J&K में पूर्व सैनिकों की एंट्री, करेंगे महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा

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Last Updated:May 17, 2025, 23:49 IST

Veterans to the Fore: जम्मू कश्मीर जैसे इलाके में सुरक्षा के काम को अंजाम देना काफी चुनौतीपूर्ण होता है. इस चुनौती को दूर करने के लिए जम्मू कश्मीर से सेवा दे चुके भारतीय सेना के जवानो को फिर से सुरक्षा में तैना...और पढ़ें

J&K में पूर्व सैनिकों की एंट्री, करेंगे महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा

कश्मीर में पूर्व सैनिकों की एंट्री

हाइलाइट्स

जम्मू-कश्मीर में 4,000 पूर्व सैनिक तैनात होंगे.महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा करेंगे पूर्व सैनिक.सरकार ने पूर्व सैनिकों की तैनाती को मंजूरी दी.

Veterans to the Fore; एक कहावत है, “once a soldier, always a soldier.” अनुशासन और योजना बनाने में पूर्व सैनिक माहिर होते हैं. भारत में सैनिक लंबे समय तक सेना में सेवा देते हैं और रिटायर होने के बाद भी, जब भी जरूरत होती है, वे अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार रहते हैं. जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक योजना के तहत पूर्व सैनिकों को महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा के लिए बुलाने का फैसला किया है. रिटायरमेंट के बाद फिर से जम्मू-कश्मीर में तैनाती का रास्ता साफ हो गया है. जम्मू-कश्मीर सैनिक वेलफेयर बोर्ड ने सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें जम्मू-कश्मीर में मौजूद महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा में पूर्व सैनिकों को तैनात करने की योजना शामिल थी. अब इस प्रस्ताव को औपचारिक तौर पर मंजूरी मिल गई है.

महत्वपूर्ण इंस्टॉलेशन्स की सुरक्षा में तैनात
इस पहल के तहत 4,000 पूर्व सैनिकों की पहचान की गई है. इनमें से 435 के पास पर्सनल लाइसेंसी हथियार हैं. इन पूर्व सैनिकों को जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों में महत्वपूर्ण इंस्टॉलेशन्स जैसे पावर स्टेशन, ब्रिज, सरकारी प्रतिष्ठान और अन्य संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा में तैनात किया जाएगा. इस तरह की पहल कोरोना महामारी के दौरान भी शुरू की गई थी, जब 2,500 से ज्यादा रिटायर सैनिकों ने स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए वॉलंटियर किया था। अब इस संख्या को बढ़ाकर 4,000 कर दिया गया है.

इस योजना की खास बातें
पूर्व सैनिक वॉलंटियर संबंधित जिले के सैनिक कल्याण अधिकारी (DSWO) के समन्वय में अपनी सेवाएं देंगे. इसके अलावा, वे जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर काम करेंगे. इनका रोल नॉन-कॉम्बैटेंट होगा, यानी गैर-सैन्य प्रकृति का होगा, जिसमें स्थिर गार्ड ड्यूटी, चुनौतियों के आधार पर रोकथाम और स्थानीय लोगों के समन्वय पर फोकस होगा. इन पूर्व सैनिकों को उनकी यूनिफॉर्म और जरूरी उपकरण सैनिक कल्याण बोर्ड की तरफ से उपलब्ध कराए जाएंगे, जबकि प्रशासनिक सहयोग जिला अधिकारियों की तरफ से दिया जाएगा। इनकी ट्रेनिंग और ओरिएंटेशन की भी खास योजना बनाई गई है.

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