DNA: दिल्ली में ये क्या हो रहा है? छोटी से बात पर ले ली युवक की जान, स्कूटी हटाने को कहा और...

17 hours ago

DNA Analysis: 'The Population Bomb' नाम की किताब के लेखक पॉल एर्लिच ने 1968 में लिखा था जनसंख्या विस्फोट के कारण जगह और संसाधनों की कमी से हिंसा बढ़ेगी और लोगों की जान जाएगी लेकिन दिल्ली में मामूली बात पर जो हत्या हुई है. उससे कई दूसरे सवाल भी पैदा हुए हैं. कानून-व्यवस्था पर सवाल है मर्डर जैसी घटनाओं के न्यू-नॉर्मल होते जाने पर सवाल है. छोटी उम्र में दिमाग में पनप रही आपराधिक सोच पर सवाल है.

हम दिल्ली में पार्किंग विवाद में मर्डर के पूरे मनोविज्ञान, समाज विज्ञान और कानून के सामने खड़ी चुनौतियों का विश्लेषण करेंगे लेकिन पहले जान लेते हैं कि दिल्ली में हुआ क्या? आसिफ कुरैशी रात 11 बजे काम से लौटे थे उन्होंने पड़ोसी से उनकी स्कूटी अपने गेट से अलग हटाने के लिए कहा. बस, इसी बात पर गली में ही रहने वाले दो सगे भाइयों ने उन पर पत्थर और किसी नुकीली चीज से हमला कर दिया. आसिफ की गुजारिश को उनका गुनाह मान लिया गया और जान ही ले ली गई. आसिफ फिल्म एक्ट्रेस हुमा कुरैशी के चचेरे भाई थे.

हत्या के आरोपियों की उम्र महज 18 और 19 साल है. उनका घर आसिफ कुरैशी के घर से 3 घर छोड़कर है लेकिन फिर भी स्कूटी आसिफ के घर के बाहर लगाई गई. आसिफ के परिवार का आरोप है कि ऐसा जान-बूझकर किया गया. मित्रों ये घटना अपराध की कोई सामान्य घटना नहीं है. इतनी छोटी-सी बात पर 18 और 19 साल के लड़के किसी की हत्या कर देते हैं, ये नजरअंदाज कर देने वाली घटना नहीं है. आज आपको दिल्ली में अपराध को लेकर NCRB की एक रिपोर्ट जरूर देखनी चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में किशोरों के अपराध के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं. 18 साल की उम्र के आसपास के लड़के चोरी, झपटमारी से लेकर मारपीट, यौन अपराध और हत्या जैसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं. इसके पीछे सोशल मीडिया को भी एक वजह माना गया है. 

| पार्किंग विवाद में एक और हत्या ! दिल्ली में ये क्या हो रहा है?

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— Zee News (@ZeeNews) August 8, 2025

दिल्ली पुलिस और NCRB की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जिन बच्चों को पारिवारिक देखरेख कम मिलती है. वे गलत राह पकड़ रहे हैं और दिल्ली में किशोरों के अपराध के मामले बाकी महानगरों की तुलना में अधिक हैं. मित्रों जब इतनी बड़ी घटना हो जाती है तो दिल्ली में अपराध के आंकड़ों पर भी नजर डालना जरूरी हो जाता है. दिल्ली पुलिस के आंकड़ों की ही मानें तो राजधानी में साल 2024 में हत्या की 504 वारदात हुई जबकि रेप के 2076 केस दर्ज किए गए. डकैती की भी 29 घटनाएं हुईं और लूट की 1510 वारदात. मित्रों एक और बड़ा मुद्दा बड़े शहरों में जगह की कमी का है. इसके चलते पार्किंग विवाद और हिंसा की घटनाएं बड़ी तेजी से बढ़ी हैं. आज हम इसका भी विश्लेषण करेंगे.

अलग-अलग बड़े शहरों की पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक 2020 से 2025 के बीच देश के 8 से 10 महानगरों में सिर्फ पार्किंग विवाद में 30 से 40 हत्याएं कर दी गईं. इनमें सबसे अधिक राजधानी दिल्ली में 2022 से 2025 के बीच यानी सिर्फ 3 साल में पार्किंग विवादों से जुड़ी 10 से अधिक हत्याएं दर्ज हुई हैं. मुंबई की तंग गलियों में पार्किंग को लेकर अकसर झगड़े होते हैं. IT सिटी बेंगलुरू में भी हाल के वर्षों में पार्किंग को लेकर तनाव बढ़ा है.

दार्शनिक और नोबेल विजेता बर्ट्रेन्ड रसेल ने कहा था मानवता की समस्या यह है कि हमारे पास आदिम भावनाएं हैं, मध्ययुगीन संस्थाएं हैं और देवताओं जैसी तकनीक है. ऐसे में जब संसाधन सीमित होंगे और तकनीक हमारी भावनाओं से तेज चलने लगेगी, तब संघर्ष को कोई रोक नहीं पाएगा. शायद इस कथन में बड़े संघर्ष से लेकर हमारे आसपास बढ़ती हिंसा की वजह छिपी हुई है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि विश्व में 2050 तक शहरी आबादी दोगुनी हो जाएगी. सोचिए हम जिस समस्या की बात कर रहे हैं वह फिर कितनी भयावह हो सकती है.

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