GAZA: गाजा पर इजरायल के ऑपरेशन 'गिडियोन' का कोड डिकोड, 19वीं सदी से जुड़ा है कनेक्शन

1 month ago

Operation GIDEON: इजरायल ने गाजा में नया सैन्य ऑपरेशन छेड़ा है. इसका नाम ऑपरेशन गिडियोन है. क्या है इस ऑपरेशन का कोड आइए आपको बताते हैं. यहूदी मान्यताओं के मुताबिक गिडियोन एक योद्धा था. जिसने इजरायली धरती को शत्रुओं के खतरे से मुक्त कराया था. मिथकों में कहा गया है कि गिडियोन और उसके मात्र 300 सैनिकों ने दुश्मन के 15000 सैनिकों को हरा दिया था. उसकी इस जीत के बाद करीब 40 सालों तक कोई इजरायल के खिलाफ सिर नहीं उठा पाया था.

ऑपरेशन का मकसद

शायद इसी यहूदी मिथक को नेतन्याहू और उनकी फौज हकीकत में बदलना चाहते हैं. यानी वो एक साथ सभी शत्रुओं से निपटना चाहते हैं. अब से ठीक 24 घंटे पहले इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी इस प्रण को दोहराया है. इजरायल के दुश्मनों को लेकर नेतन्याहू ने क्या कहा ये आपको भी जानना चाहिए ताकि आप इस बड़े सैन्य अभियान के पीछे छिपा इजरायली मकसद पूरी तरह समझ सकें. नेतन्याहू ने दो टूक कहा, 'इजरायल के दुश्मन किसी भी देश की धरती पर हों, इजरायल उन्हें छोड़ेगा नहीं'.

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मल्टिपल WAR एक्शन

इसी इरादे की एक झलक गाजा से 65 मील दूर दक्षिणी लेबनान में भी नजर आई. जिस वक्त इजरायली फौज की 36वीं, 98वीं और 162वीं डिवीजन गाजा में हमास को निशाना बना रही थीं, उसी वक्त इजरायली सेना की उत्तरी कमान का हिस्सा यानी 91st डिवीजन लेबनान में सैन्य अभियान चला रही थी.

दक्षिणी लेबनान में इजरायली सेना ने हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया जिसमें हमले में हिज्बुल्लाह के 5 आतंकी मारे गए हैं. जिनमें एक वरिष्ठ कमांडर शामिल है. हालांकि फिलहाल इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच युद्धविराम है. लेकिन इजरायली फौज का दावा है कि मारे गए हिज्बुल्लाह आतंकी हथियारों का एक डिपो बनाने की फिराक में थे, इस वजह से उन्हें निपटा दिया.

हमास और हिज्बुल्ला, दोनों पर एक साथ हमले करके इजरायल ने बता दिया है कि कथित मुस्लिम नाटो के प्लान या उससे घमासान से इजरायल को कोई परहेज नहीं है. इस युद्ध के दौरान आपने कई बाऱ अखबारों में पढ़ा होगा कि फलां यूरोपीय देश ने इजरायल के ऊपर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है. फला-फला मानवाधिकार संगठन ने इजरायली कार्रवाई को नरसंहार करार दिया है.

'जल रहा है गाजा'

गाजा में इजरायल के सैन्य अभियान को लेकर ऐसा ही एक और नैरेटिव तैयार किया जा रहा है जो आपको भी बेहद गौर से समझना चाहिए. इजरायल के बड़े सैन्य अभियान को सिर्फ एक दिन का वक्त बीता है. लेकिन लिबरल लॉबी और उससे जुड़ी इंटरनेशनल मीडिया में एक लाइन बार-बाक इस्तेमाल की जा रही है- 'GAZA IS BURNING' यानी गाजा जल रहा है. इसका एक ही मतलब है कि इजरायली एक्शन के खिलाफ नेगेटिव नैरेटिव की स्क्रिप्ट काम कर रही है.

fallback

इजरायल के खिलाफ जो नया नैरेटिव गढ़ा जा रहा है. उसे फैलाने में सबसे आगे वो MEDIA OUTLETS यानी समाचार संस्थान हैं. जिन्हें मुस्लिम जगत के संभावित NATO के सदस्य यानी इस्लामिक देशों से शह और फंडिंग मिलती है. इस विश्लेषण की शुरुआत में हमने आपको बताया था कि इस्लामिक देशों की इस मीटिंग में ARAB NATO और JOINT TASK FORCE जैसे भारी भरकम शब्द इस्तेमाल किए गए थे. लेकिन जब मुलाकात का अधिकारिक बयान आया तो उसके सुर काफी बदले हुए थे.

अरब और इस्लामिक देशों के साझा बयान में कहा गया है. मुलाकात में शामिल सभी सदस्य देश इस बात पर सहमत हैं कि हमें इजरायल के साथ अपने आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों पर दोबारा गौर करना चाहिए और इजरायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायलय में जाना चाहिए. ताकि फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ इजरायली कार्रवाई को रोका जा सके.

