इस देश में कैसे फेल हो गईं रूस-कनाडा-ऑस्ट्रेलिया की कंपनियां? Gold की खदानें किसने छीन लीं

15 hours ago

Gold Mines State Control: सोने की खदानों को लेकर एक देश ने ऐसा कदम उठाया है जिससे रूस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों की पकड़ ही ढीली पड़ गई. अफ्रीका का यह देश अब अपने खनिज संसाधनों पर विदेशी कंपनियों की निर्भरता कम कर खुद मालिक बनने की राह पर है. इस देश का नाम बुर्किना फासो है. यहां नई नीति के तहत सरकार ने पांच बड़ी खदानों को सीधे अपने कब्जे में ले लिया है. आखिर क्या है इस सोने की लड़ाई की पूरी कहानी और कैसे विदेशी दिग्गज कंपनियां इस गेम से आउट हो गईं..समझना जरूरी है.

लाइसेंसों को पूरी तरह से राष्ट्रीयकृत कर दिया..
असल में बुर्किना फासो ने देश की पांच सोने की खदानों और रिसर्च लाइसेंसों को पूरी तरह से राष्ट्रीयकृत कर दिया है. अब ये खनन संपत्तियां देश की सरकारी खनन कंपनी SOPAMIB के अधीन आ गई हैं. यह कदम अगस्त में शुरू हुई प्रक्रिया का अंतिम चरण है जिसका उद्देश्य देश के खनिज संसाधनों पर अधिक नियंत्रण हासिल करना है.

इन्हें अपने अधिकार में ले लिया
असल में सरकार ने यह संपत्तियां दो चालू खदानों और तीन रिसर्च लाइसेंसों के रूप में हासिल की हैं जो पहले लंदन की एंडेवर माइनिंग और लिलियम कंपनियों की सब्सिडियरी के अधीन थीं. इन कंपनियों में Wahgnion Gold SA, SEMAFO Boungou SA, Ressources Ferké SARL जैसी इकाइयां शामिल हैं. एंडेवर और लिलियम के बीच संपत्तियों की बिक्री की डील रुक गई थी जिसके चलते सरकार ने हस्तक्षेप कर इन्हें अपने अधिकार में ले लिया.

राष्ट्रीयकरण से राजस्व में और इजाफा
सरकार का कहना है कि यह अधिग्रहण खनिज संसाधनों की संप्रभु स्वामित्व नीति के तहत हुआ है. ताकि इनका अधिकतम लाभ देश की जनता को मिल सके. बुर्किना फासो अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा सोना उत्पादक देश है और उसने 2023 में 57 टन से अधिक सोना निकाला था. इस साल सोने की कीमत में 27% वृद्धि के बाद सरकार को उम्मीद है कि राष्ट्रीयकरण से राजस्व में और इजाफा होगा.

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