सीमांचल की इस फसल पर रहस्यमयी बीमारी का प्रकोप, धीरे-धीरे करती है बड़ा नुकसान

1 month ago

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सीमांचल की इस फसल पर रहस्यमयी बीमारी का प्रकोप, धीरे-धीरे करती है बड़ा नुकसान, अब क्या करेंगे किसान?

सीमांचल की प्रमुख फसल मक्का में फिजोरियम बीट यानी झुलसा रोग लग गया है,

सीमांचल की प्रमुख फसल मक्का में फिजोरियम बीट यानी झुलसा रोग लग गया है,

पूर्णिया. सीमांचल की प्रमुख फसल मक्का में फिजोरियम बीट यानी झुलसा रोग लग गया है, जिस कारण पूर्णिया में कई एकड मक्का की फसल सुख गई है. पूर्णिया के रुपौली प्रखंड के पुरानी नंदगोला के कई किसानों के खेतों में लगी करीब 10 एकड़ मक्का की फसल सुख गई है. फसल में दाना आने से पहले ही पूरा खेत का फसल सूख जाने से मक्का के किसान परेशान है.

मक्का के किसान संजय कुमार मंडल ने कहा कि 28 फरवरी को उसने अंतिम बार मक्का में पानी दिया था. उसके बाद से मक्का की फसल सूखने लगी. उसकी तीन एकड़ खेतों में लगी फसल सूख गई. इसके अलावे भी कई किसानों की मक्का की फसल सूख गई. वे लोग कर्ज लेकर मक्का की खेती किए थे. इसमें लाखों रुपया खर्च भी हुआ था. काफी उम्मीद रखे थे कि मक्का की फसल तैयार होगी तो इस रूपये से कोई अपनी बेटी की शादी करता तो कोई घर बनाता. लेकिन सभी किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया.

सीमांचल की इस फसल पर रहस्यमयी बीमारी का प्रकोप, धीरे-धीरे करती है बड़ा नुकसान, अब क्या करेंगे किसान?

झुलसा रोग के कारण फसल को नुकसान

वहीं सूचना मिलते ही रुपौली प्रखंड कृषि पदाधिकारी राघव प्रसाद मक्का खेत पहुंचे और उन्होंने किसानों से बातचीत की. प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कहा कि यह मक्का में मृदा जनित रोग फिजोरियम बीट यानी झुलसा रोग है. इसका मुख्य कारण है कि किसान पिछले कई वर्षों से अपने खेतों में सिर्फ एक ही फसल लगा रहे हैं, जिस कारण यह बीमारी हो रही है. उन्होंने इसके लिए मक्का वैज्ञानिक से बात कर किसानों को उचित सलाह दी. साथ ही फसल चक्र अपनाने की बात कही.

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जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कहा कि अब इस बीमारी का कोई उपाय नहीं है, जिस तरह पहले केला में पनामा बीट रोग लगता था. उसी तरह मक्का में फिजोरियम बीट बीमारी लग रही है. इसका एकमात्र उपाय है कि बुवाई के समय से ही उपचार हो. उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिक के निर्देशानुसार खेत की जुताई के समय ही प्रति एकड़ 2 किलो ट्राइकोडर्मा दवाई वर्मी कंपोस्ट के साथ मिलाकर छिड़काव करें. फिर बुवाई के 30 दिन बाद डाईफेमा क्रोमोजोल दवाई एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में डालकर मक्का की फसल में छिड़काव करें और हर साल फसल चक्र को बदले. इसका एकमात्र यही उपाय है. उन्होंने कहा कि अगर किसान यह उपाय नहीं अपनाएंगे तो जिस तरह केला इस इलाके से उजड़ गया उसी तरह मक्का भी उजड़ जाएगा.

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Tags: Bihar News, Farmers in India, Purnia news

FIRST PUBLISHED :

March 18, 2024, 18:46 IST

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