Last Updated:August 18, 2025, 12:53 IST
सुप्रीम कोर्ट ने उन कैडेट्स की दुर्दशा पर चिंता जताई है, जो मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान दिव्यांग हो गए और फिर संस्थानों से बाहर कर दिए गए. अदालत ने केंद्र सरकार से बीमा, मेडिकल खर्च, मुआवजा और पुनर्वास की ठोस यो...और पढ़ें

दिल्ली: देश की रक्षा का जज्बा लिए मिलिट्री ट्रेनिंग में शामिल कैडेट्स अक्सर अपनी जान जोखिम में डालते हैं. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि अगर ट्रेनिंग के दौरान कोई हादसा हो जाए और वे दिव्यांग बन जाएं, तो उन्हें सेना से बाहर कर दिया जाता है. इसके अलावा, उन्हें जीवनभर कई मुश्किलों से जूझना पड़ता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसी गंभीर मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि इन कैडेट्स के लिए बीमा, मुआवज़ा और पुनर्वास जैसी सुविधाएं क्यों नहीं हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने उन कैडेट्स की परेशानियों पर गंभीर चिंता जताई है, जिन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) और भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) जैसे संस्थानों में ट्रेनिंग के दौरान चोट या दिव्यांगता झेलनी पड़ी और बाद में उन्हें बाहर कर दिया गया. अदालत ने कहा कि ऐसे कैडेट्स सेना में शामिल होने के लिए गंभीर जोखिम उठाते हैं, लेकिन दुर्घटना या दिव्यांगता की स्थिति में उन्हें केवल 40 हजार रुपये अनुग्रह राशि देकर छोड़ दिया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा, “हर ट्रेनी का इंश्योरेंस होना चाहिए. इतना बड़ा रिस्क है, अगर वे अपंग हो जाएं और उन्हें केवल 40 हजार देकर छोड़ दिया जाए तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है.”
उन्होंने आगे कहा, “अगर ये दिव्यांग न होते तो फोर्स में शामिल हो जाते. सरकार को इनके लिए ठोस योजना लानी चाहिए – मेडिकल खर्च, इंश्योरेंस, लंपसम मुआवजा और अगर संभव हो तो अन्य सेवाओं में पुनर्वास.”
कैडेट्स की दलील
वकीलों ने अदालत को बताया कि इन कैडेट्स को न तो एक्स-सर्विसमैन (पूर्व सैनिक) का दर्जा मिलता है और न ही विकलांगजन अधिनियम (PWD Act) के तहत कोई संरक्षण. कई बार तो इन्हें एक्स-ग्रेशिया (अनुग्रह राशि) भी नहीं दी जाती. सिर्फ अधिकारी कैडेट्स को पेंशन का लाभ मिलता है.
सरकार से मांगा जवाब
अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या इन कैडेट्स को किसी प्रकार का बीमा कवर मिलता है? इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि वे निर्देश लेकर जानकारी देंगे. एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि सरकार इस पर एक व्यापक हलफनामा दाखिल करेगी.
क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट?
कोर्ट ने कहा कि यह संख्या बहुत बड़ी नहीं है, इसलिए सरकार को इन कैडेट्स के लिए एक खास योजना बनानी चाहिए. इसमें मेडिकल खर्च, बीमा कवर, उचित मुआवजा और संभव हो तो डेस्क जॉब जैसी वैकल्पिक सेवाओं में पुनर्वास की व्यवस्था शामिल होनी चाहिए.
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First Published :
August 18, 2025, 12:53 IST