DNA:पाकिस्तान को तालिबान में अब दिखता है 'आतंक', PAK के 'घड़ियाली आंसू' का विश्लेषण

4 weeks ago

DNA Analysis: अब हम डीएनए में आतंकवाद पर पाकिस्तान के दोहरे चरित्र और घड़ियाली आंसुओं का डीएनए टेस्ट करेंगे. आपने एक मशहूर फिल्मी संवाद जरूर सुना होगा जिसमें अपने जमाने में बेहतरीन संवाद अदायगी के लिए पहचान बनाने वाले अभिनेता राजकुमार विलेन से कहते हैं. जिनके अपने घर शीशे के हों वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते इसका सीधा मतलब यही होता है जब अपने भीतर वही कमियां हों तो दूसरों की निंदा नहीं करनी चाहिए लेकिन भारत के पड़ोस में मौजूद आतंकी मुल्क पाकिस्तान को ये बात बिल्कुल भी समझ में नहीं आती. पाकिस्तान अपने घर में आतंक की खेती करता है. भारत और दुनिया के दूसरे मुल्कों में आतंक का एक्सपोर्ट करता है लेकिन वैश्विक मंचों में खुद को इसी आतंक का पीड़ित बताकर दूसरों की शिकायत करता है.

आज आपको जानना चाहिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने किस तरह अफगानिस्तान की शिकायत करके आतंक पर घड़ियाली आंसू बहाए जो पाकिस्तान खुद आतंकी संगठनों को पनाह देने उनको ट्रेनिंग और हथियार देने दूसरे मुल्कों में उनकी घुसपैठ करवाने के​ लिए बदनाम है. जिस पाकिस्तान में आतंकवादियों को तैयार करना एक कारोबार है वो कितनी बेशर्मी के साथ अफगानिस्तान पर आतंकी संगठनों की मौजूदगी का इल्जाम लगा रहा है. आज आपको ये भी जानना चाहिए जिस पाकिस्तान से रोजाना वैश्विक आतंकवादी और उनका संगठन चिल्ला चिल्लाकर अपनी मौजूदगी का सबूत दुनिया को दे रहे हैं. वो आतंकी खुद पाकिस्तान को क्यों नहीं दिखाई देते और भारत ने अब इन पाकिस्तानी आतंकवादियों को लेकर क्या बड़ा बयान दिया है लेकिन सबसे पहले आपको जानना चाहिए. पाकिस्तान ने यूएन में अफगानिस्तान पर कौन कौन से गंभीर आरोप लगाए किस तरह अफगानिस्तान को आतंकवाद का गढ़ बताया.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असिम इफ्तिकार अहमद ने इस मंच पर 11 मिनट 21 सेकेंड तक अपनी बात रखी और आप जानकार हैरान रह जाएंगे. अपने संबोधन में उन्होंने अफगानिस्तान पर हर वो इल्जाम लगाया जिसे वो कई दशकों से खुद लगातार अंजाम दे रहा है आज आपको ​असिम इफ्तिखार के बयान के एक अंश को बहुत ध्यान से सुनना चाहिए. जिसमें वो अफगानिस्तान को आतंक पर सीख दे रहे हैं और खुद को इस आतंकवाद का पीड़ित बता रहे हैं तो पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान में 60 से ज्यादा आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर हैं जो सीमा पार घुसपैठ और हमलों के लिए लॉन्च पैड का काम करते हैं लेकिन पाकिस्तान ने ये नहीं बताया खुद उसके मुल्क में इससे कहीं ज्यादा आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप और लॉन्च पैड मौजूद हैं.

