पांडवों में अर्जुन सबसे ज्यादा सुदर्शन और आकर्षक थे. इसलिए वह जहां कहीं होते थे, वहां स्त्रियों के चहेते हो जाते थे. जीवनभर स्त्रियां उनकी दीवानी होती रहीं. इस बात के कई किस्से हैं कि अर्जुन को कई स्त्रियां इस तरह घेर लेती थीं या पीछा करती थीं कि भीम और नकुल को उनके बचाव के लिए सामने आना पड़ता था.
जाने माने पौराणिक कथा विशेषज्ञ और लेखक देवदत्त पटनायक ने अपनी नई किताब सती सावित्री में लिखा, अर्जुन जब वनवास गमन कर रहे थे तो नकुल ने स्त्रियों को उनका पीछा करने से रोकने के लिए उनके चेहरे पर धूल मल दी. अर्जुन का रूप -लावण्य इतना आकर्षक था कि स्त्रियां हर जगह उनका पीछा करती थीं. इसी में उन्होंने लिखा कि कैसे कई स्त्रियों ने अर्जुन से संपर्क किया.
कुंती से अर्जुन का जन्म इंद्र के जरिए हुआ था. लिहाजा वह इंद्र की ही तरह सुंदर और मनोहारी थे. महाभारत में उन्हें बहुत सुंदर, आकर्षक और वीर पुरुष के रूप में बताया गया है. अपने रूप, शील, और युद्ध कौशल की वजह से वह ना केवल युद्ध के मैदान में बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में भी कई लोगों, विशेषकर स्त्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र थे.
हर जगह स्त्रियां उनकी ओर आकर्षित होती थीं
महाभारत में कई प्रसंग हैं जो बताते हैं कि जब पांडव वनवास में थे, तब अर्जुन की सुंदरता और व्यक्तित्व का प्रभाव इतना था कि कई स्त्रियां उनके प्रति आकर्षित होती थीं. कुछ कथाओं में कहा गया कि अर्जुन का आकर्षण इतना प्रबल था कि उनके भाइयों विशेष रूप से भीम को उन्हें कुछ उत्साही प्रशंसकों से बचाने की स्थिति में आना पड़ता था.
अर्जुन अपने भाइयों में सबसे आकर्षक और सुदर्शन व्यक्तित्व वाले थे, उनकी वीरता, विनम्रता और सुंदरता मिलकर उन्हें ऐसी पर्सनालिटी देती थीं कि वो जहां कहीं भी होते थे, वहां स्त्रियों के आकर्षण का केंद्र बन जाते थे. (image generated by Leonardo AI)
अर्जुन के जीवन में कई ऐसी स्त्रियां आईं, जिनसे उन्हें प्यार भी हुआ. उन्होंने शादियां भी कीं. कई को उन्हें इनकार करना पड़ा. उन्हें इसकी नाराजगी भी झेलनी पड़ी.
चित्रांगदा से अर्जुन का प्यार और शादी कैसे हुई
जब पांडवों को द्रौपदी के अपमान और जुए में हार के बाद 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास की सजा मिली तो अर्जुन ने कुछ समय के लिए तीर्थयात्रा पर जाने का निर्णय लिया. तब वह देश के कई हिस्सों का भ्रमण करते हुए मणिपुर पहुंचे, जो उस समय एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य था. मणिपुर के राजा चित्रवाहन थे. उनकी पुत्री चित्रांगदा सुंदर, वीर और कुशल योद्धा थी.
जब दोनों ने पहली बार एक दूसरे को देखा
मणिपुर पहुंचने पर अर्जुन ने चित्रांगदा को देखा, जो अपनी सुंदरता, शालीनता और युद्ध कौशल के लिए प्रसिद्ध थी. चित्रांगदा भी अर्जुन के रूप, वीरता और ख्याति से प्रभावित हुई. दोनों एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हो गए. अर्जुन ने राजा चित्रवाहन से चित्रांगदा का हाथ मांगा.
अर्जुन को अपने जीवन में कई बार विवाह प्रस्ताव मिले, जिससे उन्होंने ठुकराया लेकिन अपने पांडव भाइयों में सबसे ज्यादा शादियां भी उन्होंने कीं. यहां तक तक इंद्र की सबसे सुंदर अप्सरा उर्वशी तक उनकी दीवानी हो गई. (image generated by Leonardo AI)
फिर दोनों की शादी हुई
राजा चित्रवाहन ने अर्जुन के प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले मणिपुर की परंपरा के बारे में बताया. मणिपुर में यह नियम था कि राजा की संतान का पुत्र ही सिंहासन का उत्तराधिकारी होगा. इसलिए अगर अर्जुन चित्रांगदा से विवाह करते हैं, तो उनकी संतान मणिपुर में रहेगी. वही राज्य का उत्तराधिकारी बनेगी. अर्जुन ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया, क्योंकि वे चित्रांगदा से प्रेम करते थे. इस विवाह से एक पुत्र हुआ, जिसका नाम बब्रुवाहन था, जो बाद में वह मणिपुर का राजा बना.
