Last Updated:August 14, 2025, 19:09 IST
Oldest Train in India : भारत की सबसे पुरानी ट्रेन की बात करें तो पंजाब मेल का नाम प्रमुखता से आता है. इस ट्रेन को कभी मुंबई से पेशावर यानी पाकिस्तान तक चलाया गया था. आज यह फिरोजपुर छावनी तक जाती है.

नई दिल्ली. देश की सबसे पुरानी ट्रेनों की बात करें तो इस लिस्ट में दो ट्रेनों का नाम सबसे ऊपर आता है. एक तो हावड़ा यानी कोलकाता से कालका यानी हरियाणा तक चलाई गई हावड़ा-कालका एक्सप्रेस और दूसरा नाम आता है पंजाब मेल का. आज भले ही भारतीय रेलवे वंदे भारत से लेकर बुलेट ट्रेन तक प्रीमियम सफर की तरफ बढ़ गया है, लेकिन करीब 113 साल पुरानी पंजाब मेल आज भी बिना लेट हुए अपने यात्रियों को समय पर पहुंचाती है.
पंजाब मेल को भी प्रीमियम ट्रेनों की लिस्ट में शुमार किया जाता था. इसकी शुरुआत भारत और पाकिस्तान के बीच आवागमन के लिए हुई थी. पहली बार इस ट्रेन ने 1 जून, 1912 को अपना सफर शुरू किया था. तब इसे बैलार्ड पियर रेलवे स्टेशन से चलाया गया था. इस ट्रेन को फ्रंटियर मेल से भी 16 साल पुरानी माना जाता है. शुरुआत में इसे मुंबई से पाकिस्तान के शहर पेशावर तक चलाया गया था. आजादी के बाद भले ही दोनों देशों के बीच सीधी रेल सेवा बंद कर दी गई, लेकिन इस ट्रेन को आज भी चलाया जा रहा है.
आज कहां तक जाती है ट्रेन
पहले जहां पंजाब मेल मुंबई से पेशावर तक 2,494 किलोमीटर की दूरी तय करती थी, जिसमें करीब 47 घंटे का समय लगता था. आजादी के बाद इस ट्रेन का रूट छोटा कर दिया गया, लेकिन आज भी इसे चलाया जा रहा है. आज भी यात्री इस ट्रेन पर सफर करके इतिहास में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं. आज इस ट्रेन को मुंबई से पंजाब की फिरोजपुर छावनी के बीच दौड़ाया जा रहा है. शुरुआत से आज तक यह ट्रेन मुंबई के उसी पुराने स्टेशन से चलाई जा रही है.
52 स्टेशन पर रुकती है फिर भी राइट टाइम
पंजाब मेल को आज मुंबई से फिरोजपुर छावनी तक चलाया जाता है, जो औसतन एक तरफ से 1930 किलोमीटर की दूरी तय करती है. इस दौरान ट्रेन करीब 52 रेलवे स्टेशनों पर रुकती है, बावजूद इसके यह अपना सफर राइट टाइम पूरा करती है. ट्रेन को यह दूरी तय करने में करीब 32 घंटे 35 मिनट लगते हैं और इस दौरान ट्रेन की स्पीड 59 किलोमीटर प्रति घंटे के आसपास रहती है. आज इस ट्रेन को अपग्रेड कर इसमें रेस्तरां और पेंट्रीकार की सुविधा भी जोड़ दी गई है.
कभी 6 डिब्बों के साथ चलती थी ट्रेन
पंजाब मेल को जब शुरू किया था, तब इसमें 6 डिब्बे लगाए जाते थे. फिर साल 1930 में पहली बार इसमें थर्ड एसी की सुविधा वाले कोच जोड़े गए और साल 1945 में इसमें एसी स्लीपर कोच लगाया गया और इसका समय भी करीब 2 घंटे कम कर दिया गया. साल 2021 के बाद से यह ट्रेन सप्ताह के सातों दिन चलने लगी और रास्ते में यह 55 स्टेशनों पर रुकती है. अपनी शुरुआत के समय में इस ट्रेन के 6 में से 3 डिब्बे डाक सामान और मेल के लिए रिजर्व होते थे, जबकि बाकी 3 डिब्बों में सिर्फ 96 यात्री ही सफर कर सकते थे. अभी ट्रेन में 1 फर्स्ट एसी और एक 2 टियर कोच, 2 एसी टू टियर कोच, 6 थर्ड एसी कोच, 6 स्लीपर कोच और 5 जनरल कोच शामिल है. ट्रेन आज भी 250 फीसदी से ज्यादा ऑक्यूपेंसी के साथ चल रही है, जिसका मतलब है कि यह यात्रियों की पहली पसंद बनी हुई है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 14, 2025, 19:09 IST