अब हम भारत में अमेरिका के नए राजदूत सर्जियो गोर की नियुक्ति का विश्लेषण करेंगे. जिन्हें कुछ लोग भारत में ट्रंप का जासूस बता रहे हैं. ट्रंप के कुछ पुराने दोस्त भारत में अमेरिका के नए राजदूत को सांप भी कहा करते हैं. सर्जियो गोर का जन्म अमेरिका के कट्टर दुश्मन सोवियत संघ में हुआ था फिलहाल वो डोनाल्ड ट्रंप के राइट हैंड बने हुए हैं. ऐसे में अब आपको ये समझना चाहिए कि जिस वक्त भारत और अमेरिका के रिश्ते सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. अमेरिका भारत पर टैरिफ बढ़ाता जा रहा है और अमेरिका के अंदर भी ट्रंप को भारत से रिश्ते खराब करने के लिए कोसा जा रहा है. उस वक्त ट्रंप ने अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगी को नई दिल्ली में बिठाने की तैयारी क्यों की है.
आपको ये भी जानना चाहिए सर्जियो गोर की नीयुक्ति का भारत अमेरिका संबंधों पर क्या असर पड़ेगा. क्या सर्जियो गोर भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ रही खाई को भरेंगे या फिर नए राजदूत की एंट्री के साथ ये खाई और ज्यादा चौड़ी हो जाएगी. इस विश्लेषण में सबसे पहले जानीए ट्रंप और सर्जियो गोर का रिश्ता कैसा है. इसे समझने के लिए आपको भारत में अमेरिका के नए राजदूत के नाम की जानकारी देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान के बारे में जानना चाहिए. जिसमें उन्होंने गोर की तारीफों में कसीदे पढ़ते हुए ये बता दिया कि वो अपने बेहद करीबी व्यक्ति को दिल्ली भेज रहे हैं. ट्रंप ने कहा, 'सर्जियो मेरे अच्छे दोस्त हैं, जो कई सालों से मेरे साथ रहे हैं. उन्होंने मेरे ऐतिहासिक राष्ट्रपति अभियानों में काम किया, मेरी बेस्ट-सेलिंग किताबें प्रकाशित कीं और हमारे आंदोलन को समर्थन देने वाले सबसे बड़े सुपर पीएसी में से एक को चलाया.'
यानी ट्रंप ने बताया उनको पावर और पैसा देने के हर काम में गोर एक्सपर्ट हैं. हालांकि ट्रंप का अच्छा दोस्त वही होता है जो उनको फायदा पहुंचाता है. इसके अलावा ट्रंप ने गोर को दक्षिण एशिया भेजने के अपने प्लान का भी खुलासा कर दिया है.
ट्रंप ने कहा - दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र यानी दक्षिण और मध्य एशिया के लिए यह ज़रूरी है कि मेरे पास ऐसा व्यक्ति हो जिस पर मैं पूरी तरह भरोसा कर सकूं और जो मेरा एजेंडा आगे बढ़ाने में मदद करे, ताकि हम 'अमेरिका को फिर से महान बना सकें.' सर्जियो एक शानदार राजदूत साबित होंगे.
यानी दक्षिण एशिया में अपने एजेंडे को लागू करने के लिए ट्रंप ने गोर को दिल्ली भेजा है. इस क्षेत्र से अधिक से अधिक लाभ हासिल करने के लिए ट्रंप ने ये नई नियुक्ति की है इसीलिए लिए ट्रंप ने गोर को दो प्रमुख पद दिए हैं.
-सर्जियो गोर को भारत का नया राजदूत बनाने का एलान किया गया है
-गोर अब दक्षिण और मध्य एशिया के लिए ट्रंप के विशेष दूत होंगे.
-भारत ही नहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में भी गोर की मदद से ट्रंप अपना एजेंडा लागू कराने की कोशिश करेंगे.
-मध्य एशिया के 5 पूर्व सोवियत देशों यानी कजाखस्तान, उज़्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और तुर्कमेनीस्तान पर भी ट्रंप के एजेंडे को लागू करवाने की जिम्मेदारी अब सर्जियो गोर के पास रहेगी. खैर गोर का जन्म भी तो उज़्बेकिस्तान में 1986 में हुआ था और वो भारत में अमेरिका के सबसे कम उम्र के राजदूत होंगे.
लेकिन इस काम के लिए ट्रंप ने गोर को ही क्यों चुना? किस तरह गोर उनका एजेंडा भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया में लागू करवाएंगे. क्यों ट्रंप, सर्जियो गोर पर आंख मूंद कर इतना भरोसा करते हैं. इसे समझने के लिए आपको गोर के बारे में 5 बड़ी बातें जाननी चाहिए.
