामने बनते हुए देख रहे थे.’
9 मई की रात जैसे-जैसे बीत रही थी, 10 मई की सुबह कुछ ऐसा लेकर आई, जिसकी पाकिस्तान में सेना की रणनीति बनाने वालों ने कल्पना भी नहीं की थी. भारत की एयरफोर्स ने बिना रुके, पूरी ताकत से दोबारा हमला कर चुकी थी. और इस बार पहले से भी कहीं ज्यादा घातक हमला था.
पहली स्ट्राइक ने नूर खान एयर बेस को निशाना बनाया था. लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई. कुछ ही घंटों में पाकिस्तान के सबसे अहम मिलिट्री ठिकाने, एक-एक कर टारगेट किए गए. मुरीद, रफीकी, सरगोधा, चकलाला… ये वो एयरबेस हैं जिन्होंने 1971 के बाद कभी जंग नहीं देखी थी और ये ताबड़तोड़ सटीक बमबारी का निशाना बन रहे थे. जैसे समय के साथ एक अनकहा समझौता हुआ था कि इन हवाई अड्डों को नहीं छेड़ा जाएगा, लेकिन अब वो अनकहा समझौता धूल में मिल चुका था.
एयर मार्शल एके भारती कहते हैं, ‘हमने दुश्मन के चप्पे-चप्पे को निशाना बनाया है.’
इस्लामाबाद में चिंता अब डर में बदल चुकी थी. थके-हारे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सुबह 4 बजे एक आपातकालीन सुरक्षा बैठक में पहुंचे. एक के बाद एक रिपोर्ट्स आती गईं– पाकिस्तान के एयरबेस लगातार निशाना बनाए जा रहे थे. करीब दर्जनभर ठिकानों पर बहुत ही प्लैनिंग से हमले हुए थे. ये 1971 के बाद पहली बार हुआ था, पाकिस्तान की एयर पावर पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी थी, एयर डिफेंस की कमजोरी बेनकाब हो चुकी थी.
आसिम मुनीर ने वो स्वीकार किया, जिसे अब छिपाया नहीं जा सकता था. ये कोई छोटा-मोटा झगड़ा नहीं था. ये भारत की नई मुहिम थी, संदेश साफ था, छेड़ोगे तो सिर्फ छोड़ेंगे नहीं, बल्कि कहीं का नहीं छोड़ेंगे. थरथरा रहे पाकिस्तान की हवाई सीमाएं अब उसकी रक्षा नहीं कर पा रही थीं.
अमिश देवगन कहते हैं,
अब इससे इनकार करना मुश्किल था कि भारत ने पाकिस्तान की फौज को जबरदस्त तरीके से चोट पहुंचाई थी और मुनीर की सेना की फजीहत हो चुकी थी. हमारे पास जो सैटेलाइट इमेजेज थीं, उनसे साफ पता चल रहा था कि पाकिस्तान ने चंद घंटों में ऐसी तबाही देखी कि भारत के DGMO से गुजारिश की जा रही थी कि हमले रोके जाएं… जनरल मुनीर की चाल उलटी पड़ गई थी… अगर उनके पास समय को पीछे ले जाने का मौका होता… तो शायद वो पहलगाम की भयानक आतंकी वारदात को रोक लेते… लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी.
पहलगाम पर हुआ हमला वो ‘रेड लाइन’ था, जिसे पाकिस्तान ने पार कर लिया था.
7 मई, आधी रात के बाद 1 बजे… ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू होता है. भारतीय जेट ने पाकिस्तानी रेडार को चकमा दिया और PoK के साथ साथ पाकिस्तान के अंदर 9 आतंकी अड्डों पर सटीक हमले को अंजाम दिया. बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद, भिंबर, गुलपुर, सियालकोट, चक अमरू, कोटली और बाघ. मकसद साफ था, PoK और पाकिस्तान में आतंक के ढांचे को पूरी तरह तबाह करना.
‘पहलगाम अटैक के बाद दो हफ्तों तक हम इसी पल का इंतजार कर रहे थे. हमने रातों-रात कॉन्टिजेंसी टीमें तैनात कर दी थीं, जो लगातार अलर्ट पर थीं और उन्होंने सबसे पहले ब्रेकिंग न्यूज दीं. इस बार की स्ट्राइक बिल्कुल सोची समझी थी, जो हुआ, वो किसी ने नहीं सोचा था… बालाकोट के समय ‘प्रूफ’ की जो बहस हुई थी, इस बार कोई शक की गुंजाइश ही नहीं थी. कुछ ही मिनटों में हमें बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर हुए हमले की पहली तस्वीरें मिलीं… और यही वो पल था जिसने उस रात को इतिहास बना दिया.’
