1981 में बगदाद, अब 2025 में ईरान: जब 44 साल पहले इजरायल ने सद्दाम हुसैन के सपनों को कर दिया था चकनाचूर

12 hours ago

History: शुक्रवार यानी इजरायल ने ईरान पर बड़ा हमला बोलते हुए उसे भारी नुकसान पहुंचाया है. इजरायल के जरिए किए गए ये हमले ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हैं. कहा जा रहा है कि हमलों का मकसद ईरान की खुफिया परमाणु ताकतों को खत्म करना था. शायद यही कारण है कि इस हमले में कई परमाणु वैज्ञानिकों को भी निशाना बनाकर मौत के घाट उतार दिया गया है. हालांकि यह पहली बार नहीं है अब से लगभग 4 दशक पहले भी कुछ इसी तरह हुई था लेकिन उस समय निशाने पर ईरान नहीं था. चलिए जानते हैं उस हमले के बारे में. 

तारीख थी 7 जून 1981 और इजरायल ने इराक के ओसिरक परमाणु रिएक्टर पर एक हैरान कर देने वाला हवाई हमला किया, इजराल के इस हमले से इराक का का रिएक्टर पूरी तरह तबाह हो गया था. इजराल को इस हमले के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था लेकिन इजरायल अपनी इस कार्रवाई को 'रोकथाम' की रणनीति करार दिया था.

सद्दाम हुसैन के आते ही आई तेजी

इराक ने 1950 में अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू कर दिया था लेकिन 1970 के बाद इसमें तब तेजी देखी गई जब सद्दाम हुसैन सत्ता में आए. इस कार्यक्रम को अंजाम देने के लिए इराक ने 1976 में फ्रांस के समझौता किया, इस समझौते के तहत ओसिरक नाम की एक 70 मेगावाट का रिसर्च रिएक्टर बनाने का काम शुरू किया गया. यह रिएक्टर बगदाद के पास तुवैथा परमाणु रिसर्च सेंटर में बन रहा था. हालांकि इसे अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी में 'शांतिपूर्ण उद्देश्य' के लिए बताया गया था, लेकिन इजराइल को शक था कि इसे हथियारों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

अमेरिका ने दिए विमान

कहा जाता है कि इजरायली फौज के प्रमुख राफाएल ईतान के नेतृत्व में हमले की योजना बनी. शुरुआत में इस मिशन के लिए F-4 फैंटम विमानों का इस्तेमाल होना था लेकिन अमेरिकी की एक चाल के बाद प्लान बदल गया. अमेरिका ने इजरायल को F-16 जैसे नई तकनीक वाले विमान दिए, जिसके बाद हमले की योजना बदली गई. हमले के दौरान विमान ये बेहद नीचाई पर उड़ते हुए जॉर्डन और सऊदी अरब के रास्ते इराक की सरहद में दाखिल हुए.

जॉर्डन के राजा ने भेजा था संदेश लेकिन...

इजरायल के ये विमान भले ही रेडार से बच गए लेकिन जॉर्डन के राजा हुसैन उस समय अपनी शाकी नौका में थे और उन्होंने इन विमानों को देख लिया था. साथ ही वो यह भी जान गए थे कि यह विमान इजरायल की. ऐसे में उन्होंने तुरंत इराक को इसकी खबर दी लेकिन यह संदेश वक्त रहते बगदाद नहीं पहुंच पाया. शाम करीब 5.35 बजे सभी F-16 विमान एक-एक करके बम गिराने लगे. सिर्फ 2 मिनट की बमबारी में इराक का ओसिरक रिएक्टर पूरी तरह तबाह हो गया. इसके अलावा रिएक्टर में मौजूद फ्रांसीसी तकनीशियन सुरक्षित रहे और किसी भी तरह की जनहानि नहीं हुई.

इजरायल को झेलनी पड़ी आलोचना

इजरायल के इस हमले को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए इजरायल की निंदा की. इराक ने इजरायल पर कई आरोप लगाते हुए कहा कि उसने जो रिसर्च सेंटर तबाह किया है वो सिर्फ वैज्ञानिक रिसर्च के लिए था. हालांकि दूसरी तरफ इजराइली प्रधानमंत्री मेनचेम बेगिन ने कहा कि किसी भी अरब देश को परमाणु हथियार बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इसी विचारधारा को बाद में 'बेगिन सिद्धांत' (Begin Doctrine) के रूप में जाना गया.

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