असम में जिहादी मॉड्यूल बेनकाब, 11 अरेस्‍ट; BAN के इशारे पर कर रहे थे काम

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Last Updated:December 30, 2025, 18:36 IST

Bangladesh News Today:असम और त्रिपुरा से इमाम महमूद काफिला के 11 जिहादियों की गिरफ्तारी ने सनसनी मचा दी है. बांग्लादेशी आकाओं के इशारे पर सक्रिय इस मॉड्यूल का सरगना तमीम भी दबोचा गया है. भारत-बांग्लादेश तनाव के बीच यह कार्रवाई सीमा पार से रची जा रही गहरी साजिश को उजागर करती है. एसटीएफ को इनके पास से भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं, जो देश के खिलाफ बड़े प्रॉक्सि वॉर का संकेत दे रहे हैं.

असम में जिहादी मॉड्यूल बेनकाब, 11 अरेस्‍ट; BAN के इशारे पर कर रहे थे कामअसम एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई की.

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने हाल ही में न्‍यूज18 इंडिया से बातचीत के दौरान चिकन्स नेक कॉरिडोर पर मंडराते बांग्लादेशी घुसपैठ के जिस खतरे की चेतावनी दे रहे थे, असम पुलिस की ताजा कार्रवाई ने उस पर मुहर लगा दी है. जब पूरा देश भारत-बांग्लादेश सीमा पर बढ़ते तनाव को देख रहा था, ठीक उसी वक्त गुवाहाटी की गलियों से लेकर त्रिपुरा की सरहदों तक जिहाद का एक खामोश जाल बुना जा रहा था. असम एसटीएफ (STF) ‘इमाम महमूद काफिला’ के 11 जिहादियों को अरेस्‍ट करने का दावा किया है. इन गुर्गों ने कबूल किया है कि उनके तार सीधे बांग्लादेशी आकाओं से जुड़े हैं. यह महज एक गिरफ्तारी नहीं बल्कि उस खतरनाक प्लान का पर्दाफाश है जो पूर्वोत्तर भारत को दहलाने और देश के इस संकरे गलियारे को अस्थिर करने के लिए पड़ोसी मुल्क की जमीन से तैयार किया गया था.

इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस मॉड्यूल का असम प्रभारी, ‘तमीम’ भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. ये गिरफ्तारियां केवल असम तक सीमित नहीं रहीं बल्कि इनके तार त्रिपुरा तक फैले हुए थे. पुलिस ने इनके पास से भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए हैं जो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि ये जिहादी भारत की आंतरिक सुरक्षा में बड़ी सेंध लगाने की तैयारी में थे.

इमाम महमूद काफिला क्‍या है?
इमाम महमूद काफिला (Imam Mahmuder Kafila – IMK) एक खतरनाक जिहादी मॉड्यूल है, जो मुख्य रूप से बांग्लादेश से संचालित होता है और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, विशेषकर असम और त्रिपुरा में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहा है. इस मॉड्यूल का मुख्य उद्देश्य असम और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को अस्थिर करना है. यह संगठन ‘गजवतुल हिंद’ की कट्टरपंथी विचारधारा को फैलाने और इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व कायम करने के इरादे से काम कर रहा है. यह सीधे तौर पर बांग्लादेश में सक्रिय प्रतिबंधित कट्टरपंथी समूहों (जैसे JMB का एक हिस्सा) के आदेशों पर काम करता है. बांग्लादेश में हालिया सत्ता परिवर्तन और अस्थिरता के बाद यह मॉड्यूल अधिक सक्रिय हुआ है. यह संगठन ‘पूर्वा आकाश’ नामक सोशल मीडिया ग्रुप का इस्तेमाल नए लोगों की भर्ती, कट्टरपंथ फैलाने और फंड जुटाने के लिए कर रहा था. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार यह संगठन स्लीपर सेल के रूप में काम करता है और गुपचुप तरीके से अपनी ताकत बढ़ाने में जुटा था ताकि सही समय आने पर बड़ी वारदातों को अंजाम दे सके.

बांग्लादेशी कनेक्शन
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब ढाका में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में कड़वाहट चरम पर है. एसटीएफ प्रमुख डॉ. पार्थ सारथी महंत ने साफ किया कि ये आतंकी सीधे तौर पर बांग्लादेश स्थित अपने आकाओं से निर्देश ले रहे थे. विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में अस्थिरता का फायदा उठाकर वहां के कट्टरपंथी संगठन भारत के सीमावर्ती राज्यों में अपनी जड़ें जमाना चाहते हैं. ‘इमाम महमूद काफिला’ जैसे संगठन युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें स्लीपर सेल में बदल रहे हैं. बांग्लादेशी हैंडलर्स के इशारे पर काम कर रहा यह नेटवर्क भारत के खिलाफ ‘प्रॉक्सि वॉर’ का हिस्सा हो सकता है जिसका मकसद सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना और रणनीतिक ठिकानों को नुकसान पहुंचाना है.

त्रिपुरा से असम तक फैला जाल
एसटीएफ की जांच में यह खुलासा हुआ है कि ये जिहादी पिछले काफी समय से सक्रिय थे. इनका नेटवर्क त्रिपुरा और असम के संवेदनशील इलाकों में फैला हुआ था. इनके पास से मिले दस्तावेजों से संकेत मिलते हैं कि वे न केवल फंडिंग जुटा रहे थे बल्कि नए कैडर्स की भर्ती के लिए एक व्यवस्थित ‘जिहादी ढांचा’ तैयार कर चुके थे. असम पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए गए इन 11 संदिग्धों से पूछताछ जारी है. इस पूछताछ से बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ इनके संबंधों और भारत में छिपे अन्य स्लीपर सेल्स की पहचान होने की संभावना है. केंद्र और राज्य की सुरक्षा एजेंसियां अब इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या इस नेटवर्क को बांग्लादेश की किसी नई राजनीतिक या धार्मिक शक्ति का संरक्षण प्राप्त है.

सीमा पार की चुनौतियों पर सतर्कता जरूरी
असम में इन 11 जिहादियों की गिरफ्तारी भारत के लिए एक ‘वेक-अप कॉल’ है. बांग्लादेश के बदलते हालात ने पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. एसटीएफ की यह कार्रवाई दर्शाती है कि दुश्मन सीमाओं पर ही नहीं बल्कि राज्य के भीतर भी जाल बिछा रहा है. आने वाले दिनों में भारत-बांग्लादेश सीमा पर निगरानी और सख्त करने की जरूरत है ताकि पड़ोस में पल रही कट्टरपंथी विचारधारा का जहर भारतीय जमीन पर न फैल सके.

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Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

First Published :

December 30, 2025, 18:35 IST

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