भारत को नेतृत्व का परिचय देना चाहिए... फिलीस्तीन मुद्दे बोलीं सोनिया गांधी

3 weeks ago

Last Updated:September 25, 2025, 09:48 IST

सोनिया गांधी ने फिलीस्तीन मुद्दे पर मोदी सरकार की चुप्पी की आलोचना की. उन्होंने भारत से नेतृत्व दिखाने की मांग की और ऐतिहासिक समर्थन का उल्लेख किया.

भारत को नेतृत्व का परिचय देना चाहिए... फिलीस्तीन मुद्दे बोलीं सोनिया गांधीफिलीस्तीन मुद्दे पर मोदी सरकार की प्रतिक्रिया मानवता और नैतिकता का परित्याग है: सोनिया

कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने गुरुवार को फिलीस्तीन के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि अब भारत को नेतृत्व का परिचय देना चाहिए. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया और ‘गहरी चुप्पी’ मानवता एवं नैतिकता, दोनों का परित्याग है. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ के लिए लिखे लेख में कहा कि सरकार के कदम मुख्य रूप से भारत के संवैधानिक मूल्यों या उसके सामरिक हितों के बजाय इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत मित्रता से प्रेरित प्रतीत होते हैं.

सोनिया गांधी ने कहा, ‘व्यक्तिगत कूटनीति की यह शैली कभी भी स्वीकार्य नहीं है और यह भारत की विदेश नीति का मार्गदर्शक नहीं हो सकती. दुनिया के अन्य हिस्सों में – खासकर अमेरिका में ऐसा करने के प्रयास हाल के महीनों में सबसे दुखद और अपमानजनक तरीके से विफल हुए हैं.’ सोनिया गांधी ने इजराइल-फिलीस्तीन संघर्ष पर पिछले कुछ महीनों में तीसरी बार लेख लिखा है, जिनमें उन्होंने हर बार इस मुद्दे पर मोदी सरकार के रुख की तीखी आलोचना की है.

सोनिया गांधी ने लेख में कहा कि फ्रांस, फिलीस्तीन राष्ट्र को मान्यता देने में ब्रिटेन, कनाडा, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया के साथ शामिल हो गया है. उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 150 से अधिक देशों ने अब ऐसा कर दिया है. कांग्रेस की शीर्ष नेता ने इस बात पर जोर दिया कि भारत इस मामले में अग्रणी रहा है, जिसने फिलीस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को वर्षों के समर्थन के बाद 18 नवंबर, 1988 को औपचारिक रूप से फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता दी थी.

सोनिया गांधी ने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे भारत ने आजादी से पहले ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का मुद्दा उठाया था और अल्जीरियाई स्वतंत्रता संग्राम (1954-62) के दौरान, भारत एक स्वतंत्र अल्जीरिया के लिए सबसे मजबूत आवाजों में से एक था. उन्होंने बताया कि 1971 में भारत ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में नरसंहार को रोकने के लिए दृढ़ता से हस्तक्षेप किया, जिससे आधुनिक बांग्लादेश का जन्म हुआ.

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इजराइल-फलस्तीन के महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर भी, भारत ने लंबे समय से एक संवेदनशील, लेकिन सैद्धांतिक रुख अपनाया है और शांति एवं मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया है. सोनिया गांधी ने कहा कि भारत को फिलीस्तीन के मुद्दे पर नेतृत्व दिखाने की जरूरत है, जो अब न्याय, पहचान, सम्मान और मानवाधिकारों की लड़ाई है.

Shankar Pandit

Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें

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First Published :

September 25, 2025, 09:48 IST

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