और उलूपी देखते ही कैसे अर्जुन के प्रेम में पड़ गईं
भारत यात्रा में अर्जुन जब गंगा नदी के तट पर स्नान करने और तप करने गए. यहीं उनकी मुलाकात उलूपी से हुई, जो नागलोक की राजकुमारी थी. वह नागराज कौरव्य की बेटी थी. सुंदर और बुद्धिमान युवती थी. वह अर्जुन को देखकर आकर्षित हो गई. महाभारत के अनुसार, उलूपी ने अर्जुन को गंगा नदी में स्नान करते समय देखा. उसी समय वह अर्जुन से प्यार करने लगी. वह अर्जुन के पास गई. प्यार का इजहार किया.
उलूपी ने अर्जुन को बताया कि वह उनके गुणों और यश से प्रभावित है. उनसे विवाह करना चाहती है. अर्जुन शुरू में हिचकिचाए, लेकिन फिर मान गए. दोनों की शादी हुई. अर्जुन कुछ समय तक उलूपी के साथ नागलोक में रहे. इससे एक बेटा हुई, जिसका नाम इरावान (या इरावत) था.
सुभद्रा के प्यार में पड़े, भगाकर शादी की
सुभद्रा और अर्जुन का प्रेम महाभारत की सबसे रोमांटिक कहानियों में एक है. जब अर्जुन अज्ञातवास में थे, तब वे द्वारका में भगवान कृष्ण के अतिथि के रूप में रहे. वहां जब उन्होंने सुभद्रा ने अर्जुन को देखा, तो उससे प्यार करने लगे. कृष्ण भी शायद चाहते थे कि अर्जुन उनकी बहन से शादी करें लेकिन कृष्ण के बड़े भाई बलराम को इसकी भनक नहीं थी. कृष्ण ने ही अर्जुन को सुभद्रा का हरण करके शादी. इससे बलराम नाराज भी हुए.
द्रौपदी उनसे सबसे ज्यादा प्यार करती थी लेकिन..
द्रौपदी का स्वयंवर अर्जुन ने जीता था. वह उनकी प्रिय पत्नी थी. द्रौपदी और अर्जुन का प्रेम गहरा था, और कई प्रसंगों में द्रौपदी का अर्जुन के प्रति विशेष लगाव दिखाई देता है. हालांकि वह द्रौपदी के साथ अपने अन्य भाइयों की तुलना में कम रहे, क्योंकि युधिष्ठिर और द्रौपदी के साथ होने के दरम्यान उन्हें कुछ काम से उस कमरे में जाना पड़ा था. इसके चलते शर्त के अनुसार उन्होंने 12 साल के वनवास की सजा खुद ले ली. इस वजह से द्रौपदी से 12 सालों तक दूर रहे.
उर्वशी भी प्यार करती थी लेकिन क्यों नाराज हुई
जब अर्जुन इंद्र के दरबार में गए, तब अप्सरा उर्वशी उनके प्रति आकर्षित हुई. उसने अर्जुन को प्रेम प्रस्ताव दिया, लेकिन अर्जुन ने उसे माता के समान माना (क्योंकि वह उनके पूर्वज पुरुरवा की पत्नी थी). तब उर्वशी ने क्रोधित होकर अर्जुन को श्राप दिया कि वह एक वर्ष तक नपुंसक रहेंगे. हालांकि यह श्राप बाद में अज्ञातवास में अर्जुन के लिए वरदान साबित हुआ, जब वे बृहन्नला के रूप में रहे.
दुर्योधन की पत्नी तक उन्हें चाहती थी
महाभारत में ये भी कहा गया है कि दुर्योधन से शादी से पहले उसकी पत्नी भानुमति अर्जुन की प्रशंसक थी. वह उनसे शादी करना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका. उसकी शादी दुर्योधन से हुई. लेकिन माना जाता है कि जब महाभारत के युद्ध में दुर्योधन की मृत्यु हो गई तो अपने कुनबे को बचाने के लिए जब भानुमति को अर्जुन से विवाह का सुझाव दिया गया तो उसने इसे स्वीकार कर लिया. अर्जुन से शादी कर ली. उसके बाद वह उनकी पत्नी बनकर रहीं.