किशोर अजवानी, मैनेजिंग एडिटर न्यूज18 इंडिया
सिर्फ 40 मिनट के अंदर, आतंकवादियों के कई लॉन्चपैड के साथ ही जैश और लश्कर के हेडक्वॉर्टर तबाह कर दिए गए. लेकिन ये सिर्फ पहलगाम के जवाब में बदले की कार्रवाई नहीं थी. ये भारत की सैन्य नीति में एक बड़ा बदलाव था. बालाकोट के समय सिर्फ एक आतंकी ठिकाने को निशाना बनाया गया था लेकिन इस बार PoK से पाकिस्तान तक आतंकियों के अहम ठिकानों को तबाह किया गया था. ये कहीं ज्यादा ताकतवर हमला था और उतना ही खतरनाक. 100 से ज्यादा आतंकियों का खात्मा किया गया जिसमें जैश, लश्कर और हिज्बुल के टॉप कमांडर शामिल थे.
भारत की रणनीतिक और सैन्य ताकत अब दुनिया के सामने खुलकर सामने आ चुकी थी. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को एक नया रूप मिला, जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीन नाम सामने आए
कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिसरी.
भारत ने दुनिया को बताया- ‘हमने पाकिस्तान में आतंक के दिल पर वार किया है. सबूत दुनिया के सामने हैं.’
22 अप्रैल 2025, पहलगाम. जो अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, मासूमों के खून से लाल हो गया. 26 भारतीयों को बेदर्दी से मार डाला गया. उन्हें सिर्फ भारतीय होने के लिए नहीं, बल्कि उनके धर्म के लिए निशाना बनाया गया. ये हमला नहीं था… ये नफरत का एक पैग़ाम था और दिल्ली ने वो नफरती पैग़ाम सुन लिया था.
News18 इंडिया के विशेष संवाददाता अमित पांडे कहते हैं,
हम जो दिल्ली में केंद्र सरकार की खबरों पर नजर रखते हैं, हमें तुरंत समझ में आ गया कि ये हमला यूं ही नहीं हुआ. ये उस वक्त हुआ जब अमेरिकी वाइस प्रेसिडेंट जेडी वेंस भारत दौरे पर थे. पहले भी ऐसे मौके आए हैं जब अमेरिकी डेलिगेशन के वक्त भारत पर हमले हुए हैं… लेकिन इस बार कुछ अलग था.
हमें पता था, मौजूदा सरकार ऐसे संकटों पर कैसे रिएक्ट करती है. और हमें यकीन था कि PM मोदी रियाद से लौटने की प्लैनिंग शुरू कर चुके होंगे…’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ ही घंटों में सऊदी अरब से भारत लौट आए. सुबह तक, साउथ ब्लॉक में कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी यानी CCS की बैठक शुरू हो चुकी थी. जो फैसले आमतौर पर बंद कमरों में फुसफुसाकर लिए जाते हैं, वो खुलकर सामने थे. गृह मंत्री अमित शाह को पहले वाले दिन ही श्रीनगर और पहलगाम भेज दिया गया. भारत सिर्फ शोक नहीं मना रहा था… भारत ऐक्शन में था. 7 मई को जो कार्रवाई हुई, उसने इस्लामाबाद को हिला कर रख दिया. LoC पर कुछ ही घंटों में भारी हलचल शुरू हो गई थी.
8 मई की शाम. पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में ड्रोन और मिसाइल अटैक की कोशिश की, निशाने पर थे भारत के 14 सैन्य ठिकाने. लेकिन हर एक हमले को भारतीय डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया. इंटीग्रेटेड डिफेंस ग्रिड और S-400 सिस्टम ने बेहद सटीक काउंटर अटैक से पाकिस्तान के हर हमले को हवा में ही नेस्तनाबूद कर दिया… तीनों सेनाओं के प्रमुख, एक स्पेशल कंट्रोल रूम से इस पूरे डिफेंस ऑपरेशन को लीड कर रहे थे. अब ये भारत का अपना ‘आयरन डोम’ बन चुका है.
