LAC विवाद हल होने की उलटी गिनती जारी, स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव की दूसरी बैठक होगी

1 month ago

Last Updated:August 18, 2025, 13:57 IST

INDIA CHINA SR TALKS: कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद से भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम हो गया. ब्रिक्स की उस बैठक की सबसे ज़्यादा सुर्ख़ियां रही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति श...और पढ़ें

LAC विवाद हल होने की उलटी गिनती जारी, स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव की दूसरी बैठक होगीLAC विवाद के हल निकालने की दूसरी बैठक

INDIA CHINA SR TALKS: साल 2020 में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में बड़ा विवाद हुआ था. तनाव बढ़ने के बाद से दोनों देशों की सेनाएं LAC के करीब तैनात हैं. भले ही तनाव कम हुआ हो, लेकिन विवाद अब भी जारी है. इस विवाद के हल के लिए दोनों देशों के बीच स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव की बैठकों का दौर जारी है. 18 दिसंबर को पहली बैठक बीजिंग में आयोजित की गई थी, जिसके लिए एनएसए अजीत डोवल बीजिंग गए थे. अब दूसरी बैठक के लिए चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत आ रहे हैं. सोमवार शाम 4 बजे वांग यी दिल्ली पहुंचेंगे और 6 बजे उनकी मुलाकात विदेश मंत्री जयशंकर से होगी। 19 अगस्त को 11 बजे हैदराबाद हाउस में SR लेवल वार्ता होगी. वार्ता के बाद शाम को वांग यी प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करेंगे.

कैसे शुरू हुई LAC स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव वार्ता?
कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक पहले 21 अक्टूबर को पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को खत्म करने का फैसला हुआ. डेमचोक और डेपसांग में डिसएंगेजमेंट पूरा हुआ और अब सभी प्वाइंट्स पर पेट्रोलिंग भी पूरी हो चुकी है, जहां 2020 के बाद सेना की गश्त बंद थी. LAC के चार इलाके – पैंगोंग, गलवान के पीपी-14, गोगरा और हॉट स्प्रिंग – जहां 2020 के बाद से बने सभी फ्रिक्शन प्वाइंट्स से डिसएंगेजमेंट पूरा हुआ, लेकिन वहां बफर ज़ोन बन गए थे. प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की बातचीत के बाद सीमा विवाद के हल के लिए स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव लेवल बातचीत का रास्ता खुला. दोनों देशों के डिप्लोमैटिक और मिलिटरी लीडरशिप के बीच सार्थक वार्ता के बाद LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर जिस एग्रीमेंट तक पहुंचे, उसका दोनों नेताओं ने स्वागत किया और तनाव को पूरी तरह से कम कर शांति और व्यवस्था बनाए रखने पर जोर दिया. कजान में बैठक के बाद से LAC शांत है. दोनों सेनाएं अपने-अपने इलाके में पेट्रोलिंग कर रही हैं. पहली बैठक पिछले साल बीजिंग में आयोजित हुई थी और अब दूसरी दिल्ली में हो रही है.

पीएम मोदी ने चला था मास्टर स्ट्रोक
साल 2020 में एक बार फिर से चीन ने वही 1962 वाली हिमाकत की, लेकिन इस बार भारत तैयार था. नतीजा यह हुआ कि चीन को उलटे पैर वापस लौटना पड़ा और बातचीत की मेज पर आना पड़ा. इस विवाद को सुलझाने के पीछे तीन बड़े चेहरे रहे हैं. पहला चेहरा प्रधानमंत्री मोदी का है, जिन्होंने विवाद के शुरू होते ही सेना को पूरी छूट दी कि वे ग्राउंड पर जो उन्हें ठीक लगे, वह करें, अनुमति का इंतजार न करें. आर्थिक तौर पर भी चीन पर पाबंदी लगाई गई और ऐसी कई और वजहें थीं, जिससे पीएम मोदी ने LAC के विवाद सुलझाने के लिए चीन को बातचीत की मेज तक आने को मजबूर किया.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिछाई बिसात
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस संवेदनशील मामले को सुलझाने की जमीन तैयार की. दुनिया का कोई मंच ऐसा नहीं था, जहां उन्होंने इस मसले को मुखर तरीके से नहीं उठाया हो. विदेश मंत्रालय ने सेना के साथ लगातार बात कर माकूल हल निकालने के लिए एक डिज़ाइन तैयार किया और फिर चीनी समकक्षों के साथ बात कर एक फैसले पर पहुंचे कि LAC पर अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को बहाल किया जाए. चुशुल और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट हुआ और दोनों सेनाओं की बंद हुई पेट्रोलिंग फिर से शुरू हुई.

भारतीय जेम्स बॉन्ड के कंधे पर दांव
NSA अजीत डोवल वह तीसरा चेहरा हैं, जिन्हें भारत का जेम्स बॉन्ड कहा जाता है। उनके कंधे पर आगे की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मोदी ने डाली। सीमा विवाद को लेकर उन्होंने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में सीमा विवाद का हल बीजिंग में ढूंढना शुरू किया। अजीत डोवल और वांग यी के बीच मुलाकात अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स के साइडलाइन में तो जरूर हुई, लेकिन बतौर स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव फॉर्मेट में दिसंबर 2019 के बाद यह नहीं हुई थी। भारत और चीन के बीच जारी विवाद के महज दो साल बाद, साल 2022 में खुद चीनी विदेश मंत्री वांग यी अचानक दिल्ली पहुंचे और एनएसए अजीत डोवल से मुलाकात की। सितंबर 2024 को सेंट पीटर्सबर्ग BRICS NSA मीटिंग में दोनों की मुलाकात हुई। 18 दिसंबर 2024 को स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव मीटिंग के दौरान दोनों नेता मिले। इसी साल जून में आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा और सीमा मुद्दे पर दोनों नेताओं की मीटिंग बीजिंग में हुई थी।

सेना ने अब तक बनाया रखा दबाव
2020 में जो हुआ, उसने ठंडा रेगिस्तान कहे जाने वाले लद्दाख के माहौल को गर्म कर दिया. गर्म ऐसा कि 1962 के बाद मानो ऐसा लग रहा था कि भारत और चीन के बीच दूसरा युद्ध कभी भी छिड़ सकता है. लेकिन संयम दोनों ने दिखाया और युद्ध तनाव तक ही सीमित रह गया. सेना ने जिस तरह की रणनीति का इस्तेमाल किया, चीन को उसकी उम्मीद भी नहीं थी. दक्षिण पैंगोंग के इलाके में महत्वपूर्ण चोटियों पर अपनी तैनाती की, जहां 1962 के बाद कोई नहीं गया था. भारी भरकम टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों की कम समय में तैनाती ने चीन को यह संदेश दे दिया कि आज का भारत 1962 का भारत नहीं है. अभी भी भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में मुस्तैद है.

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First Published :

August 18, 2025, 13:57 IST

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