NEET के लिए सिर्फ मेहनत नहीं, इन चीजों का बैलेंस भी जरूरी, बने स्टेट टॉपर

4 hours ago

Last Updated:June 18, 2025, 10:38 IST

NEET Success Story: अगर आप किसी भी चीज में सफल होना चाहते हैं, तो आपको बैलेंस करने का हूनर आना चाहिए. तभी आप सफलता की सीढ़ी को आसानी से चढ़ सकते हैं. ऐसे ही एक लड़के ने पढ़ाई और हॉबी को बैलेंस करके नीट यूजी में...और पढ़ें

NEET के लिए सिर्फ मेहनत नहीं, इन चीजों का बैलेंस भी जरूरी, बने स्टेट टॉपर

NEET Success Story: नीट यूजी में 16वीं रैंक लाकर बने स्टेट टॉपर

हाइलाइट्स

NEET में 16वीं रैंक हासिल की.720 में से 670 अंक प्राप्त कर पश्चिम बंगाल टॉपर बने.पढ़ाई और हॉबी का बैलेंस कर सफलता पाई.

NEET Success Story: अगर आप लाइफ में चीजों को बैलेंस करना सीख गए हैं, तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है. इन्हीं बातों को फॉलो करके कोलकाता के रचित सिन्हा चौधरी (Rachit Sinha Chaudhuri) ने नीट यूजी की परीक्षा में 16वीं रैंक हासिल की हैं. इसके साथ ही वह पश्चिम बंगाल टॉपर भी बन गए हैं. उन्हें इस परीक्षा में 720 में से 670 अंक मिले हैं. उनकी इस उपलब्धि से पूरे राज्य को गौरवान्वित कर दिया है. वह अपने सारे शौक को पूरा करते हुए इस सफलता को हासिल की हैं.

उम्मीद थी टॉप 100 की, मिली देशभर में 16वीं रैंक

नीट यूजी की परीक्षा में 670 अंक लाने वाले रचित सिन्हा चौधरी मूल रूप से पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के रहने वाले हैं. वह कोलकाता के हरियाणा विद्या मंदिर के छात्र हैं. उन्हें अच्छे नतीजे की उम्मीद थी, लेकिन टॉप 20 में आना उनके लिए भी एक बड़ा सरप्राइज था. वह नीट यूजी की परीक्षा में टॉप 100 की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन जब रिजल्ट देखा और 16वीं रैंक आई, तो उनके लिए यकीन करना मुश्किल था.

दादी से मिली प्रेरणा, बायोलॉजी से रहा पुराना लगाव

रचित की NEET की यात्रा कक्षा 11वीं से शुरू हुई. बायोलॉजी में उनकी गहरी रुचि और उनकी दादी की स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों ने उन्हें डॉक्टर बनने की राह पर आगे बढ़ाया. उन्होंने बताया कि गणित उनकी रुचि का विषय नहीं था, लेकिन बायोलॉजी और लोगों की मदद करने की चाह उन्हें मेडिकल की ओर खींच लाई. उनके माता-पिता, शिरशेंदु सिन्हा चौधरी और पियाली, बेटे की इस सफलता पर बेहद गर्व महसूस कर रहे थे.

दिन में 8-10 घंटे की पढ़ाई, लेकिन बैलेंस भी ज़रूरी

रचित ने अपनी तैयारी के लिए कोचिंग, सेल्फ स्टडी और मॉक टेस्ट का सहारा लिया. वह रोज़ाना 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई करते थे, लेकिन उन्होंने अपनी रुचियों को भी समय देना नहीं छोड़ा. वह केक बनाना, किताबें पढ़ना और नेटफ्लिक्स देखना पसंद करते हैं. उनका मानना था कि इससे दिमाग तरोताजा रहता है. जब रिजल्ट घोषित हुआ, तो घर में खुशी का माहौल था. रचित ने मुस्कराते हुए बताया कि रिजल्ट स्क्रीन पर आते ही मेरे पापा खुशी से चिल्ला उठे.

अगला लक्ष्य एम्स दिल्ली

अब रचित की नजर देश के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज AIIMS Delhi पर है. वह बताते हैं कि आगे का रास्ता अभी तय नहीं है. वह रिसर्च, स्पेशलाइजेशन या क्लिनिकल प्रैक्टिस जैसे विकल्पों पर विचार करेंगे. उनको लगता है कि मेडिकल क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं. इसी लिए वह समय के साथ फैसला करेंगे. रचित की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सपनों को पाने के लिए केवल पढ़ाई नहीं, संतुलन भी ज़रूरी है.

Munna Kumar

पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...और पढ़ें

पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...

और पढ़ें

homecareer

NEET के लिए सिर्फ मेहनत नहीं, इन चीजों का बैलेंस भी जरूरी, बने स्टेट टॉपर

Read Full Article at Source