जम्मू-कश्मीर में News18 इंडिया के विशेष संवाददाता रिफत अब्दुल्ला बताते हैं,
ऑपरेशन सिंदूर के कुछ मिनट बाद ही, हम सब ‘वॉर जोन’ से रिपोर्टिंग करने के लिए मेंटली तैयार थे… लेकिन जो हमने देखा, वो हमारी रिपोर्टिंग के करियर में पहले कभी नहीं हुआ…’
जब बॉर्डर और लाइन ऑफ कंट्रोल पर हलचल तेज हो रही थी, दिल्ली में डिप्लोमैटिक हलचल बहुत तेजी से चल रही थी. विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सऊदी और ईरानी विदेश मंत्रियों से मुलाकात की. संदेश सीधा था – ‘भारत जवाब दे चुका है. अगर पाकिस्तान आगे बढ़ा, तो हम ऐक्शन से हिचकेंगे नहीं’ भारत का पश्चिमी देशों को मैसेज हमेशा से साफ रहा है – अपने बचाव का हक, भारत कभी नहीं छोड़ेगा.
इसके ठीक उलट, पाकिस्तान की डिप्लोमैसी पूरी तरह नाकाम रही… उनके मंत्रियों ने वेस्टर्न मीडिया में जाकर और ज्यादा शर्मिंदगी झेली… सबको पता है कि पाकिस्तान की सियासत अब उनके हाथ में नहीं रही… लेकिन उनके नेताओं ने जो फजीहत करवाई, वो अभूतपूर्व थी… कुछ बयान तो ऐसे थे जिन्हें सुनकर होश उड़ जाएं…
अमीश देवगन, मैनेजिंग एडिटर, News18 UP-UK
9 मई को पाकिस्तान ने हमले और तेज किए. उत्तर में लेह से लेकर दक्षिण में सर क्रीक तक, 300 से 400 ड्रोन लॉन्च किए गए. भारत के एयर डिफेंस सिस्टम आकाशतीर ने आसमान को आतिशबाजी से भर दिया. तुर्की से आए ड्रोन देखे गए और तुरंत इंटरसेप्ट कर लिए गए. जवाबी कार्रवाई में भारत ने हेरोप लॉटरिंग ड्रोन तैनात किए जो पाकिस्तान की सीमा के अंदर जाकर उनके कंट्रोल पोस्ट्स को तबाह कर रहे थे.
अब तक हम समझ चुके थे कि ये लंबा चलेगा… नए भारत ने ऐसा युद्ध पहले कभी टीवी पर लाइव नहीं देखा था… हर घंटे के साथ ये साफ हो रहा था कि भारतीय सेना न सिर्फ पाकिस्तानी हमलों को रोक रही है, बल्कि जिस पैमाने पर जवाबी हमला हो रहा है – वो पाकिस्तान को घुटनों पर ला देगा.
राजस्थान से भवानी सिंह
10 मई, सुबह 3 बजे. अब कोई रुकावट नहीं बची थी. IAF के फाइटर जेट्स ने पाकिस्तान के और भी एयरबेस, मुरीद, रफीकी, और सरगोधा पर हमला किया गया. रावलपिंडी अब पूरी तरह तबाह हो चुका था. दशकों में पहली बार, पाकिस्तान के अहम एयर बेस ऐसे खतरे को देख रही थीं. पाकिस्तानी फौज में डर फैल गया.
10 मई के हमलों ने भारत के सैन्य इतिहास में कैसे एक निर्णायक मोड़ लाया
किशोर अंजवानी कहते हैं, ‘लेकिन जो हमला पाकिस्तान को पूरी तरह झुका गया वो था सरगोधा एयरबेस पर किया गया सटीक प्रहार… सरगोधा की लोकेशन केरन हिल्स के पास है, जो पाकिस्तान का न्यूक्लियर वेपन स्टोरेज जोन माना जाता है… जैसे ही हमला हुआ, पाकिस्तानी मिसइंफॉर्मेशन मशीनरी चालू हो गई, अफवाहें उड़ाई जाने लगीं कि ‘न्यूक्लियर लीक’ हो गया है… लेकिन जल्द ही इन सब बातों को सिरे से खारिज कर दिया गया… फिर भी ये ऑपरेशन का टर्निंग पॉइंट था, जिसने पाकिस्तान की मजबूत बताए जाने वाले रजिस्टेंस को पूरी तरह तोड़ दिया…’
सरगोधा हमले का असर – क्यों ये सबसे महत्वपूर्ण हमला साबित हुआ?