- सर्जियो गोर पक्के दोस्तों को कट्टर दुश्मन बनाने में माहिर हैं.
- अमेरिका में गोर को पक्का चुगलखोर कहा जाता है. इधर की उधर करके ये अक्सर ट्रंप का हृदय परिवर्तन करवा देते हैं.
- गोर, ट्रंप का एजेंडा लागू करवाने में एक्सपर्ट हैं, ऐसा करके ही वो ट्रंप के इतने खास बने हैं.
- भारत में अमेरिका के नए राजदूत बॉस को खुश करने के माहिर हैं.
- सर्जियो गोर अपने फायदे के लिए दूसरों की जड़ खोदने में भी एक्सपर्ट हैं.
ट्रंप ने भारत में स्थायी अमेरिकी राजदूत के पद को भरने के लिए सर्जियो गोर को भारत भेजा है. ये पद एरिक गार्सेटी के जाने के बाद 7 महीनों से खाली पड़ा था. आप सोच रहे होंगे हमने भारत के नए राजदूत चुने गए सर्जियो गोर की जिन 5 विशेषताओं के बारे में बताया है उनका आधार क्या है? तो आपको अमेरिका में सर्जियो गोर की छवि को उदाहरण के साथ समझना चाहिए, क्योंकि अब इसका असर आने वाले वक्त में भारत में भी दिखाई पड़ सकता है.
सबसे पहले समझिए गोर पक्के दोस्तों को कट्टर दुश्मन बनाने में कैसे माहिर हैं. तो सर्जियो गोर को ही अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और अरबपति अमेरिकी एलन मस्क के बीच दरार पैदा करने वाला शख्स माना जाता है. एलन मस्क वो शख्स हैं जिन्होंने ट्रंप को राष्ट्रपति बनवाने के लिए अपना पैसा, पावर सब कुछ लगा दिया था. लेकिन एक वक्त ऐसा आया कि ट्रंप, मस्क को अमेरिका से बाहर निकालने का बयान देने लगे और इस दोस्ती का द इंड किसी और ने नहीं भारत के नए राजदूत चुने गए सर्जियो गोर ने करवाया था. इसीलिए मस्क गोर से इतने नाराज़ हुए कि उनको सांप तक बता दिया. वो सांप जो विश्वासघात करता है, वो सांप जो आस्तीन में रहता है और मौका मिलते ही डस लेता है. सोचिए एलन मस्क, सर्जियो गोर से कितने नाराज़ होंगे कि उनके लिए सांप शब्द का इस्तेमाल कर दिया. मस्क ने ऐसा क्यों कहा, आप ये भी जानिए.
-मस्क को ट्रंप ने सरकारी दक्षता विभाग का हेड बनाया. जिसका मकसद सरकार के प्रशासनिक काम को सुधारना और प्रभावी बनाना था.
-गोर को प्रेसिडेंसियल पर्सनल आफिस का निदेशक चुना. ट्रंप के करीबी होने के बाद गोर ने मस्क के राह में लगातार रोड़े अटकाए.
-मस्क ने व्हाइट हाउस में सरकारी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की योजना बनाई तो गोर ने उसे WH के पारंपरिक ढांचे के खिलाफ बताया.
-मस्क चाहते थे ट्रंप प्रशासन के कुछ प्रमुख पदों पर पर उनके करीबियों की नियुक्ति हो जाए, गोर ने ये भी न होने दिया.
-मस्क का मानना था कि गोर ने उन्हे राजनीतिक फैसलों से अलग किया, क्योंकि ट्रंप-मस्क की नजदीकी वो अपने लिए खतरा मानते थे.
- सरकारी विभागों में नियुक्ति में विवाद के बाद ही मस्क ने सरकारी दक्षता विभाग से इस्तीफा दिया. जिसका जिम्मेदार मस्क, गोर को मानते हैं.
सर्जियो गोर की चुगलखोरी के किस्से भी अमेरिका के अखबारों में अक्सर छपते रहते हैं. अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक़ गोर ने चुगलखोरी करके मस्क के एक करीबी को नासा का चीफ नहीं बनने दिया था.
- ट्रंप ने अमेरिकी कारोबारी जैरेड आइज़ैकमैन को मस्क की सिफ़ारिश पर नासा का प्रमुख बनाने का फैसला लिया था.
- सर्जियो गोर ने चुपचाप ट्रंप को ये जानकारी दी कि मस्क के करीबी आइज़ैकमैन ने चुनाव में डेमोक्रेट्स को भी चंदा दिया.
- इसके बाद ट्रंप ने आइज़ैकमैन का नॉमिनेशन सीनेट से वापस ले लिया. यानी सर्जियो गोर की शिकायत पर आइज़ैकमैन नासा प्रमुख नहीं बन पाए.
