US close to 12th War: दोस्तों, जो ट्रंप खुद को शांति-सम्राट के तौर पर स्थापित करने की कोशिशों में जुटे हैं. जो ट्रंप पिछले 10 महीने में 8 युद्ध खत्म कराने का दावा कर चुके हैं. उसी ट्रंप ने अब नई जंग की घंटी बजा दी है. उनके एक फैसले से कई सवाल खड़े हो गए हैं. प्रश्न ये कि क्या विश्व में एक और बारूदी मोर्चा खुलने वाला है? क्या नया युद्ध खुद ट्रंप शुरू करने वाले हैं? क्या अमेरिका घोषित तौर पर अपना 12वां युद्ध लड़ने वाला है? जब यूक्रेन और रूस के युद्ध से वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल मची हुई है तो नई वॉर की आहट ने लोगों को चिंता में डाल दिया है. अब हम लोगों के इसी डर और आशंका का DNA टेस्ट करेंगे.
ट्रंप-मादुरो आमने सामने
एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप हैं. दूसरी ओर वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो हैं. इस बार यही दोनों आमने-सामने हैं. तनाव इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि अमेरिका, लैटिन अमेरिका के समुद्री क्षेत्र में अपनी शैन्यशक्ति बढ़ा रहा है. अमेरिका, अपने सबसे एडवांस एयरक्राफ्ट कैरियर को कैरेबियन रीजन में तैनात करने वाला है.
वेनेजुएला के करीब यूएस वॉरशिप
अमेरिका के रक्षा मंत्री के आदेश पर विमान वाहक पोत यूएसएस जेराल्ड फोर्ड की तैनाती की जा रही है. यह विमानवाहक पोत एड्रियाटिक सागर के किनारे क्रोएशिया के बंदरगाह पर पहुंच गया है. जल्द ही लैटिन अमेरिका के समुद्री क्षेत्र तक पहुंच सकता है. ये सबकुछ ट्रंप के निर्देश पर हो रहा है. बताया ये जा रहा है कि अमेरिकी सुरक्षा को खतरे में डालने वालों के खिलाफ ये तैयारी है. मित्रो, जिस यूएसएस जेराल्ड फोर्ड को वेनेजुएला के करीब खड़ा किया जा रहा है, वो कितना विध्वंसक है, वो भी आपको जानना चाहिए.
ताकतवर एयरक्राफ्ट कैरियर
यूएसएस जेराल्ड फोर्ड को 2017 में कमीशन किया गया था. ये अमेरिका का सबसे नया एयरक्राफ्ट कैरियर है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा विमान वाहक पोत भी कहा जाता है. इस पर 5000 से ज्यादा नौसैनिक तैनात रहते हैं. जबकि इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर एक-दो नहीं बल्कि 75 फाइटर जेट तैनात रहते हैं. जो दुश्मनों के लिए काल जैसे होते हैं.
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— Zee News (@ZeeNews) October 25, 2025
लड़ाकू विमान भी तैनात
यूएसएस जेराल्ड फोर्ड के अलावा अमेरिका ने कैरिबियन सागर में 8 अतिरिक्त युद्धपोत, एक परमाणु पनडुब्बी और एफ-35 लड़ाकू विमान भी भेजा है. एक साथ इतने सारे फाइटर जेट्स को भेजना बड़े खतरे का संकेत है. हालांकि अमेरिका का कहना है कि ड्रग तस्करी को रोकने के लिए ये तैनाती की गई है. पेंटागन के प्रवक्ता सीन पर्नेल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कैरेबियन सागर में अमेरिकी दक्षिणी कमान की उपस्थिति से हमारी क्षमता में वृद्धि होगी. हम उन अवैध गतिविधियों का पता लगा सकेंगे, उन्हें रोक सकेंगे और समाप्त कर सकेंगे जो अमेरिका की सुरक्षा और पश्चिमी गोलार्ध की स्थिरता को खतरे में डालती हैं.
