ब्रिक्‍स से आखिर क्‍यों इतना डरते हैं ट्रंप, जरा सी हलचल पर देने लगते हैं धमकी

14 hours ago

Last Updated:July 09, 2025, 12:06 IST

Trump vs BRICS : ब्राजील में हुई ब्रिक्‍स देशों की बैठक के बाद से ही अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप बिफरे हुए हैं. उन्‍होंने भारत, चीन सहित सभी 10 देशों को 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी भी दे डाली है. ऐसे में सवाल उ...और पढ़ें

ब्रिक्‍स से आखिर क्‍यों इतना डरते हैं ट्रंप, जरा सी हलचल पर देने लगते हैं धमकी

अमेरिका को ब्रिक्‍स देशों से आर्थिक चुनौती का डर है.

हाइलाइट्स

ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को 100% टैरिफ की धमकी दीब्रिक्स देशों का वैश्विक जीडीपी में 35% योगदानडॉलर के वर्चस्व को ब्रिक्स से खतरा

नई दिल्‍ली. साल 2009 में तीन महाद्वीपों के 5 देशों ने मिलकर एक संगठन बनाया था ब्रिक्‍स. शायद तब दुनिया की महाशक्ति कहे जाने वाले अमेरिका को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा था. लेकिन, इस संगठन की ताकत ने अब दुनिया के सबसे पॉवरफुल इंसान यानी अमेरिकी राष्‍ट्रपति के माथे पर भी पसीना ला दिया है. तभी तो डोनाल्‍ड ट्रंप आजकल ब्रिक्‍स के नाम से ही उछल पड़ते हैं. आखिर उन्‍हें ब्रिक्‍स के साथ ऐसा क्‍या खतरा महसूस हो रहा, जो न सिर्फ संगठन में शामिल देशों बल्कि दूसरे देशों को भी इससे दूर रहने की धमकियां देते रहते हैं.

ब्रिक्‍स देशों की हालिया बैठक ब्राजील की राजधानी रियो डि जेनेरियो में हुई, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्‍सा लिया. ब्रिक्‍स सम्‍मेलन के बीच ही राष्‍ट्रपति ट्रंप ने धमकियां देनी शुरू कर दी. उन्‍होंने खुले मंच से कहा कि अगर ब्रिक्‍स संगठन ने कोई भी अमेरिका विरोधी नीति बनाई तो उसके हर प्रोडक्‍ट पर हम 10 फीसदी का अतिरिक्‍त टैरिफ लगा देंगे. इतना ही नहीं, उन्‍होंने संगठन में शामिल होने की मंशा रखने वाले अन्‍य देशों को भी धमकाया कि अगर वे गए तो 10 फीसदी अतिरिक्‍त टैरिफ का सामना करना पड़ेगा.

क्‍या है ट्रंप का सबसे बड़ा डर
ब्रिक्‍स की शुरुआत में सिर्फ 5 देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका ही इसमें शामिल थे, लेकिन अब संगठन की संख्‍या बढ़कर 10 हो गई है. इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया भी शामिल हो गए हैं. यह संगठन दो महाद्वीपों एशिया, यूरोप और दक्षिणी अमेरिका के देशों को मिलाकर बना है और दुनिया के कुल ट्रेड का 20 फीसदी हिस्‍सा रखता है. इसके अलावा ब्रिक्‍स देशों के पास ग्‍लोबल जीडीपी का 40 फीसदी तो जनसंख्‍या का 45 फीसदी हिस्‍सा भी आता है. इसका मतलब है कि यह संगठन खुद में एक बड़ा बाजार भी है. यही वजह है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति को इससे बड़ी चुनौती का खतरा महसूस होता है.

डॉलर के वर्चस्‍व को खतरा
ब्रिक्स देश विशेष रूप से रूस और चीन अब अमेरिकी डॉलर के बजाय अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्‍यापार कर रहे हैं. साल 2023 में दक्षिण अफ्रीका और साल 2024 में रूस के कजान शिखर सम्मेलन में इस विचार पर चर्चा हुई थी. ट्रंप को डर है कि यदि ब्रिक्स देश अपनी मुद्रा लाते हैं या डॉलर के उपयोग को कम करते हैं, तो यह वैश्विक व्यापार में डॉलर के वर्चस्‍व को सीधी चुनौती होगी.

डरके मारे क्‍या बोल रहे ट्रंप
डोनाल्‍ड ट्रंप को डि-डॉलराइजेशन से ही सबसे बड़ा खतरा है. यही वजह है कि उन्‍होंने सीधे शब्‍दों में धमकी दे डाली है. ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखा कि यदि ब्रिक्स देश डॉलर के विकल्प की कोशिश करते हैं, तो उन पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा. इसका मतलब है कि ब्रिक्‍स के सभी 10 देशों पर ट्रंप की निगाह टेढ़ी हो चुकी है. अब अगर इन देशों ने अपनी लोकल करेंसी में ट्रेड करने की कोशिश की तो उनके प्रोडक्‍ट पर 100 फीसदी का अतिरिक्‍त टैरिफ लगाया जाएगा.

ब्रिक्स की बढ़ती आर्थिक शक्ति से परेशान
ब्रिक्स देशों का वैश्विक जीडीपी में योगदान (PPP के आधार पर) 35% हो चुका है, जबकि आपसी व्यापार साल 2025 में 1 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने का अनुमान है. यह G7 और विश्व बैंक जैसे पश्चिमी संस्थानों के लिए एक वैकल्पिक मंच बन सकता है और यही बात ट्रंप को सबसे ज्‍यादा सता रही है. ब्रिक्स का न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और आपसी व्यापार में स्थानीय मुद्राओं का उपयोग बढ़ने से अमेरिका को सीधी चुनौती मिलेगी.

अमेरिका विरोधी नीतियों का डर
ट्रंप और कुछ अमेरिकी रणनीतिकार ब्रिक्स को अमेरिका विरोधी गठबंधन के रूप में देखते हैं. खासकर इस समूह में रूस, चीन और ईरान जैसे देशों की मौजूदगी के कारण उसे अपने खिलाफ खतरा नजर आता है. 2025 के रियो डी जेनेरियो शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स ने ईरान पर अमेरिका और इजरायल के हमलों की निंदा भी कर दी और एकतरफा टैरिफ को वैश्विक व्यापार के लिए हानिकारक बताया. इस बयान को भी ट्रंप ने व्यक्तिगत रूप से लिया और तभी उनका पारा ब्रिक्‍स पर चढ़ा हुआ है.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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