अकबर से लेकर विराट तक... सब खड़े हैं एक साथ, क्या आपने देखा है, जानिए कहां हैं

1 month ago

Last Updated:August 20, 2025, 11:39 IST

Steam Engine Loco Shed Rewari News- रेवाड़ी में स्‍टीम इंजन लोको शेड 1893 में बना है, जहां पर अशोका, सिकंदर से लेकर अकबर, साहिब, सिंध और सुल्‍तान सभी देखनें को मिल जाएंगे, दरअसल इन सभी के नाम के इंजन हैं.

अकबर से लेकर विराट तक... सब खड़े हैं एक साथ, क्या आपने देखा है, जानिए कहां हैंयहां पर्यटक स्‍टीम इंजन देखने पहुंचते हैं और फोटो जरूरी खींचते हैं.

नई दिल्‍ली. आपने अशोका, सिंकदर से लेकर अकबर तक के तमाम किस्‍से सुनेंगे. लेकिन अपने शायद ही देखा हो. तो आइए हम बताते हैं कि इन सबको एक साथ कहां देखा जा सकता है. इतना ही नहीं यहां पर विराट भी साथ में देखने को मिल जाएंगे. और सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर विश्‍व का सबसे पुराना फेरी क्‍वीन इंजन देखने को मिल जाएगा. इन सबको पास से देखने के लिए हरियाणा के रेवाड़ी तक जाना होगा. यहां पर भारतीय रेलवे का स्‍टीम इंजन लोको शेड है. इन सभी के नाम के इंजन हैं, जिनमें से कुछ भी दौड़ते हैं.

उत्तर रेलवे द्वारा संचालित रेवाड़ी में स्‍टीम इंजन लोको शेड है.  यहां 14 विंटेज स्टीम इंजनों को संरक्षित करके रखा गया हैं. इनमें ब्राड गेज और मीटर गेज के इंजन शामिल शामिल हैं. इनमें से कुछ इंजन आज भी दौड़ते हैं. यहां पर पहुंचकर इंजनों की सीटी और आवाज सुनकर आप निश्चित ही पुराने जमाने में पहुच जाएँगे और कुछ लोग बचपन की यादों में खो जाएंगे. लोको शेड के इंचार्ज राहुल भारद्वाज ने बताया कि यहां पर इंजनों की मेंटीनेंस करने के लिए करीब 40 लोगों का स्‍टाफ है.

ये इंजन मिलेंगे आपको देखने को

लोको शेड ने संरक्षित इंजनों का नाम रखें हैं जैसे की अशोका, अंगद , अकबर, साहिब, सिंध, सुल्‍तान, शेर ए पंजाब, रेवाड़ी किंग, आजाद,अश्विनी आदि. खास बात यह है कि 1855 में बना विश्‍व को सबसे पुराना इंजन फेरी क्‍वीन के दीदार आप यहां पर कर सकते हैं. यहां डब्ल्यू जी, डब्ल्यू पी, ए डब्ल्यू सी, एक्स ई, डब्ल्यू एल, याई जी और याई जी श्रेणी का स्टीम लोको संरक्षित कर के रखे गए हैं

आपको यहां पर पुराने इंजन देखने को मिलेंगे.

132 साल पुराना ये स्टीम इंजन लोको शेड, 1893 में बना गया है. निर्माण के समय यह बाम्‍बे बड़ोदा और सेंट्रल इंडिया रेलवे के तहत था. अपने समय में यह बड़ा रेलवे जंक्‍शन था. मीटर गेज लोको शेड में उस समय करीब 500 कर्मचारी और इंजीनियर काम करते थे. पहले यहां पर 365 लोको पायलट थे. करीब 100 साल तक लोको शेड चला. इसके बाद 1993 में बंद कर दिया गया. फिर कुछ समय के लिए यहां डीजल इंजन का मेंटीनेंस किया गया. 1996 इसे भी बंद कर दिया गया. दिल्लीरेवाड़ी लाइन के मीटर गेज से ब्रॉड गेज होने के बाद यहां ब्रॉड गेज के संरीक्षित स्टीम इंजन को लाया गया और मीटर गेज के इंजनो के साथ दोबारा स्‍टीम शेड को एक हेरिटेज शेड के रूप में शुरू किया गया. इसे इस तरह डेवलप करने में तत्‍कालीन डीआरएम अश्‍विनी लोहानी के निर्देशन में और रेलवे के सीनियर अधिकारी विकास आर्य की खास भूमिका रही है.

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रेलवे स्‍टेशन के करीब है यह लोको शेड्

इंजनों पर एक नजर –

अशोका (डब्‍ल्यूपी 7000)

यह स्‍टैंडर्ड इंजन है जो 1958 में तैयार हुआ है, इसकी अधिकतम स्‍पीड 100 से लेकर 105 किमी. प्रति घंटे की है. पैंसेजर ट्रेनों के लिए यह इंजन था. 175 टन वजनी यह इंजन पोलैंड से बनकर भारत आया था. इसमें 15 टन कोयला और 25000 लीटर पानी की क्षमता है. इसे चलाने के लिए दो फायरमैन और एक लोको पायलट की जरूरत पड़ती थी.

साहिब, सिंध, सुल्‍तान (डब्ल्यू जी)

ये इंजन गुड्स ट्रेनों के लिए थे. जो साहिब 1960 में बना है. इस तरह के तीन इंजन साहिब, सिंध और सुल्‍तान है. ये तीनों 1853 में देश में चली पहली ट्रेन को समर्पित कर बनाए गए हैं. 100 टन वजन और 65 किमी. प्रति घंटे की स्‍पीड है. सिंध गुड्स ट्रेन का इंजन 1960 में बना है. अधिकतम स्‍पीड 65 किमी. प्रति घंटे की थी. कोयला 9.5 टन और पानी 13600 लीटर की क्षमता थी. सुल्‍तान यह 1953 में बना इंजन है, जिसका वजन 100 टन है. अधिकतम स्‍पीड 65 किमी. प्रति घंटे की रही है.

अकबर

हर इंजन की कोई न कोई खासियत जरूर है.

यह इंजन 1965 में तैयार हुआ है. इसकी अधिकतम स्‍पीड 100 से 105 किमी. प्रति घंटे की थी. यह इंजन 2015-16 तक दिल्‍ली कैंट से अलवर के बीच 15 दिन में एक बार दौड़ता था. इस तरह यह रूटीन रन करने वाला आखिरी इंजन है.

विराट (ए डब्ल्यू ई 22917)

यह इंजन 19४२ में यूएसए में बना है. यह गुड्स ट्रेन का इंजन है. इसकी अधिकतम स्‍पीड 75 किमी. प्रति घंटे की थी. कोयले की क्षमता 17.5 टन और पानी की 5750 गैलन थी.

शान-ए-पंजाब (डब्ल्यू एल 15005) 

इस इंजन के भारत की अंतिम भाप इंजन से ट्रेन 6JF चलाई गयी थी. 3अगस्त 1995 को इसी इंजन ने खींचा था. इस इंजन को यहां पर देखा जा सकता है.

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Location :

Rewari,Rewari,Haryana

First Published :

August 20, 2025, 11:39 IST

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