IGI एयरपोर्ट पर अब नो झंझट! मिल गई ऐसी पावर, अब कोहरे में भी नहीं होगी किचकिच

1 hour ago

Delhi IGI Airport & Fog: दिल्‍ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास अब तीन-तीन स्‍पेशल पावर का साथ है. अब टर्मिनल से लेकर रनवे तक मौजूद हर मुश्किल को इन तीनों पावर्स की मदद से आसान बनाया जा सकेगा. इतना ही नहीं, इन तीनों पावर्स की बदौलत कोहरे का कहर भी बेअसर हो जाएगा. जी हां, हम जिन तीन पावर्स की बात कर रहे हैं, उसमें पहली है विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट (WiFEX), दूसरी- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स (AI-PA), और तीसरी है CAT-III-B की पावर.

विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट (WiFEX) फ्लाइट ऑपरेशन के लिहाज से फॉग के पैटर्न को पढ़ने में एयरपोर्ट एजेंसीज की मदद करेगा. वहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स (AI-PA) की मदद से एयरपोर्ट पर रिकवरी टाइम को छह घंटे से कम करके दो घंटे तक किया जा सकेगा. जहां तक रही CAT-III-B पावर की बात, तो सिर्फ 50 मीटर के आरवीआर (रनवे विजबिलिटी रेंज), यानी जब घने कोहने की वजह से कुछ भी नजर ना आ रहा हो, तब भी प्‍लेन बिना किसी दिक्‍कत के लैंडिंग कर सकेंगे.

एयरपोर्ट का नया दिमाग बनेगा APOC
कोहरे की किचकिच के बीच फ्लाइट ऑपरेशन नॉर्मल रहें, इसके लिए दिल्‍ली एयरपोर्ट पर ‘एयरपोर्ट प्रेडिक्टिव ऑपरेशंस सेंटर (APOC)’ बनाया गया है. यह एक हाई-टेक कमांड सेंटर है जो रियल-टाइम मौसम डेटा, रनवे का स्‍टेटस, एयर ट्रैफिक, ग्राउंड हैंडलिंग और एयरलाइंस की हर जानकारी को एक ही स्क्रीन पर लेकर आएगा. एपीओसी की मदद से अब मिनटों में यह फैसले लिए जा सकते हैं कि कौन सा रनवे इस्तेमाल करना है, किस फ्लाइट को पहले लैंड कराना है. साथ ही, गेट और स्टैंड का सबसे बेहतर इस्‍तेमाल एपीओसी की मदद से किया जा सकेगा. रनवे पर घने कोहने की वजह से विजिबिलिटी गिरती है तो एपीओसी की मदद से तुरंत रिसोर्सेज को री-अलोकेट किया जा सकता है.

WiFEX देगा कोहरे के दस्‍तक की आहट
‘विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट (WiFEX) पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (IITM), इंडिया मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) और DIAL की दस साल पुरानी रिसर्च से जुड़ा एक प्रोजेक्‍ट है, जिसे इस बार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आईजीआई एयरपोर्ट पर लागू किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट में सीलोमीटर, रेडिएशन सेंसर, एयरोसोल काउंटर और रिमोट सेंसिंग टावर जैसे हाई-टेक उपकरणों से तापमान, नमी, हवा की दिशा-गति, प्रदूषण के कण, फॉग ड्रॉपलेट्स की माइक्रोफिजिक्स और विजिबिलिटी में बदलाव का डेटा लगातार इकट्ठा किया जा सकेगा. दावा है कि WiFEX 85% एक्‍यूरेसी के साथ कोहरा आने का पूर्वानुमान कर सकता है.

CAT-III-B की पावर से लैस हुए तीनों रनवे
दिल्ली एयरपोर्ट के पास चार रनवे हैं, लेकिन मुख्य रूप से तीन ही इस्तेमाल होते हैं. इनमें 10/28, 11R/29L और 11L/29R शामिल हैं. दिल्‍ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के अनुसार, हाल में हुए अपग्रेडेशन में रनवे 10/28 के द्वारका सिरे पर भी CAT-III इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) लगा दिया गया है. इसके साथ ही दिल्ली एयरपोर्ट देश का पहला एयरपोर्ट बन गया है जहां तीनों मुख्य रनवे दोनों सिरों से CAT-III कंप्लायंट हैं. यानी चाहे कोहरा किसी भी दिशा से आए, पायलट बिना कुछ देखे ऑटोमैटिक सिस्टम की मदद से सुरक्षित लैंडिंग कर सकेंगे.

दिल्ली में कोहरा प्रकृति का हिस्सा है, हम इसे रोक नहीं सकते हैं. लेकिन हम यह जरूर कर सकते हैं कि इसका पैसेंजर्स पर असर सबसे कम हो. इस साल दिल्‍ली एयरपोर्ट पर नेक्स्ट-जनरेशन एआई टूल्स, प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और WiFEX के डेटा से कोहरा पहले से पता करने की व्यवस्था की है. साथ ही तीनों रनवे को दोनों तरफ से CAT-III इक्‍यूप्‍ड कर दिया गया है. इन सबकी वजह से अब कोहरे में रिकवरी टाइम 6 घंटे से घटकर 2 घंटे रह जाएगा. डायल का पूरा फोकस सर्दियों में पैसेंजर्स को सुरक्षित, भरोसेमंद और आरामदायक यात्रा देने पर है. – विद्येह कुमार जयपुरियार, सीईओ, दिल्‍ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड

तीनों पावर्स से पैसेंजर्स के लिए क्‍या बदल जाएगा?

