Last Updated:June 16, 2025, 18:34 IST
एक ऊंचा सा पक्षी ऐसा होता है कि 45-50 डिग्री की गर्मी भी उसको परेशान नहीं करती. गर्मी में रहने पर भी उसके शरीर में पानी की कमी नहीं होती

हाइलाइट्स
शुतुरमुर्ग 50 डिग्री तापमान में भी जीवित रह सकता हैशुतुरमुर्ग 70 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता हैशुतुरमुर्ग बिना पानी के कई दिन तक रह सकता हैउत्तर भारत में पिछले दिनों जिस तरह की भीषण गर्मी पड़ी, उससे मनुष्य तो क्या पशु पक्षी भी बेहाल दिखे लेकिन एक पक्षी ऐसा भी था, जिस पर 45 डिग्री तापमान का भी कोई असर नहीं पड़ा. वो मजे से रहता रहा. इस तापमान ने उसको कतई परेशान नहीं किया. ये दुनिया का सबसे बड़ा और भारी पक्षी है. केवल दिल्ली के चिड़ियाघर में नहीं है बल्कि देश के कई और चिड़ियाघरों में उसको देख सकते हैं.
हम आपको बता देते हैं कि ये पक्षी कौन है. इसे शुतुरमुर्ग यानि आस्ट्रिच कहा जाता है. ये दुनिया का सबसे बड़ा और भारी पक्षी है, जो उड़ नहीं सकता, लेकिन अपनी तेज़ दौड़ और अनोखे शारीरिक गुणों के कारण फेमस है. ये पक्षी मुख्य रूप से अफ्रीका के रेगिस्तानी और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है, जहां तापमान अक्सर 50 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है. यह पक्षी 5°C से लेकर 45°C या उससे भी अधिक तापमान में आसानी से जीवित रह सकता है.
भीषण गर्मी में भी नो प्राब्लम
इतनी भीषण गर्मी में भी शुतुरमुर्ग आराम से जीवित रहता है, जिसके पीछे इसकी शारीरिक संरचना, व्यवहार और हर स्थिति के साथ पटरी बिठा लेने की क्षमता जिम्मेदार है.
शुतुरमुर्ग के पंख नरम और ढीले होते हैं, जो उड़ने के लिए उपयोगी नहीं होते, लेकिन ये गर्मी से बचाव में मदद करते हैं. पंख शुतुरमुर्ग की त्वचा को सीधी धूप से बचाते हैं. जब ये अपने पंखों को हिलाता है, तो यह शरीर के आसपास हवा का प्रवाह बढ़ाकर ठंडक पैदा करता है.
टांगे भी गर्मी प्रूफ
शुतुरमुर्ग की टांगें लंबी और मजबूत होती हैं, जो धरती की गर्मी से दूर रहने में सहायक हैं. इसके अलावा टांगों की त्वचा पतली होती है, जिससे गर्मी आसानी से बाहर निकल जाती है.
फेफड़े भी गर्मी में ये काम करते हैं
शुतुरमुर्ग के फेफड़े बड़े और कुशल होते हैं, जो गर्म हवा को शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं. इसके अलावा, यह अपनी सांसों की गति बढ़ाकर अधिक ऑक्सीजन लेता है, जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है. शुतुरमुर्ग के शरीर में पसीना नहीं आता, जिससे पानी की बचत होती है। यह पानी की कमी वाले इलाकों में जीवित रहने के लिए अनुकूल है.
यूं बचाता है अपने शरीर का पानी
गरमी में अगर पानी की कमी भी हो जाए तो ये उसको खास तरीके से बर्दाश्त करके गर्मी को बखूबी झेल लेगा. शुतुरमुर्ग ने अपने शरीर से पानी की बर्बादी को कम करने के लिए विशेष तरीके विकसित किए हैं. शुतुरमुर्ग के गुर्दे पानी को वापस अवशोषित कर लेते हैं, जिससे मूत्र गाढ़ा और कम मात्रा में निकलता है. शुतुरमुर्ग का पाचन तंत्र इतना कुशल है कि मल में भी नमी की मात्रा बहुत कम होती है.
बिना पानी के कई दिन रह सकता है
शुतुरमुर्ग बिना पानी के कई दिन तक रह सकता है. यह अपने भोजन (जैसे पौधे, फल, बीज) से ही काफी मात्रा में पानी प्राप्त कर लेता है. समुद्री जल पीने पर भी शुतुरमुर्ग के शरीर में मौजूद विशेष ग्रंथियां अतिरिक्त नमक को बाहर निकाल देती हैं.
शुतुरमुर्ग के जीन में ऐसी विशेषताएं हैं जो उसे तापमान के बड़े उतार-चढ़ाव को झेलने में मदद करती हैं. वैज्ञानिकों ने पाया है कि शुतुरमुर्ग की प्रजाति में गर्मी और सर्दी दोनों को सहने की क्षमता पाई जाती हैं, लेकिन यह क्षमता जीवन के अलग-अलग चरणों में बदल सकती हैं.
हालांकि शुतुरमुर्ग भीषण गर्मी सह सकता है, लेकिन तापमान में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से उसकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है. उदाहरण के लिए, मादा शुतुरमुर्ग अत्यधिक गर्मी में 40% तक कम अंडे दे सकती है.
कार की स्पीड से दौड़ सकता है
शुतुरमुर्ग 70 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है. लगातार 30-40 मिनट तक 50 किमी/घंटा की स्पीड बनाए रख सकता है. इसके अंडे की लंबाई 6 इंच तक होती है और वजन 1.5 किलोग्राम तक हो सकता है. शुतुरमुर्ग के एक लात से शेर जैसे बड़े शिकारी की हड्डी भी टूट सकती है. शुतुरमुर्ग की तीन पलकें होती हैं, जो रेतीले तूफानों से आँखों की रक्षा करती हैं. यह 40-50 साल तक जीवित रह सकता है. यह एकमात्र पक्षी है जिसके पैरों में केवल दो उंगलियां होती हैं.
संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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