सर्जियो गोर ट्रंप का एजेंडा लागू करवाने में भी माहिर हैं.
- ट्रंप खुद बता चुके हैं प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस के डायरेक्टर के तौर पर गोर ने फेडरल सरकार के हर विभाग में 4000 राष्ट्रवादियों और अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलने वाले लोगों को रखा था.
- इसका सीधा मतलब है..अमेरिका के सरकारी विभागों में ट्रंप समर्थकों की नीयुक्ति की थी
- गोर ने इसके लिए आवेदकों से छांट छांट कर उन लोगों को बाहर कर दिया जिनकी विचारधारा ट्रंप से मेल नहीं खाती थी । इसलिए उनकी अमेरिका में काफी आलोचना भी हुई.
गोर, व्हाइट हाउस में ट्रंप के सबसे करीबी सलाहकार इसलिए बन पाए. क्योंकि अमेरिका मीडिया भी उनको यस बॉस कहने में एक्सपर्ट मानती है. व्हाइट हाउस में गोर ने अपनी नेटवर्किंग का इस्तेमाल करते हुए उन सभी लोगों से अच्छे रिश्ते बना लिए जो ट्रंप के लिए अहम थे. इसीलिए ट्रंप के फैसलों पर उनका असर दिखाई देता है.
इसके अलावा गोर अपने फायदे के लिए दूसरों की जड़ खोदने में भी माहिर हैं. गोर ने ट्रंप को खुश करने के लिए हज़ारों प्रशासनीक नीयुक्तियों के लिए जांच पड़ताल करवाई. काबिल होने के बावजूद ट्रंप विरोधियों को इस सूची से बाहर कर दिया. ताकि ट्रंप उनसे खुश रहें. लेकिन जब खुद की सुरक्षा मंजूरी से जुड़े कागजात दाखिल करने की बात आई तो टाल मटोल करने लगे. यानी अपने बनाये नियमों को भूल गए.
और इतनी सारी काबिलियत रखने वाले गोर को डॉनल्ड ट्रंप भारत भेजने वाले है. अमेरिका के कुछ एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं. अब ट्रंप और भारत के रिश्तों को साधने में गोर बड़ी भूमिका निभाएंगे क्योंकि गोर पर ट्रंप को पूरा भरोसा है. इसलिए भारत में बैठकर वो जैसा फीडबैक देंगे. उस पर डॉनल्ड ट्रंप आसानी से भरोसा करेंगे. इसके अलावा अगर अमेरिका से ट्रंप ने गोर को कुछ खास एजेंडा देकर भेजा तो वो भारत में बैठकर इसे भी लागू करवाने की कोशिश करेंगे.
इस वक्त डॉनल्ड ट्रंप का रुख भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के समर्थन में दिखाई दे रहा है. लेकिन अमेरिका में भारत से संबंधों को बिगाड़ने पर ट्रंप का विरोध भी हो रहा है. भारत की नाराजगी से आने वाले वक्त में संभावित रणनीतिक नुकसानों के बारे में ट्रंप को बताया जा रहा. इसे समझते हुए ट्रंप ने अपनी रणनीति बदली तो गोर की नीयुक्ति भारत के लिए फायदेमंद होगी नहीं तो गोर भारत की मुश्किल बढ़ा भी सकते हैं. क्योंकि दिल्ली में बैठकर ही वो बांग्लादेश पाकिस्तान और अफगानिस्तान को भी साधेंगे. अभी गोर की नीयुक्ति को सीनेट से मंजूरी मिलनी बाकी है. हालांकि इसे एक औपचारिकता माना जा रहा है.
भारत के राजदूत और दक्षिण एशिया मामलों के दूत के तौर पर गोर की नियुक्ति के एक और मायने निकाल रहे हैं. कुछ अमेरिकी एक्सपर्ट का मानना है, ट्रंप भारत और पाकिस्तान में सुलह की कोशिश करना चाहते हैं. सिर्फ एक दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशहाक डार ने भी भारत से वार्ता की इच्छा जाहिर की थी. इससे पहले भी पाकिस्तान के नेता भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका से मध्यस्थता की मांग कर चुके हैं. लेकिन भारत ने ऐसे किसी भी विचार को नकारा है. यानी ट्रंप चाहें जिस योजना के साथ गोर को भारत भेजने की तैयारी कर रहे हों भारत ने ट्रेड डील और पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर जो रेड लाइन खींच दी है. उससे भारत पीछे नहीं हटने वाला. भारत पर बढ़ रहे अमेरिकी टैरिफ के दबाव के बीच भारत ने एक बार फिर से ये बात साफ कर दी है.