Last Updated:December 27, 2025, 07:57 IST
प्रतापगढ़ पुलिस ने 'ऑपरेशन विश्वास' के तहत महाराष्ट्र के शोलापुर से 53 बंधक आदिवासी मजदूरों को रेस्क्यू किया. इन मजदूरों को काम का झांसा देकर दलाल इंदौर से महाराष्ट्र ले गए थे और वहां उन्हें जमींदारों के यहां बंधक बनाकर रखा गया था.
प्रतापगढ़ पुलिस ने महाराष्ट्र के शोलापुर से 53 बंधक आदिवासी मजदूरों को सुरक्षित रेस्क्यू किया है.राजस्थान के प्रतापगढ़ से एक बार फिर इंसानियत को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है. आज़ाद भारत में भी आदिवासी मजदूरों को गुलामी जैसी ज़िंदगी जीने पर मजबूर किया जा रहा है. प्रतापगढ़ पुलिस ने ‘ऑपरेशन विश्वास’ के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र के शोलापुर जिले से 53 बंधक आदिवासी मजदूरों को सुरक्षित रेस्क्यू किया है. इनमें 13 महिलाएं, 40 पुरुष और 2 छोटे बच्चे शामिल हैं.
पुलिस के मुताबिक, इन मजदूरों को काम का झांसा देकर दलाल इंदौर से महाराष्ट्र ले गए थे. वहां उन्हें जमींदारों के यहां बंधक बनाकर रखा गया. मजदूरी मांगने पर मजदूरों के साथ मारपीट की जाती थी. यहां महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किए जाने के गंभीर आरोप भी सामने आए हैं. दलालों ने जमींदारों से मजदूरी के नाम पर लाखों रुपये एडवांस में लिए, लेकिन मजदूरों को न तो पूरा पेमेंट मिला और न ही आज़ादी.
पुलिस ने इन बंधुआ मजदूरों को कैसे बचाया?
प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक बी. आदित्य ने रात करीब 11:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई एएसपी गजेन्द्रसिंह जोधा के मार्गदर्शन में की गई. थाना घण्टाली के उप निरीक्षक सोहनलाल के नेतृत्व में पुलिस टीम ने शोलापुर जिले के अलग-अलग स्थानों पर दबिश देकर मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला.
रेस्क्यू के दौरान यह भी सामने आया कि मजदूरों के पास खाने तक के पैसे नहीं थे. ऐसे में पुलिस ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मदद से भोजन और किराए की व्यवस्था कराई. इसके बाद सभी 53 मजदूरों को सुरक्षित प्रतापगढ़ लाया गया.
दलालों और जमींदारों पर एक्शन की तैयारी
इस मामले में घण्टाली थाने में केस दर्ज किया गया है. पुलिस ने साफ किया है कि मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी जैसे संगीन अपराधों में शामिल दलालों और जमींदारों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
प्रतापगढ़ पुलिस ने स्पष्ट संदेश दिया है कि जिले में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है. मजदूरी के नाम पर आदिवासियों को गुलाम बनाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. यह कार्रवाई न सिर्फ कानून की जीत है, बल्कि उन सैकड़ों आदिवासी परिवारों के लिए भी उम्मीद की किरण है, जो आज भी बेहतर रोज़गार की तलाश में ऐसे जाल में फंस जाते हैं.
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An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
Location :
Pratapgarh,Pratapgarh,Rajasthan
First Published :
December 27, 2025, 07:57 IST

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