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जो बात पाकिस्तान ने यूएन में नहीं बताई वो आज हम आपको बताएंगे लेकिन पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने और कौन कौन सा मजाक किया उसके बारे में भी जान लीजिए. पाकिस्तान ने यूएनएससी में अफगानिस्तान में एक्टिव टेरर कैंपों पर कार्रवाई की मांग की है पाकिस्तान ने आरोप लगाया है तालिबान की सरकार इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है पाकिस्तान ने दावा किया है उसके पास पाकिस्तान पर हमला करने वाले आतंकवादियों के अफगानिस्तान में प्रशिक्षण और मौजूदगी के सबूत मौजूद हैं. पाकिस्तान का दावा है. अफगानिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों ने उस पर हमला करने के लिए हाथ मिला लिया है. ये आतंकी संगठन मिलकर प्रशिक्षण ले रहे हैं. हथियारों की तस्करी कर रहे हैं यानी पाकिस्तान कहना चाहता है अफगानिस्तान में उसके खिलाफ अतांकियों ने एक इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर बना लिया है. 
 
यूएनएससी में पाकिस्तान ने ये आरोप भी लगाया है अफगान इंटरनेट सर्वरों से जुड़े करीब 70 प्रचार अकाउंट्स कट्टरपंथी सामग्री फैला रहे हैं. पाकिस्तान ने तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है. पाकिस्तान ने दावा किया है इसके 6 हजार से ज्यादा लड़ाके अमेरिकी हथियारों से लैस होकर पाकिस्तान पर हमला करने की फिराक में है. पाकिस्तान ने ये भी बताया कि सिर्फ इस महीने में पाकिस्तानी सेना के 12 सैनिकों को इन आतंकियों ने मार दिया हालांकि अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान ने पाकिस्तान के इन दावों को खारिज कर दिया है लेकिन पाकिस्तान के इन दावों को सुनकर आपको बहुत कुछ याद आ रहा होगा. भारत भी सारी दुनिया को बताता था किस तरह पाकिस्तान में उसकी आतंकी सेना से प्रशिक्षित आतंकी घुसपैठ करके भारत में हमला करते हैं.

पाकिस्तान से आए आतंकियों ने भारत की संसद और मुंबई में 26/11 जैसा हमला किया, भारत ने भी इससे जुड़े सबूतों के अनगिनत डोज़ियर पाकिस्तान को सौंपे लेकिन पाकिस्तान की आतंकी नीति नहीं बदली और अब यही सब कुछ पाकिस्तान के साथ हो रहा है. पाकिस्तान का ये हाल देखकर आपको एक कहावत भी याद आ रही होगी कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए यानि हो सकता है. जो आतंकी आज पाकिस्तान पर हमला कर रहे हैं उनको प्रशिक्षित करने वालों को पाकिस्तान की सेना ने पकिस्तान की जमीन पर ही ट्रेंड किया हो इसीलिए पाकिस्तान की ये शिकायतें दुनिया के लिए भी एक मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है और यही वजह है कि यूएनएससी भी पाकिस्तान की बातों को बहुत गंभीरता से नहीं ले रहा.

एक तरफ पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के खिलाफ एक्शन करने की मांग की. दूसरी तरफ भारत ने अफगानिस्तान के लोगों के बारे में सोचा और इस मंच से दुनिया को भी अफगानिस्तान में बुरी हालत में रह रहे आम लोगों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने की अपील की यूएनएससी में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने कहा संघर्ष के बाद अफगानिस्तान की रणनीति में सकारात्मक कदमों के लिए इनाम और हानिकारक कार्रवाइयों के लिए परिणाम दोनों का प्रावधान होना चाहिए. सिर्फ तालिबान को सजा देना मददगार नहीं होगा और अफगान लोगों की मदद करने के लिए नए और रचनात्मक तरीकों की जरूरत है. इसके अलावा भारत ने दुनिया से इस बात की अपील भी की पाकिस्तान की धरती से संचालित लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन अफगानिस्तान की धरती का दुरुपयोग न कर सकें. 