जंग का खतरा बढ़ा
यह कदम अब तक के किसी भी एंटी ड्रग ऑपरेशन से कहीं बड़ा है. इसे ट्रंप की अब तक की सबसे सशक्त सैन्य कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है. यही कारण है कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने भी अपने बॉर्डर पर रूसी ब्रिगेड उतार दिया है. इसीलिए टकराव की आशंका बढ़ी हुई है. युद्ध की आशंका का एक और कारण ये है कि भारी युद्धभ्यास भी चल रहा है. हम आपको एक छोटी सी रिपोर्ट में बताते हैं कि कैसे अमेरिका और वेनेजुएला दोनों अलग-अलग कैसे युद्धभ्यास के जरिए अपनी ताकत को तौल रहे हैं
अमेरिका की ताकत कितनी?
अमेरिकी फाइटर जेट्स चिड़ियां की तरह जो उड़ाते हुए दिखते हैं, वो दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के सबसे विध्वंसक विमान हैं. जो आजकल समंदर के किनारे अपना शक्ति परीक्षण कर रहे हैं. अपनी ताकत आजमा रहे हैं. ऊपर कतारों में विनाशक विमान उड़ रहे हैं और नीचे अमेरिका के सैनिक बैठे हुए हैं.
युद्धाभ्यास से टेंशन
एक तरफ फाइटर जेट्स गरज रहे हैं तो दूसरी ओर वॉरशिप पहुंच रहा है. वेनेजुएला के तट से सिर्फ 11 किलोमीटर दूर ये युद्धाभ्यास चल 30 अक्टूबर तक चलेगा. यूं तो इसे त्रिनिदाद एंड टोबैगो के साथ संयुक्त सैन्याभ्यास के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन इसका मकसद शीशे की तरह साफ दिख रहे हैं. वो भी तब जबकि वेनेजुएला के साथ तनाव बेहिसाब बढ़ा हुआ है.
वेजनेजुएला भी दिखा रहा ताकत
सिर्फ अमेरिका नहीं अपनी शक्ति प्रदर्शन कर रहा है, बल्कि वेजनेजुएला भी अपनी ताकत आज़मा रहा है. ला गुएरा, मिरांडा, एंजोएटेगुई, फाल्कन, नुएवा एस्पार्टा, कैराबोबो, सूक्रे और ज़ूलिया के तटीय राज्यों वेनेजुअला अपना युद्धाभ्यास कर रहा है. रक्षा मंत्री व्लादिमीर पैड्रिनो लोपेज़ की देखरेख में ये एक्सरसाइज हो रहा है. वेनेजुअल का साफ-साफ कहना है कि अमेरिकी खतरे की वजह से उसकी सेना शक्ति दिखा रही है.
इजरायल क्या कर रहा?
जब वेजनेजुएला और अमेरिका अपनी शक्ति दिखा रहे हैं तो इजरायल ने भी अपनी शक्ति दिखाई है. इजरायली फोर्स की 91वें डिवीज़न ने लेबनान सीमा पर 5 दिनों तक एक्सरसाइज किया है. इसका उद्देश्य लेबनान सीमा पर रक्षा और आक्रमण के लिए परिचालन तत्परता को बढ़ाना था.
हथियारों की तैनाती का आदेश
जिस तरह इजरायल, अमेरिका और वेनेजु्एला अलग-अलग मोर्चे पर युद्धाभ्यास कर रहे हैं. और इस युद्धाभ्यास के बीच अमेरिका और वेनेजुएला का तनाव बढ़ा हुआ है, उससे युद्ध की आशंका बढ गई है. इसी आशंका के बीच वेनेजुएला के राष्ट्रपति मादुरो ने भी वॉर रूम में बैठक की. आज उन्होंने बॉर्डर पर रूसी हथियारों की तैनाती का आदेश दे दिया. रूसी हथियारों के समूह ने कैरेबियन सागर को चारों ओर से घेरना शुरू कर दिया है.
कम नहीं है वेनेजुएला
वेनेजुअला के पास पांच हजार इग्ला-एस एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें हैं. एस-300 सिस्टम हैं.टैंक और तोपें हैं. वेनेजुएला के पास सुखोई एसयू-30 और एफ-16 जैसे 229 विमान हैं. वेनेजुएला की नौसेना के पास 34 युद्धपोत हैं. इतना ही नहीं, मादुरो ने दावा किया कि उनकी मिलिशिया में 80 लाख से ज्यादा सदस्य हैं, जो युद्ध के लिए तैयार हैं.
