G7 summit: 2 दिन दुनिया के 7 ताकतवर देशों के बीच भारत की क्या होगी भूमिका? पीएम मोदी की हुंकार सुनने को तैयार पूरा विश्व?

13 hours ago

G7 Leaders Summit: कनाडा के कनानास्किस में 15 से 17 जून 2025 तक चल रहे 51वें जी7 शिखर सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा मुख्य मुद्दे हैं. इस बार सम्मेलन को दो दिन का कर दिया गया है, जो 16 जून से शुरू हुआ. दुनिया के बड़े नेता अल्बर्टा के खूबसूरत रॉकी माउंटेन क्षेत्र में जुट रहे हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी इस बार के मेजबान हैं और उन्होंने भारत, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, ब्राजील, संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण अफ्रीका जैसे गैर-जी7 देशों को भी आमंत्रित किया है.

जी7 में सात देश जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं, साथ ही यूरोपीय संघ भी हिस्सा लेता है. यह अनौपचारिक मंच वैश्विक आर्थिक स्थिरता, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल बदलाव जैसे बड़े मुद्दों पर चर्चा का मौका देता है. सोमवार को जी7 नेताओं ने 90 मिनट का सत्र आयोजित किया, जिसमें ग्लोबल इकोनॉमी पर विचार-विमर्श हुआ, साथ ही आमंत्रित नेताओं के साथ ऊर्जा सुरक्षा पर कामकाजी लंच भी हुआ.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन में छठी बार हिस्सा ले रहे हैं, जो भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को दर्शाता है. कनाडा में कार्यवाहक भारतीय उच्चायुक्त चिन्मय नाइक ने कहा, “भारत का जी7 में छठी बार शामिल होना दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में हमारा देश कितना अहम हो गया है.” भारत ने पहले भी जी7 बैठकों में डिजिटल इकोनॉमी, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 जैसी चुनौतियों पर अपने विचार रखे हैं. इस बार भी पीएम मोदी ऊर्जा, नवाचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और क्वांटम तकनीक जैसे मुद्दों पर भारत का नजरिया पेश करेंगे.

सम्मेलन में ऊर्जा सुरक्षा और डिजिटल बदलाव के अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध, इजरायल-ईरान तनाव और चीन के साथ व्यापारिक मुद्दों पर भी चर्चा होगी. भारत, जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल बुनियादी ढांचे में अहम भूमिका निभा रहा है. जी7 नेताओं का मानना है कि भारत की मौजूदगी वैश्विक चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में, समावेशी चर्चा के लिए जरूरी है.

कनाडा ने इस साल जी7 की अध्यक्षता संभाली है और उसने तीन मुख्य लक्ष्य रखे हैं: वैश्विक समुदायों की सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और डिजिटल बदलाव को बढ़ावा देना, और भविष्य की साझेदारियां बनाना. कनानास्किस में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं, और प्रदर्शनों के लिए कैलगरी और बान्फ में खास क्षेत्र बनाए गए हैं. स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी इस आयोजन से बड़ा फायदा होने की उम्मीद है, जिसमें कैलगरी और आसपास के इलाकों में करीब 190 मिलियन डॉलर का आर्थिक लाभ हो सकता है.

इस सम्मेलन में भारत और साइप्रस के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूत करने पर भी जोर दिया गया. साइप्रस के राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देश विश्वास और साझा मूल्यों के आधार पर रणनीतिक साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं. यह आयोजन न सिर्फ वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनाने का मंच है, बल्कि भारत जैसे उभरते देशों को वैश्विक मंच पर अपनी ताकत दिखाने का मौका भी देता है.

Read Full Article at Source