तो ले देकर बात इतनी सी है कि जिस मीटिंग में  NATO जैसा सैन्य गठबंधन बनाने और इजरायल की सैन्य निगरानी करने जैसे दावे हुए थे. वो जाकर खत्म हुई अदालत से गुहार लगाने पर क्योंकि इस्लामिक और खासकर अरब देशों को पता है कि वो इजरायल से सीधी सामरिक टक्कर नहीं ले सकते. अरब देशों पर इजरायल की सैन्य विजय का लंबा चौड़ा इतिहास पूरी दुनिया को पता है. इसी वजह से माना जा रहा है कि गाजा में अगर कोई शांति ला सकता है तो वो किरदार है सिर्फ और सिर्फ हमास. इस थ्योरी को बल क्यों मिलता है. ये समझने के लिए आपको इजरायल की नेतन्याहू सरकार का एक ऐलान.

#DNAWithRahulSinha | गाजा में युद्ध के नए अध्याय का आरंभ, मुस्लिम देशों की टास्क फोर्स बनेगी या नहीं?#DNA #Israel #Gaza #Palestine #Netanyahu @RahulSinhaTV pic.twitter.com/Bsc0aVlNOk

— Zee News (@ZeeNews) September 16, 2025

पिछले महीने लेबनान में हिज्बुल्लाह को लेकर इजरायली वॉर कैबिनेट की एक बैठक हुई थी. जिसमें लेबनान में हिज्बुल्लाह के साथ स्थायी सीजफायर को लेकर एक प्रस्ताव रखा गया था. इस प्रस्ताव में दो शर्ते रखी गई थीं. पहली शर्त ये थी कि लेबनान अपने हथियार किसी तीसरे देश को सौंप दे और दूसरी शर्त थी कि दक्षिणी लेबनान में लेबनानी सेना का कंट्रोल रहे. अगर हिज्बुल्लाह ये दोनों शर्तें मानता है तो दक्षिणी लेबनान में हिज्बुल्ला के प्रभुत्व वाले इलाकों पर इजरायली सैन्य एक्शन पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा.

ऐसा ही प्रस्ताव युद्ध के मध्य भाग के दौरान इजरायल ने हमास को भी दिया था कि हमास अपने हथियार छोड़े. इजरायली बंधकों को रिहा करे और गाजा में चल रहा युद्ध खत्म हो जाए. हमास ने तब ये प्रस्ताव नहीं स्वीकार किया था इसी वजह से अब इजरायल की जगह सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इशारों में चेतावनी दे रहे हैं. अगर इजरायली बंधकों को कुछ हुआ तो ये हमास और गाजा के लिए अच्छा नहीं होगा.

अगर अमेरिका जैसी सुपरपावर का राष्ट्रपति ऐसे शब्द इस्तेमाल करे कि मैंने तो पहले ही बता दिया था. तो इसका एक मतलब ये भी हो सकता है कि अब ट्रंप ने भी स्वीकार कर लिया है. गाजा में इजरायली कार्रवाई को रोकना उनके बूते की बात नहीं और अगर वाकई यही सच है तो ये हमास के साथ ही साथ गाजा के निवासियों के लिए बहुत बुरी खबर है. हमास के आतंक और इजरायल की जिद के बीच पिछले दो वर्षों से गाजा और उसके निवासी लगातार पिस रहे हैं.

गाजा बसाने का प्लान 

गाजा में इतनी बर्बादी हो चुकी है कि अंतरिक्ष से भी गाजा धरती के बाकी हिस्सों से अलग नजर आता है. हमास और इजरायल का युद्ध शुरु होने से पहले गाजा में कई बहुमंजिला रिहायशी इमारतें थीं आज का गाजा बिल्डिंग विहीन नजर आता है. अगर गाजा को दोबारा बनाने की बात करें तो कुछ अनुमानों के मुताबिक गाजा को दोबारा खड़ा करने में तकरीबन 10 साल का वक्त लगेगा और इसकी लागत तकरीबन 53.2 बिलियन डॉलर पड़ेगी.

53.2 बिलियन डॉलर में क्या-क्या हो सकता है?

एक ठीक-ठाक अस्पताल बनाने की अनुमानित लागत तकरीबन 20 मिलियन डॉलर पड़ती है. यानी जितने पैसे में 2660 अस्पताल बनाए जा सकते हैं. उतने पैसे में सिर्फ गाजा का पुर्ननिर्माण होगा. इसी तरह अगर स्कूल,कॉलेजों के आधार पर तुलना की जाए, तो अनुमानित आधार पर एक बढ़िया कॉलेज बनाने की लागत तकरीबन 16 मिलियन डॉलर पड़ती है. यानी गाजा को दोबारा रहने लायक बनाने में जितना पैसा लगेगा उतने में 3325 कॉलेज बनाए जा सकते हैं.

गाजा की दिक्कत ये तो नहीं?

IMF ने 2025 के जो आंकड़े पेश किए उनके मुताबिक दुनिया के 80 फीसदी देशों की जीडीपी 53.2 बिलियन डॉलर से कम है. यानी जितनी रकम से गाजा को बसाने का हिसाब-किताब लगाया जा रहा है, उसमें बहुत कुछ हो सकता है. कई नेताओं और देशों ने गाजा के हाल के लिए नेतन्याहू और इजरायल को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन इस विभीषिका के पीछे अक्सर वही लोग हमास को जिम्मेदार ठहराने से बचते हैं, यह नैरेटिव भी बड़ी वजह है जिसके चलते गाजा का युद्ध और दर्द बढ़ता जा रहा है.'

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