जब भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस को बर्बाद कर दिया तो रावलपिंडी में बैठा वो शख्स जिसे पाकिस्तान की सुरक्षा का जिम्मा मिला था, एक बंकर में छिपा हुआ था… उसके करीबी अफसर उसे बता रहे थे कि उसकी फौज कितनी शर्मिंदगी झेल रही है… कई सैनिक मारे जा चुके थे… एयर डिफेंस सिस्टम बर्बाद हो चुका था… फौज का हौसला मिट्टी में मिल चुका था… आखिरकार उसने झिझकते हुए सफेद झंडा लहराया… पाकिस्तान के DGMO ने सीजफायर के लिए कॉल किया… भारत का मिशन पूरा हुआ… पाकिस्तान ने हार मान ली.
हमारी कवरेज का ये सबसे बड़ा पल था… हमारे सिक्योरिटी एडिटर मनोज गुप्ता इस ऑपरेशन की कवरेज को देख रहे थे… और वही सबसे पहले ये जानकारी लेकर आए कि – पाकिस्तान ने भारत की हॉटलाइन पर कॉल करके सीजफायर की मांग की है… इस्लामाबाद गिड़गिड़ा रहा था, पाकिस्तान की हार सामने आ चुकी थी…
रुबिका लियाकत, कंसल्टिंग एडिटर, News18 इंडिया
जब नई दिल्ली में इसकी औपचारिक घोषणा करने की तैयारी चल रही थी, उसी बीच अपने अति उत्साह के लिए जाने जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की और सीजफायर कराने का दावा करने लगे… लेकिन भारत ने तुरंत साफ कर दिया कि कोई तीसरी पार्टी मध्यस्थ नहीं थी. पाकिस्तान ने सीजफायर की मांग की और कहा कि हम फायर नहीं करेंगे तो भारत ने भी कहा कि अगर उधर से हमला नहीं होगा तो इधर से भी नहीं होगा.
पाकिस्तान में अब हकीकत धीरे-धीरे सबको समझ आ रही थी. नेशनल असेंबली में हार और अपमान की फुसफुसाहटें शुरू हो गई थीं. भारत की तरह वहां कोई एकजुटता नहीं थी, बल्कि कई नेता खुद अपने प्रधानमंत्री का मजाक उड़ा रहे थे.
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की मिसइंफॉर्मेशन फैक्ट्री को भी पूरी तरह बेनकाब कर दिया. भारत ने सैटेलाइट इमेजेज, बरामद हथियारों और लॉजिकल एविडेंस के जरिए पूरी दुनिया को दिखाया कि सच्चाई क्या है. जनरल मुनीर के साथियों के पास अब बस तुक्के मारने के अलावा कुछ नहीं बचा था. ग्लोबल एक्सपर्ट्स ने इसे साफ तौर पर भारत की जीत कहा.
रक्षा संवाददाता संदीप बोल बताते हैं, ‘इस पूरे ऑपरेशन का सबसे बड़ा संदेश ये था, भारत अब सिर्फ डिफेंस नहीं करता… अब भारत खुद डिफेंस टेक्नोलॉजी बना रहा है. आकाशतीर, भारत का स्वदेशी मिसाइल डिफेंस सिस्टम. अब आत्मनिर्भरता और अजेय एयर सिक्योरिटी का प्रतीक बन चुका है. आकाशतीर को अलग बनाता है इसकी एडवांस सीकर टेक्नोलॉजी और रैपिड टारगेटिंग क्षमता. जो इसे एक साथ कई हवाई हमलों से निपटने में सक्षम बनाती है… दुनिया के गिने-चुने सिस्टम ही ऐसा कर पाते हैं.’
भारत ने एक सीधा और सख्त बयान दिया: अब बर्दाश्त करने का दौर खत्म हो चुका है. भारत के आम लोगों पर हमले हुए, धार्मिक जगहों को टारगेट किया गया, ड्रोन वॉरफेयर को हथियार बनाया गया… अब से, भारत के ऐक्शन का नया नियम होगा…
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर अभी सिर्फ रोका गया है, ये खत्म नहीं हुआ. उन 88 घंटों में जो ऐक्शन हुआ, उसका असर दशकों तक रहेगा. भारत ने पूरा समीकरण बदल दिया है. सटीक हमले, तेज ऐक्शन, मजबूत कूटनीति. पाकिस्तान का ‘डिनायल प्लैन’ अब बिखर चुका है. अब एक नए चैप्टर की शुरुआत हो चुकी है. जहाँ आतंक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, करारा जवाब मिलेगा… और किसी भी उकसावे की कीमत अब पहले से ज्यादा चुकानी पड़ेगी.