Japan Musilm Issue: भारतीय संस्कृति में अतिथियों को देवता कहा गया है. जापान में अतिथियों के लिए ओमोतेनासी शब्द का प्रयोग किया जाता है. इसका अर्थ है मेहमानों का गर्मजोशी और सम्मान के साथ स्वागत करना. लेकिन जापान में आजकल मुसलमानों खासकर प्रवासी कुर्दों के खिलाफ लोगों का गुस्सा सड़क पर दिख रहा है.यानी जापान में इस वक्त, मुसलमानों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चल रहा है.
कुर्दों के खिलाफ सड़कों पर उतरे जापानी
इंटरनेट पर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जो जापान के सैतामा प्रांत की हैं. जापान का झंडा लिए हजारों लोग कुर्दों के खिलाफ सड़क पर उतर आए. कुर्द जापान के मूल निवासी नहीं है बल्कि तुर्किए, इराक और सीरिया के रहनेवाले लोग हैं, जिनमें ज्यादातर सुन्नी मुसलमान हैं. इन देशों में कुर्दों के खिलाफ अत्याचार बढ़ा तो जापान ने मानवीयता दिखाते हुए उन्हें वीजा में छूट दी. इसके बाद दक्षिण सैतामा के कावागुची और वाराबी में कुर्दों की आबादी लगातार बढ़ी.
कावागुची और वाराबी का इलाका एक तरह से मिनी कुर्दिस्तान बन गया. आबादी बढ़ने के साथ ही इस इलाकों में कुर्दों की दहशत भी बढ़ी तो शांतिप्रिय जापानी मूल के लोगों को मातृभूमि को बचाने के लिए सड़क पर उतरना पड़ा. 2023 से सुन्नी कुर्दों को जापान से बाहर निकालने की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहा है. इसके पीछे सालों का गुस्सा था. दरअसल जुलाई 2023 में एक कुर्द ने दो जापानी लोगों की हत्या कर दी. जनवरी 2024 में कुछ कुर्द लोगों पर एक जापानी युवती के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा. इस केस के एक आरोपी पर फिर 12 साल की बच्ची से यौन उत्पीड़न का आरोप लगा.
सितंबर 2024 में बिना लाइसेंस वाले कुर्दिश ड्राइवर ने 2 जापानी मोटरसाइकिल सवारों की कुचल कर हत्या कर दी.
Apparently Japan is being swamped by Kurdish PKK members from Turkey who are making use of immigration loopholes to gain entry.
It's caused massive discourse in Japan about whether they truly want to follow the West's lead.
— (@NiohBerg) September 2, 2024
69 कुर्दों को किया गया था गिरफ्तार
2023 में जापान में 69 कुर्दों को आपराधिक मामलों में गिरफ्तार किया गया था. ये अपराध में गिरफ्तार कुल विदेशियों का 6 प्रतिशत है. यानी 100 में से 6 अपराधी कुर्द पाए जाते हैं.
अपराध में कुर्दों की बढ़ती हिस्सेदारी से जापानी लोगों का धैर्य जवाब दे गया और कुर्दों को जापान से निकालने की मांग होने लगी.
जापान के मूल निवासियों के गुस्से की जड़ में सिर्फ अपराध नहीं अपनी सांस्कृतिक पहचान को बचाने की बेचैनी भी है. जापान में
2005 में मुस्लिम आबादी 1 लाख 10 हजार थी. 2023 में मुस्लिम आबादी बढ़कर 3 लाख 50 हजार हो गई
18 साल में जापान में मुस्लिम आबादी बढ़कर तीन गुना हो गई. यहां हम आपको ये भी बताना चाहेंगे कि जापान में करीब
48% आबादी शिंटो धर्म को मानती है. शिंटो जापान का स्थानीय धर्म है. वहीं 46% आबादी बौद्ध धर्म को मानती है. बाकी 5% आबादी अन्य धर्म को मानती है. इसमें ईसाई, मुस्लिम, यहूदी और हिंदू जैसे दूसरे धर्म है.
बेशक जापान की आबादी में मुस्लिमों की संख्या कम है लेकिन जिस तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ी है उससे जापानी मूल के लोगों में अपनी संस्कृति को लेकर चिंता भी बढ़ी है. इसकी एक और वजह हम यहां आपको बताना चाहेंगे.
1999 में पूरे जापान में महज 5 मस्जिद थी
2021 में जापान में मस्जिदों की संख्या बढ़कर 113 हो गई
वर्ष 2022 में ओसाका के निशिनारी वार्ड में एक फैक्ट्री में अवैध तरीके से मस्जिद बना दी गई. मस्जिद बनाने के लिए दान इंडोनेशिया से आया था.
जापानी मूल के लोगों का गुस्सा तब और बढ़ा जब 3 जुलाई 2023 को एक मुस्लिम प्रवासी ने कोबे शहर के शिंटो मंदिर परिसर में तोड़फोड़ की.
उपद्रवी ने स्थानीय श्रद्धालुओं को मंदिर में पूजा नहीं करने की धमकी दी थी और कहा था कि अल्लाह ही एकमात्र ईश्वर है.
मुसलमानों की बढ़ती आबादी, प्रवासियों की आपराधिक प्रवृति और धर्मस्थल पर हुए हमले के बाद जापान में लोगों के अंदर धधक रहा गुस्सा सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक दिखने लगा. प्रवासी मुसलमानों के खिलाफ लोग सड़क पर उतर आए.
Japan: Muslim migrant vandalizes shrine, tells worshipers that ‘the only god is Allah’https://t.co/ZrFEsVeXaQ pic.twitter.com/DU1PL8WlY1
— इंदौरी (@indoriladka) May 25, 2023
जापानी लोगों के गुस्से को भड़काने में प्रवासी कट्टरपंथी कुर्दों के बर्ताव ने आग में घी का काम किया है. शिंटों और बौद्ध धर्म को माननेवाले जापानी लोग शांति प्रिय होते हैं. वहीं सुन्नी कुर्द गुस्सैल, और आक्रामक होते हैं.
A fight between the Turks and the Japanese in Japan
Wherever the Turks go they cause problems. pic.twitter.com/Y1hx1Tl22s
— Kurdistan (@Kurdistan_C) August 26, 2024
संयमित जीवन जीनेवाले जापानी लोगों के लिए कट्टरपंथी कुर्दों का ये व्यवहार जब असहनीय हो गया तो अपनी मातृभूमि को बचाने की मांग को लेकर वो सड़क पर उतर आए. जापान मे मुद्दा सिर्फ कानून-व्यवस्था का नहीं है. मुद्दा अपनी सांस्कृतिक पहचान बचाने का भी है. इसलिए अब कट्टरपंथी कुर्दों को देश से निकालने के लिए जापान में राजनीतिक गोलबंदी भी हो रही है.