मरने के 3 महीने बाद कैसे जिंदा हो गए धनंजय सिंह? आखिर 26 साल पहले हुआ क्‍या था

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मरने के 3 महीने बाद कैसे जिंदा हो गए धनंजय सिंह? 26 साल पहले बाहुबली के साथ क्‍या हुआ था

धनंजय सिंह की वजह से यूपी पुलिस की एक टीम के जेल जाने की नौबत आ गई थी.

धनंजय सिंह की वजह से यूपी पुलिस की एक टीम के जेल जाने की नौबत आ गई थी.

उत्तर प्रदेश के जौनपुर से पूर्व सांसद धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी मामले में दोषी करार दिया जा चुका है. आज यानी 6 मार ...अधिक पढ़ें

News18HindiLast Updated : March 6, 2024, 15:36 ISTEditor picture

उत्तर प्रदेश के जौनपुर से पूर्व सांसद और बाहुबली धनंजय सिंह को अपहरण व रंगदारी मामले में विशेष अदालत दोषी करार दे चुकी है. आज यानी 6 मार्च को कोर्ट मामले में सजा सुनाएगा. धनंजय सिंह के खिलाफ ये मामला ‘नमामि गंगे’ के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 2020 में दर्ज कराया था. उन्‍होंने आरोप लगाया था कि संतोष विक्रम ने दो साथियों के साथ उनका अपहरण किया और धनंजय सिंह के बंगले पर ले गए. इसके बाद धनंजय सिंह ने उनसे नमामि गंगे प्रोजेक्‍ट की क्‍वालिटी पर सवाल उठाते हुए रंगदारी की मांग की. बता दें कि मामले में जदयू नेता धनंजय सिंह के खिलाफ धारा 364, 386, 504, 506 और 120-B के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

धनंजय सिंह का व्‍यक्तिगत से लेकर राजनीतिक जीवन काफी दिलचस्‍प रहा है. धनंजय सिंह के साथ 26 साल पहले कुछ ऐसा हुआ था कि कई पुलिसकर्मियों की नौकरी जाने की नौबत आ गई थी. दरअसल, साल 1998 में यूपी पुलिस ने मुठभेड़ में चार बदमाशों को ढेर करने का दावा किया था. मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों में धनंजय सिंह का नाम भी शामिल था. बाद में इस मामले में कुछ ऐसा हुआ कि एनकाउंटर करने वाली युपी पुलिस की किरकिरी होनी शुरू हो गई. यही नहीं, मामले में पूरी पुलिस टीम के जेल जाने की नौबत आ गई थी. जानते हैं कि आखिर ऐसा क्‍या हुआ था?

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क्‍यों हुई उत्‍तर प्रदेश पुलिस की किरकिरी
दरअसल, उत्‍तर प्रदेश के भदोही जिले में 17 अक्टूबर 1998 को जिले की पुलिस ने भदोही-मिर्जापुर बॉर्डर पर 4 बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया. भदोही पुलिस का दावा था कि ये बदमाश पेट्रोल पंप लूटने जा रहे थे. इसी दौरान उनकी पुलिस से मुठभेड़ हुई, जिसमें चारों अपराधी मारे गए. इनमें 50,000 रुपये का इनामी धनंजय सिंह भी शामिल था. इस कामयाबी पर पहले तो भदोही पुलिस की खूब वाहवाही हुई. लेकिन कुछ ही दिन बाद कुछ ऐसा हुआ कि भदोही पुलिस पर सवाल उठने शुरू हो गए. दरअसल, कुछ समय बाद पता चला कि मुठभेड़ में मारे गए जिस शख्स को पुलिस धनंजय सिंह बता रही थी, वो इनामी धनंजय सिंह नहीं था. मारा गया शख्‍य कोई दूसरा ही धनंजय सिंह निकला.

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धनंजय सिंह ने 11 जनवरी 1999 को कोर्ट में सरेंडर कर यूपी पुलिस की मुश्किलें बढ़ा दी थीं.

धनंजय सिंह के सरेंडर ने बढ़ाई मुश्किल
सच्‍चाई सामने आने के बाद उत्‍तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए और जमकर नारेबाजी, धरना प्रदर्शन हुआ. लोगों का आरोप था कि पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में निर्दोष लोगों की हत्‍या की है. मामले में बड़ा मोड़ तब आया, जब मुठभेड़ के तीन महीने बाद 11 जनवरी 1999 को धनंजय सिंह ने नाटकीय अंदाज में कोर्ट के सामने आत्‍मसमर्पण कर दिया. इसके बाद यूपी पुलिस के लिए अपना चेहरा बचाना मुश्किल हो गया. एनकाउंटर करने वाली टीम की जांच हुई. फिर मानवाधिकार आयोग की सिफारिश पर पुलिस दल पर मामला दर्ज हुआ. इसके बाद 34 पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा भी चला. सुनवाई के दौरान कुछ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई. वहीं, जिंदा बचे पुलिस कर्मियों को कोर्ट ने बरी कर दिया.

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कैसे शुरू हुआ बाहुबली का राजनीतिक सफर
बाहुबली धनंजय सिंह का राजनीतिक करियर इसी घटना के बाद शुरू हुआ. जौनपुर के धनंजय सिंह ने लखनऊ विश्‍वविद्यालय से पढ़ाई की है. वह 27 साल की उम्र में 2002 में उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्‍याशी उतरे और जीत गए. बाद में जदयू में शामिल हुए और 2007 में दूसरी बाद विधायक बन गए. बसपा ने उन्‍हें लोकसभा चुनाव 2009 में अपने टिकट पर चुनाव लड़ाया. इसमें भी धनंजय सिंह को जीत मिली और वह संसद पहुंच गए. लेकिन, इसके बाद वह कोई चुनाव नहीं जीत पाए. वहीं, उनकी पत्‍नी श्रीकला रेड्डी जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं.

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अगर धनंजय ि‍सिंह को 2 साल से ज्‍यादा की सजा हुई तो उनका राजनीतिक करियर करीब-करीब खत्‍म हो जाएगा.

क्‍या पूरी तरह खत्‍म हो जाएगा धनंजय का खेल
अब सवाल ये उठता है कि क्‍या मौजूदा मामले में सजा होने पर धनंजय सिंह का राजनीति करियर खत्‍म हो जाएगा. इस पर कानून के जानकारों का कहना है कि जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक अगर किसी शख्स को आपराधिक मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा होती है तो वह ना तो वोट दे सकता है और ना ही चुनाव लड़ सकता है. इस कानून के तहत अगर कोई सांसद या विधायक दोषी करार दिया जाता है तो उसकी सांसदी या विधायकी चली जाती है. सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आदर्श तिवारी कहते हैं कि जिन धाराओं में धनंजय सिंह को दोषी ठहराया गया है, उसमें 2 साल से ज्यादा की सजा होना तय है. ऐसे में उनका राजनीतिक करियर खत्‍म हो सकता है. हालांकि, उनके पास ऊंची अदालत जाने का रास्‍ता खुला रहेगा.

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Tags: Dhananjay Singh, Police encounter, UP Bahubali leader, UP STF encounter, Uttar Pradesh News Hindi

FIRST PUBLISHED :

March 6, 2024, 15:36 IST

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