आज आपको ये भी जानना चाहिए पाकिस्तान की शिकायतों पर आज सारी दुनिया को क्यों हंसी आ रही होगी और कैसे उनकी धरती पर पनप रहे आतंकी संगठन और आतंकी पाकिस्तान के गुनाहों की गवाही दे रहे हैं. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में 60 आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों और 6 हजार आतंकी होने का आरोप लगाया है लेकिन दुनिया को ये नहीं बताया खुद उसकी धरती पर आतंकियों के कितने ट्रेनिंग सेंटर मौजूद हैं. सबसे पहले आप पाकिस्तान के अंदर इसके 3 लाइव सबूत देखिए जो पिछले तीन दिनों के अंदर सामने आए हैं. पहला आतंकी जैश ए मोहम्मद का मसूद इलियास कश्मीरी है. जिसके साथ स्टेज पर ही आतंकियों की फौज खड़ी है ये पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में भारत अमेरिका और इज़रायल के खिलाफ जिहाद की बातें कर रहा है लेकिन पाकिस्तान को अपनी जमीन पर खड़ा ये आतंकी नहीं दिखता दूसरा आतंकी लश्कर ए तैयबा का डिप्टी चीफ और भारत में 26 निर्दोष लोगों की हत्या का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह कसूरी है. 

जो भारत को धमका रहा है तीसरा आतंकी भी लश्कर ए तैयबा का कमांडर आतंकी कासिम है. जो बता रहा है आपरेशन सिंदूर में नष्ट किए गए आतंकी ट्रेनिंग कैंपों को पाकिस्तान की सरकार फिर से खड़ा करवा रही है. आज इन तीनों आतंकियों की बात आपको बहुत ध्यान से सुननी चाहिए. आप समझ पाएंगे अफगानिस्तान को आतंक के लिए पानी पीकर कोस रहा पाकिस्तान कितने दोहरे चरित्र का है. इन पाकिस्तानी आतंकियों के बयान सुनकर आप सोच रहे होंगे ऑपरेशन सिंदूर के बावजूद ये आतंकी इतनी बयानबाज़ी कैसे कर पा रहे हैं तो इसकी वजह है पाकिस्तान की सरकार और आतंकी सेना जो इनके आतंक के अड्डों का सरकारी पैसों से निर्माण करवा रही है. जो इनके मारे जाने पर सेना और पुलिस के अफसरों को इनकी मैय्यत मे भेजती है इनको मुआवज़ा देती है और इसके बाद अफगानिस्तान पर इल्जाम लगाती है. 

वहां पर प्रशिक्षित आतंकी पाकिस्तान में हमले कर रहे हैं आज आपको ये भी जानना चाहिए अफगानिस्तान पर आरोप लगाने वाले पाकिस्तान ने खुद कितने आतंकी प्रशिक्षण केंद्र खोल रखे हैं और कितने आतंकी संगठन पाकिस्तान की धरती से ऑपरेट कर रहे हैं. 
पाकिस्तान की जमीन पर इस वक्त छोटे बड़े 150 से अधिक आतंकवादी संगठन मौजूद हैं. ये संख्या दुनिया में किसी भी देश में मौजूद आतंकी संगठनों से ज्यादा है यानि आप कह सकते हैं पाकिस्तान आतंकवादियों का सबसे बड़ा सुपर मार्केट है. पाकिस्तान की इस आतंकी सुपर मार्केट में हथियारबंद 25 से 30 हजार आतंकवादी मौजूद हैं. ये संख्या मालदीव और भूटान जैसे छोटे देशों की सेना से भी ज्यादा है. पाकिस्तान से आपरेट कर रहे तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकवादी संगठनों पर परमाणु बम रखने वाले और सउदी की सुरक्षा के लिए समझौता करने वाले पाकिस्तान का कोई जोर नहीं चलता. 