अमेरिका के पास घातक मिसाइलें
देखने में भीषण युद्ध की तैयारी लग रही है. लेकिन हम आपको अमेरिका की सैन्य ताकत के बारे में भी संक्षिप्त जानकारी देना चाहेंगे. अमेरिका के पास मिनटमैन थ्री और ट्राइड्रेंट जैसी घातक मिसाइलें हैं. पैट्रियेट और थॉड जैसे एयर डिफेंस सिस्टम हैं जो दुश्मन के अटैक को हवा में भी नाकाम बना देते हैं. हवाई हमले के लिए अमेरिका के F-35 जैसे विध्वंसक फाइटर जेट्स हैं. वहीं समंदर में सुरक्षा के लिए 11 एयरक्राफ्ट करियर समेत 296 सक्रिय युद्धपोत हैं
क्या जंग शुरू होगी?
मित्रो, ये सच है कि अगर युद्ध हुआ तो वेनेजुएला अमेरिका के सामने अधिक दिनों तक नहीं टिकेगा. 7 से 30 दिनों के अंदर ये युद्ध खत्म हो जाएगा. लेकिन क्या ट्रंप वाकई युद्ध में उतरना चाहेंगे? कई इंटरनेशनल वॉर एक्सपर्ट का मानना है कि ट्रंप लंबे युद्ध से बचना चाहते हैं और मादुरो की सैन्य क्षमता सीमित है. वो वेनेजुएला को चारों तरफ से घेरकर उसे डराने चाहते हैं ताकि वेनेजुएला में विद्रोह हो. और मादुरो खुद डरकर सत्ता छोड़ दे. लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है.
मादुरो की अमेरिका से दुश्मनी
निकोलस मादुरो वेनेजुएला के दृढ इच्छाशक्ति वाले नेता माने जाते हैं. ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे, तभी से मादुरो से उनकी दुश्मनी है. इस दुश्मनी की कई वजहे हैं. जैसे राजनीतिक, आर्थिक, ड्रग तस्करी, और क्षेत्रीय प्रभाव है. लेकिन शत्रुता की असली वजह ये है कि मादुरो, ट्रंप के सामने झुकते नहीं. उनकी बातें नहीं मनाते हैं. बल्कि उल्टा मादुरो, क्यूबा, रूस, ईरान और चीन जैसे देशों के करीब हैं. और ये देश ट्रंप के लिए वैचारिक दुश्मन हैं. यही कारण है कि ट्रंप, मादुरो को तानाशाह कहते हैं. उनका मानना है कि वो 2024 के विवादित चुनावों में धांधली से सत्ता में आए.
वेनेजु्एला में तेल का भंडार
ट्रंप किसी भी कीमत पर मादुरो को सत्ता से हटना चाहते हैं. वो मादुरो को कमजोर करने की कोशिश की. उन्होंने वेनेजुएला पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए. दुनिया का बड़ा तेल भंडार वाला देश है. इसके बाद भी प्रतिबंधों के कारण उसकी अर्थव्यवस्था चरमार गई. लेकिन मादुरो नहीं झुके. कैरिबियन सागर में अमेरिकी सेना ने ड्रग्स तस्करी का बहना बनाकर 10 से ज्यादा हमले किए.
मादुरो इतने डॉलर का ईनाम
अमेरिका ने मादुरो पर ड्रग ट्रैफिकिंग और अपराधी गिरोहों से संबंध के आरोप लगाए हैं. उनपर वारंट जारी है. मादुरो के ऊपर 5 करोड़ डॉलर का ईनाम रखा है. पिछले दिनों ट्रंप ने वेनेजुअला पर आक्रमण की धमकी भी दी थी.ऐसे में अब जब कैरिबियन सागर में एयरक्राफ्ट कैरियर भेज दिया गया है. अमेरिकी सेना युद्धाभ्यास कर रही है. तो ऐसा लग रहा है कि ट्रंप इस पर आर-पार की तैयारी में हैं. अगर ऐसा होता है तो इससे दुनिया की परेशानी बढ़ेगी.
(इनपुट-टीम डीएनए)

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