भारत में सामान भेजने के लिए क्‍यों मरा जा रहा पाकिस्‍तान, कितना हो रहा नुकसान

4 hours ago

Last Updated:June 27, 2025, 14:04 IST

Pakistan-India Trade : भारत और पाकिस्‍तान के बीच तनाव का ज्‍यादा असर पड़ोसी देश पर ही दिख रहा है. भारत ने 2 मई से सभी तरह के ट्रेड पर रोक लगा दी थी और तब से पाकिस्‍तान चोरी-छुपे नाम बदलकर अपने सामान भारत में भे...और पढ़ें

भारत में सामान भेजने के लिए क्‍यों मरा जा रहा पाकिस्‍तान, कितना हो रहा  नुकसान

भारत और पाकिस्‍तान के बीच कितने व्‍यापार की संभावना है.

हाइलाइट्स

भारत ने पाकिस्‍तान से सभी तरह के ट्रेड पर रोक लगाई.पाकिस्‍तान चोरी-छुपे नाम बदलकर सामान भेजता है.रिश्‍ते सुधारने पर 37 अरब डॉलर का कारोबार हो सकता है.

नई दिल्‍ली. पाकिस्‍तान अपनी आजादी के बाद से ही भारत का धुर विरोधी बना रहा है. उसकी आतंकवाद परस्‍त नीति की वजह से भारत के साथ रिश्‍ते लगातार खराब होते गए हैं. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई आतंकी घटना के बाद तो भारत सरकार ने पाकिस्‍तान से अपने संबंध पूरी तरह खत्‍म कर लिए. इससे पहले भी दोनों देशों के कारोबार पर असर पड़ा था, लेकिन अब भारत ने पाकिस्‍तान से किसी भी तरह के कारोबार पर सख्‍त प्रतिबंध लगा दिया है. बावजूद इसके पाकिस्‍तान अपने सामान को चोरी-छुपे भारत में भेजता ही रहता है. आखिर क्‍यों पाकिस्‍तान को अपने ट्रेड के लिए भारत की जरूरत पड़ रही और अगर वह रिश्‍ते सुधारता है तो कितने रुपये का फायदा मिलेगा.

भारत के पाकिस्‍तान से कारोबार बंद करने के बाद पड़ोसी देश ने दूसरे देशों के रास्‍ते से अपने सामान हमारे यहां भेजने की कोशिश की है. एक दिन पहले ही राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने न्हावा शेवा बंदरगाह पर दुबई के रास्‍ते भेजे गए पाकिस्‍तान के 9 करोड़ रुपये के सामान को जब्‍त किया था. जांच में पता चला है कि यह सामान पाकिस्तान के कराची बंदरगाह से चलकर पहले दुबई के जबल अली बंदरगाह पहुंचा और वहां इसके ओरिजिन देश का नाम बदलकर भारत में सप्‍लाई के लिए भेजा गया था.

कैसे चोरी-छुपे माल भेजता है पाकिस्‍तान
भारत सरकार ने 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्‍तान से कारोबार पर सख्‍ती बरतनी शुरू कर दी थी. इसके बाद से दोनों देशों में कारोबार लगातार कम होने लगा. दोनों सीधे वैसे भी सीधे कारोबार करने के बजाय तीसरे देश के रूट का इस्‍तेमाल करके ट्रेड करते थे, लेकिन 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी घटना के बाद सरकार ने 2 मई से ट्रेड पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया. इसके बावजूद पाकिस्‍तान तीसरे देश के रूट का इस्‍तेमाल करके भारत में अपने सामान भेजने की कोशिश करता है. उसका मकसद अब सिर्फ पाकिस्‍तान ओरिजिन को छुपाकर सामान भेजना है. इसके लिए यूएई जैसे देशों के कुछ लोगों को मिलाकर अपने नाम की जगह दूसरे देशों की ओरिजिन डालकर सामान भेजता है. जैसा कि पिछले दिनों पकड़े गए माल पर यूएई की ओरिजिन बताई थी.

भारत से पहुंचा 86 हजार करोड़ का सामान
ग्‍लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का अनुमान है कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच भले ही व्‍यापार में खटास और गिरावट आई, लेकिन तब से अब तक भारत ने पाकिस्‍तान में करीब 86 हजार करोड़ रुपये के सामान भेजे हैं. यह अलग बात है कि साल 2019 के बाद से ही दोनों देशों के बीच व्‍यापार में लगातार गिरावट आई है.

पुलवामा हमले के बाद क्‍या हुआ
पुलवामा हमले से पहले वित्‍तवर्ष 2018-19 में दोनों देशों में कुल कारोबार 4,370.78 करोड़ रुपये रहा था, जो 2022–23 में गिरकर महज 2,257.55 करोड़ रुपये रह गया है. हालांकि, इसके अगले वित्‍तवर्ष में हालात थोड़े सामान्‍य हुए तो ट्रेड में थोड़ा उछाल दिखा और 2023–24 में कुल द्विपक्षीय कारोबार बढ़कर 3,886.53 करोड़ रुपये पहुंच गया है, जो 5 साल में सबसे अधिक व्‍यापार था. 2018–19 में दोनों देशों के बीच कुल कार्गो मूवमेंट जहां 49,102 था, वहीं 2022–23 में यह डाटा गिरकर महज 3,827 रह गया.

रिश्‍ते सुधारकर पाकिस्‍तान को कितना फायदा
विश्‍व बैंक का अनुमान है कि अगर भारत और पाकिस्‍तान के रिश्‍ते सुधर जाएं तो दोनों देशों के बीच करीब 37 अरब डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपये) से ज्‍यादा का द्विपक्षीय कारोबार होने की संभावना है. फिलहाल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार महज 2 अरब डॉलर (करीब 17 हजार करोड़ रुपये) तक ही हो पा रहा था, वह भी 2019 के बाद से लगभग खत्‍म हो गया है. भारत का अभी कुल निर्यात 430 अरब डॉलर है तो पाकिस्‍तान का 100 अरब डॉलर के आसपास चल रहा है.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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