इनके इलाकों में पाकिस्तान की सेना भी नहीं घुस सकती. इनके अलावा यूएनएससी और दुनिया में प्रतिबंधित 7 से 8 आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की सरकार खुद प्रायोजित करती है. इसमें शामिल लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, ​हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन पर भारत पर हमले करते रहते हैं और इनके कमांडर पाकिस्तान में खुलेआम रैलियां करते हैं. पाकिस्तान कैसे आतंकवादियों का सुपर मार्केट बना आज आपको ये भी जानना चाहिए. 1980 के दशक में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने अफगान मुजाहिदीन को अमेरिकी सहायता से ट्रेनिंग दी. अमेरिका से डॉलर लेकर आतंकी प्रशिक्षण केंद्र बनाए. आतंक की इकोनॉमी से पाकिस्तान खूब फला फूला इसके अलावा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को अफगानिस्तान के युद्ध क्षेत्रों में लड़ाई के लिए प्रशिक्षण और हथियार दिए. अब पाकिस्तान से ट्रेनिंग पाया टीटीपी पाकिस्तान की जान का दुश्मन बन गया है यानि आतंक का जो इंफ्रास्ट्रक्चर पाकिस्तान ने दूसरे देशों के लिए तैयार किया था आज वो उसको ही तकलीफ दे रहा है लेकिन पाकिस्तान अपने देश के अंदर नहीं देखता अफगानिस्तान की UNSC में शिकायत करता है. 

वैसे UNSC में पाकिस्तान के लिए मुसीबत बनी बलोच लिबरेशन आर्मी और उसकी फिदायीन मजीद बिग्रेड के खिलाफ अमेरिका ने भी पाकिस्तान को झटका दिया है.चीन और पाकिस्तान ने मिलकर बलोचिस्तान में पाकिस्तान की फौज और चीन के नागरिकों पर हमला कर रही बलोच लिबरेशन आर्मी और उसकी मजीद ब्रिगेड को आतंकी संगठन घोषित करने का प्रस्ताव यूएनएससी में रखा जिस पर अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस ने वीटो कर दिया इन देशों ने बलोच लिबरेशन आर्मी के अलकायदा या आईएसआई के साथ संबंध के पर्याप्त सबूत ना होने को इसकी वजह बताया. जबकि कुछ दिनों पहले अमेरिका ने ही बीएलए को विदेशी आतंकी लिस्ट में डाला था इसे चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि चीन पाकिस्तान के कहने पर भारत के खिलाफ साजिश करने वाले आतंकियों को ऐसे ही वीटो लगाकर बचाता रहा है. 

इसके अलावा जिस अफगानिस्तान में पाकिस्तान ने आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर होने के आरोप लगाए हैं उस अफगानिस्तान में अब डोनाल्ड ट्रंप फिर से वापसी करना चाहते हैं. 20 साल बाद अफगानिस्तान से वापसी करने वाला अमेरिका एक बार फिर से अफगानिस्तान में एंट्री करने का प्लान बना रहा है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इसकी जानकारी दी है. इसे दक्षिण एशिया में चीन-पाकिस्तान के गठबंधन को शॉक देने वाली सबसे बड़ी खबर माना जा रहा है, सबसे पहले आप सुनिए डॉनल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में वापसी को लेकर कौन सा बड़ा एलान किया. यानि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलकर कहा है वो अफगानिस्तान से बगराम एयरबेस चीन को काउंटर करने के लिए वापिस लेना चाहते हैं. अमेरिका को इस बात की आशंका है ये चीन के हाथ में भी आ सकता है आज आपको ये भी समझना चाहिए आखिरकार ट्रंप के अफगानिस्तान वापसी के प्लान की वजह क्या है. ये एयरबेस अमेरिका के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है और क्या अफगानिस्तान इसे दोबारा अमेरिका को इतनी आसानी से सौंप देगा.

