हिमालय पर सेना ने किया ऐसा अभ्यास, चीनी PLA को ऑपरेशन सिंदूर आया होगा याद

6 hours ago

Last Updated:July 28, 2025, 18:02 IST

EXERCISE DIVYA DRISHTI: ऑपरेशन सिंदूर में भी तकनीक का तालमेल दिखा तो 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन को बैकफुट पर जाना पड़ा. हाईटेक स्वदेशी तकनीक के सेना में तेजी से सेना में शामिल होने के चलते उनकी मारक क्षमता...और पढ़ें

हिमालय पर सेना ने किया ऐसा अभ्यास, चीनी PLA को ऑपरेशन सिंदूर आया होगा यादसेना हुई AI से लेस

हाइलाइट्स

भारतीय सेना ने सिक्किम में दिव्य दृष्टि अभ्यास किया.AI, ड्रोन और सेंसर से सेना की ताकत बढ़ी.डिप्टी आर्मी चीफ ने अभ्यास की समीक्षा की.

EXERCISE DIVYA DRISHTI: भारत चीन और पाकिस्तान के साथ अपनी सीमा हाई एल्टिट्यूड में साझा करता है. भविष्य की जंग या तो हाई एल्टिट्यूड इलाके की विषम या ऊंची पहाड़ियों पर लड़ी जाएगी, या फिर गहरे नीले समुद्र में. मौजूदा तकनीक के दौर में जंग आसान भी हो रही है और मुश्किल भी. भारतीय सेना ने दोनों के लिए अपनी तैयारियों को धार देना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में बड़ी तेजी से एडवांस तकनीक यानी AI, ड्रोन और सेंसर को शामिल किया जा रहा है. भारतीय सेना हिमालय के विषम जंग के मैदान में भविष्य के युद्ध की रूपरेखा तैयार कर रही है. इसी के तहत भारतीय सेना ने सिक्किम में इसी महीने दिव्य दृष्टि अभ्यास को अंजाम दिया. इसमें दूर तक देखने की क्षमता, उसे समझना और तुरंत उस पर कार्रवाई करना शामिल था. इस अभ्यास में अलग-अलग तरह के सर्विलांस ड्रोन, सेंसर, स्वाती रडार, कम्यूनिकेशन सिस्टम, आर्टिलरी गन सिस्टम का जमकर इस्तेमाल किया गया. इस अभ्यास का एक प्रमुख आकर्षण हाईटेक कम्यूनिकेशन सिस्टम से जुड़े AI-सेंसर का इस्तेमाल था. इस सेटअप ने कमांड सेंटरों के बीच सुचारू और सुरक्षित डेटा ट्रांसफर को सुनिश्चित किया, जिससे सिचुएशनल अवेयरनेस में सुधार हुआ और तेज़, बेहतर फैसले लेने में मदद मिली – जिससे सेंसर-टू-शूटर का एक मजबूत संबंध बना.

AI से बढ़ा रही है ताकत
हाई एल्टिट्यूड में जंग के लिए सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपें, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ खूब निशाने साधे. सटीक मार करने के लिए सबसे जरूरी होता है दुश्मन के इलाके में उनकी तैनाती के बारे में ठीक-ठीक पता होना.आर्टिलरी में इसे OP यानी ऑब्जर्वेशन पोस्ट कहा जाता है. इसमें सीमा के पास मौजूद रहकर दुश्मन के ठिकाने और फायर एंगल की सटीक कॉर्डिनेट को गन एरिया के कमांड एंट्रल सेंटर को भेजा जाता है और उसी के हिसाब से राउंड फायर किए जाते हैं. लेकिन AI और ड्रोन आने के बाद इस काम में और आसानी हो गई है. इनके इस्तेमाल से दुश्मन के ठिकानों से सभी कॉर्डिनेट हासिल करने में आसानी हो गई है. नई तकनीक को शामिल करने के बाद सेना लगातार उसका रीयल टाइम में अभ्यास भी कर रही है.

दिव्य दृष्टि अभ्यास की समीक्षा डिप्टी चीफ ने की
पूर्वी सिक्किम के हाई एल्टिट्यूड एरिया में आयोजित इस अभ्यास की समीक्षा के लिए खुद डिप्टी आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर पहुंचे. यह अभ्यास त्रिशक्ति कोर की तरफ से आयोजित किया गया. इस मौके पर त्रिशक्ति कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल जुबिन ए मिनवाला ने कहा, “दिव्य दृष्टि अभ्यास बेहद सफल रहा. हमने अत्याधुनिक तकनीकों का वास्तविक परिस्थितियों में परीक्षण किया. ये अभ्यास भारतीय सेना में भविष्य की तकनीकों, सिद्धांतों और रणनीतियों को विकसित करने में मदद करेंगे, जिससे हम किसी भी दुश्मन और किसी भी इलाके के लिए तैयार हो सकेंगे.”

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