Last Updated:October 01, 2025, 12:59 IST
Future CM of Bihar: बिहार में भावी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भारी सस्पेंस है. एनडीए में जहां नीतीश कुमार को लेकर 'गोलमोल' जवाब दिए जा रहे हैं और पीके ताजा हमले ने सम्राट चौधरी को भी एक तरह से रेस से बाहर कर दिया है. महागठबंधन में भी कांग्रेस तेजस्वी यादव को सीएम फेस मानने को तैयार नहीं है. क्या इस स्थिति में क्या प्रशांत किशोर ही एक मात्र ऐसे नाम हैं, जिन्हें सीएम के रूप में देखा जा रहा है.

पटना. जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर क्या बिहार का सीएम बनेंगे? बिहार चुनाव के बाद कौन सा समीकरण पीके को बिहार की सीएम बना सकता है? बिहार चुनाव का बिगुल अब किसी भी समय बज सकता है, लेकिन सबसे बड़ा ‘खेला’ तो चुनाव परिणाम आने के बाद हो सकता है. जन सुराज को छोड़कर राज्य के दोनों गठबंधनों में सीएम के नाम पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. एनडीए के नेता जरूर कह रहे हैं कि उनका चेहरा नीतीश कुमार हैं. लेकिन भावी सीएम के नाम पर एनडीए नेताओं का गोलमोल जवाब संदेह पैदा कर रहा है. बीजेपी में सीएम के दूसरे दावेदार डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी अब रेस से लगभग बाहर नजर आ रहे हैं. यही हाल महागठबंधन में भी है. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन चुनाव लड़ने की बात तो करती है, लेकिन कांग्रेस तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित नहीं कर रही है. ऐसे में मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में सिर्फ एक ही शख्स प्रशांत किशोर नजर आ रहे हैं, जिनको लेकर उनके दल में कोई इफ-बट और किंतु-परंतु नहीं है.
बिहार में पिछले एक-दो महीने से भावी सीएम नेताओं के गोलमोल जवाब से साफ संकेत मिल रही है कि एनडीए और महागठबंधन खेमों में सत्ता हस्तांतरण और नेतृत्व को लेकर अंदरूनी उठापटक जारी है. एनडीए के नेता सार्वजनिक तौर पर भले ही यह कह रहे हों कि उनका गठबंधन नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा, लेकिन भविष्य के मुख्यमंत्री के नाम पर वे जानबूझकर सस्पेंस बनाए हुए हैं. नीतीश कुमार को वर्तमान चेहरे के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन बीजेपी के नेता यह कहने से बच रहे हैं कि एनडीए की जीत के बाद नीतीश कुमार ही पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे. बीजेपी के भीतर मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों में अब सीएम की दौड़ से पीछे हटते नजर आ रहे हैं. पीके के आरोप के बाद सम्राट चौधरी को लेकर बीजेपी के भीतर ही जबरदस्त तरीके से मंथन शुरू हो गया है.
सीएम पद को बिहार में स्सपेंस क्यों?
इधर, महागठबंधन के खेमे में भी स्थिति स्पष्ट नहीं है. आरजेडी के नेता यह बार-बार दोहराते हैं कि चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, और वह ही अगले मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन गठबंधन की एक महत्वपूर्ण सहयोगी कांग्रेस इस बात पर सहमत नहीं है. कांग्रेस के राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेता तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित करने से लगातार बच रहे हैं. यह दरार दिखाती है कि कांग्रेस चुनाव के बाद आरजेडी को बिना शर्त समर्थन देने के मूड में नहीं है. कांग्रेस की यह चुप्पी चुनाव परिणाम आने के बाद सीटों के बंटवारे और सत्ता में हिस्सेदारी के लिए अपनी बार्गेनिंग पावर को मजबूत करने की रणनीति मानी जा रही है. अगर आरजेडी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो कांग्रेस सीएम पद के लिए तेजस्वी के नाम पर बड़ा दबाव बना सकती है.
क्यों प्रशांत किशोर ही इकलौता चेहरा?
इन दोनों बड़े गठबंधनों की अस्पष्टता के बीच पीके ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिनका नाम पूरी स्पष्टता के साथ भावी मुख्यमंत्री के रूप में सामने आ रहा है. पीके ने अपनी जन सुराज पार्टी के गठन के साथ ही यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी अगर बिहार चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है और सत्ता में आने का मौका मिलता है, तो विधायक ही नेता चुनेंगे. लेकिन इससे यह भी स्पष्ट है कि विधायक जीतकर आएंगे तो वह पीके के चेहरे पर ही. ऐसे में पीके का नेता चुनना लगभग तय माना जा रहा है. लेकिन, चुनावी सर्वे में पीके की पार्टी को डबल डिजिट फिगर दिया जा रहा है. क्या पीके 30-40 सीट लाने के बाद सीएम बन सकते हैं?
जानकारों की मानें तो बिहार चुनाव के बाद अगर किसी भी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो मुख्यमंत्री पद को लेकर जो बवाल मचेगा, वह बिहार की राजनीति में सबसे बड़ी अस्थिरता पैदा कर सकता है. इस स्थिति में पीके अगर 30 सीट ले आते हैं तो उनका सीएम बनने का चांस नीतीश, तेजस्वी या सम्राट चौधरी से कई गुना ज्यादा होगा. पीके को नीतीश और पीएम मोदी दोनों का साथ मिल सकता है. पीके स्वच्छ और ईमानदार छवि उनको सीएम की कुर्सी तक पहुंचा सकती है. हालांकि, ये फिलहाल कयास और अनुमान की बात है. असली सियासत तो बिहार चुनाव के रिजल्ट के बाद शुरू होने वाला है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
October 01, 2025, 12:59 IST