तालिबान के खिलाफ लड़ाई और काबुल पर अपने नियंत्रण के लिए अमेरिका ने 2001 में बमबारी करके बगराम एयरबेस पर कब्जा किया और अगले 20 साल तक ये अफगानिस्तान में अमेरिका का मुख्य सैन्य अड्डा बना रहा. अमेरिका ने इस एयरबेस का 77 एकड़ में विस्तार किया था. यहां पर नई हवाई पट्टी बनाई थी और ये आज भी अफगानिस्तान में मौजूद सबसे बड़ा एयरबेस है. अमेरिका फिर से इसे वापस लेना चाहता है क्योंकि एयरबेस पर कब्जे से अमेरिका को चीन पर निगरानी और जवाबी क्षमता की ताकत मिल जाएगी. चीन के शिनजियांग क्षेत्र में मौजूद प्रमुख परमाणु स्थलों लॉप नू, हमी और शीली से बगराम एयरबेस की दूरी 700-1000 किमी की दूरी है. अमेरिका बगराम से ड्रोन, सैटेलाइट डेटा और साइबर मॉनिटरिंग की मदद से चीन की परमाणु निगरानी कर सकता है. 2024 तक चीन के पास 600 से अधिक परमाणु हथियार होने की आशंका जाहिर की गई थी. 

चीन ने 2030 तक इनकी संख्या 1000 तक पहुंचाने की योजना बनाई है ये ताकत चीन अमेरिका को काउंटर करने के लिए हासिल कर रहा है जिसे अमेरिका रोकना चाहता है. इसके अलावा बगराम से अमेरिका को रूस, ईरान, पाकिस्तान और चीन के करीब पहुंचने की सामरिक क्षमता मिल जाएगी. अमेरिका यहां से आईएसआईएस खोरासान और अलकायदा  जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ हमले कर सकता है . इसे अलावा अफगानिस्तान में लगभग 3 ट्रिलियन मूल्य के रेयर अर्थ मेटल्स मौजूद हैं जिन पर चीन की भी नजर है. वहीं अमेरिका इन संसाधनों तक पहुंच बनाने के लिए भी बगराम का इस्तेमाल करना चाहता है. ट्रंप प्रशासन ने इसे हासिल करने के लिए अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ इस विषय पर गंभीर बातचीत की है उनकी योजना बगराम एयरबेस को तालिबान से वापस लेने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दबाव बनाने की है. 

इस बात की भी खबर है तालिबान से मई महीने से इस पर बात भी चल रही है लेकिन ये इतना आसान नहीं होने वाला क्योंकि ट्रंप के बयान के बाद चीन और अफगानिस्तान दोनों के बयान सामने आए हैं.चीन ने कहा वो अफगानिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करता है और ये एयरबेस अफगानिस्तान के पास ही रहना चाहिए और अफगानिस्तान के अधिकारी ने कहा अमेरिका को बगराम दोबारा हासिल करने के बारे में भूल जाना चाहिए यानि तालिबान इतनी आसानी से बगराम डॉनल्ड ट्रंप को नहीं सौंपेगा. 

इस बीच अब से बस थोडी देर पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात की है  जिसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया पर देते हुए कहा मैंने अभी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ कॉल पूरी की हम व्यापार, फेंटेनाइल, रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की आवश्यकता, और टिकटॉक डील की मंजूरी सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रगति करने में सफल रहे मैंने राष्ट्रपति शी के साथ यह भी सहमति व्यक्त की कि हम दक्षिण कोरिया में होने वाले APEC समिट में मिलेंगे, मैं अगले साल की शुरुआत में चीन जाऊंगा, और राष्ट्रपति शी भी उपयुक्त समय पर संयुक्त राज्य अमेरिका आएंगे. कॉल बहुत अच्छी रही, हम फिर से फोन पर बात करेंगे, टिकटॉक की मंजूरी की सराहना करता हूं, और दोनों APEC में मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं! यानि एक तरफ ट्रंप चीन की परमाणु निगरानी का प्लान बना रहे हैं. दूसरी तरफ जिनपिंग से दोस्ती वाली बातें भी कर रहे हैं वैसे ट्रंप की ये दोस्ती वाली बातें एक तरफ हैं लेकिन अगर अमेरिका अफगानिस्तान में लौटा तो इससे चीन और पाकिस्तान दोनों की परेशानी बढ़ेगी.  

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