Awami League Banned: भारत के ऐक्शन से घुटने पर आया पाकिस्तान, उधर बांग्लादेश में हो गया बड़ा 'खेला'

3 hours ago

ऐसे समय में जब भारत के ऑपरेशन सिंदूर से सहमे पाकिस्तान ने सीजफायर की अपील कर भारत के सामने घुटने टेके हैं, पड़ोसी बांग्लादेश में बड़ा घटनाक्रम हुआ है. यहां मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. अवामी लीग की मुखिया पूर्व प्रधानमंत्री हसीना को कुछ महीने पहले हिंसक प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा देकर देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था. तब से वह भारत में कहीं रह रही हैं. अब कट्टरपंथियों के प्रेशर में बांग्लादेश की सरकार ने अवामी लीग को बैन करने का बड़ा आदेश दे दिया.

बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी BSS ने खबर दी है कि सलाहकार परिषद ने निर्णय लिया है कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में अवामी लीग और उसके नेताओं के मुकदमे की समाप्ति तक, पार्टी की सभी गतिविधियों पर आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंध लगाया जाए. यह आदेश आज से प्रभावी हो सकता है.

ट्राइब्यूनल अवामी लीग सरकार के समय के तमाम आरोपों की जांच करेगा. अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने यह फैसला जुलाई 2024 में हुए विद्रोही प्रदर्शनों में शामिल लोगों और गवाहों की सुरक्षा एवं शिकायतों के मद्देनजर लिया गया है.

सरकारी बयान में कहा गया है, 'यह निर्णय देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के हित में लिया गया है.' इसके साथ-साथ मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में सलाहकारों की परिषद ने अंतरराष्ट्री अपराध न्यायाधिकरण को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून में संशोधन भी किया है. इसके तहत अब ट्राइब्यूनल को न केवल व्यक्तियों, बल्कि पूरे राजनीतिक दलों, उनके मुखौटा संगठनों और संबद्ध निकायों पर भी कार्रवाई करने की अनुमति मिल गई है.

अवामी लीग की स्थापना 1949 में हुई थी. यह बांग्लादेश की दो प्रमुख पार्टियों में से एक है जो लंबे समय तक सरकार में रही है. पूर्वी पाकिस्तान के समय बंगालियों के लिए स्वायत्तता आंदोलन का इसी पार्टी ने नेतृत्व किया था और 1971 के मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाई. हालांकि अब ऐसा लग रहा है कि बांग्लादेश में खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का प्रभाव बढ़ने वाला है. वह मेडिकल ट्रीटमेंट पूरा कर लंदन से ढाका लौट आई हैं. इसके साथ ही उनकी पार्टी ने जल्दी चुनाव कराने के लिए यूनुस सरकार पर प्रेशर बनाना शुरू कर दिया है.

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