अब कोहरे की वजह से आपकी फ्लाइट के कैंसल होने या घंटों देर होने की संभावना बहुत कम हो गई है] क्योंकि दिल्ली एयरपोर्ट ने नेक्स्ट-जेन AI और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स लगाए हैं जो कोहरा आने से पहले ही सटीक भविष्यवाणी कर सकते हैं. इससे पैसेंजर्स को बेवजह एयरपोर्ट पर इंतजार नहीं करना पड़ता और ज्यादातर फ्लाइट्स ऑन-टाइम रहती हैं. WiFEX प्रोजेक्ट से 85% सटीक कोहरा पूर्वानुमान मिलेगा. जिसकी मदद से एयरपोर्ट को 1 से 36 घंटे पहले ही पता चल जाता है कि कोहरा कब और कितना घना होगा. इसका सीधा फायदा पैसेंजर्स को यह मिलता है कि एयरलाइंस और एयरपोर्ट पहले से प्लानिंग कर सकेंगे, जिससे अचानक कैंसलेशन और लंबे डिले लगभग खत्म हो जाएंगे. अब दिल्ली एयरपोर्ट की तीनों रनवे यानी 10/28, 11L/29R और 11R/29L के दोनों सिरे CAT-III कंप्लायंट हो गए हैं. लिहाजा बहुत घने कोहरे में भी पायलट सुरक्षित लैंडिंग कर सकते हैं. पैसेंजर्स के लिए इसका फायदा यह है कि उनकी फ्लाइट डायवर्ट होने की बजाय दिल्ली में ही लैंड करेगी और वे अपना कनेक्शन मिस नहीं करेंगे. कोहरे के बाद रिकवरी टाइम पहले 6 घंटे था, अब सिर्फ 2 घंटे रह जाएगा. यानी कोहरा छंटते ही फ्लाइट्स बहुत जल्दी नॉर्मल हो जाएंगी. पैसेंजर्स को अब सुबह से शाम तक एयरपोर्ट पर फंसे रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि वे जल्दी घर या डेस्टिनेशन पहुंच सकेंगे. यह सब संभव होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स (AI-PA) के जरिए. एयरपोर्ट प्रेडिक्टिव ऑपरेशंस सेंटर (एपीओसी) की वजह से रनवे, गेट और स्टैंड का इस्तेमाल बहुत स्मार्ट तरीके से हो सकेगा. कोहरे में भी ज्यादा से ज्यादा फ्लाइट्स को हैंडल किया जा सकेगा. एयरलाइंस, एटीसी, ग्राउंड स्टाफ को एक ही जगह पर रियल टाइम डेटा मिलेगा. इससे फ्लाइट को वेटिंग टाइम कम किा जा सकेगा. अब कोहरे में भी प्रति घंटे लगभग 30 लैंडिंग्स हो सकेंगी. पहले इससे काफी कम होती थीं. इसका सीधा फायदा पैसेंजर्स को यह है कि उनकी फ्लाइट को लंबा होल्ड या सर्कल नहीं करना पड़ेगा. अब उनकी फ्लाइट बिना‍ किसी देरी के एयरपोर्ट पर लैंडिंग कर सकेगी.

आसान तरीके से समझें एयरपोर्ट पर क्‍या बदलने वाला है?

इस बार दिल्ली एयरपोर्ट ने सर्दियों के कोहरे से निपटने के लिए क्या-क्या नई तैयारी की है?
दिल्ली एयरपोर्ट को विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट (WiFEX), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स (AI-PA), एयरपोर्ट प्रेडिक्टिव ऑपरेशंस सेंटर (एपीओसी), फॉग प्रेडिक्शन डेटा (WiFEX) से लैस किया गया है. तीनों मुख्य रनवे को दोनों सिरों को CAT-III कंप्लायंट किया गया है. जिससे फ्लाइट ऑपरेशन और पैसेंजर एक्‍सपीरियंस को बेहतर बनाया जा सके.

एपीओसी क्या है और कोहरे में यह कैसे मदद करता है?
एपीओसी यानी एयरपोर्ट प्रेडिक्टिव ऑपरेशंस सेंटर एक हाई-टेक कमांड सेंटर है जो रियल-टाइम मौसम, रनवे स्थिति, एयर ट्रैफिक और ग्राउंड ऑपरेशंस का सारा डेटा एक जगह लाता है. इससे मिनटों में सही फैसले लिए जा सकते हैं, रनवे का सबसे अच्छा उपयोग हो पाता है और कोहरे में भी ऑपरेशन लगभग नॉर्मल चलता रहता है.

WiFEX क्या है और इसकी सटीकता कितनी है?
विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट (WiFEX) आईआईएमटी पुणे, आईएमडी और डायल का दस साल पुराना जॉइंट रिसर्च प्रोग्राम है. इस बार इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एयरपोर्ट पर इस्तेमाल किया जा रहा है. यह 85 फीसदी सटीकता के साथ 1 से 36 घंटे पहले कोहरा आने का पूर्वानुमान दे सकता है.

CAT-III होने से कोहरे में कितनी लैंडिंग्स प्रति घंटा हो सकेंगी?
तीनों मुख्य रनवे (10/28, 11R/29L और 11L/29R) अब दोनों सिरों से पूरी तरह CAT-III कंप्लायंट हैं. हाल ही में रनवे 10/28 के द्वारका सिरे पर नया CAT-III ILS लगाया गया है. कोहरे में अब लगभग 30 लैंडिंग्स प्रति घंटा हो सकेंगी.

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