ब्रिक्‍स देशों के साथ आ गए कोरिया और जापान तो फेल हो जाएगा ट्रंप का प्‍लान

14 hours ago

Last Updated:July 09, 2025, 10:03 IST

Trump Tariff vs BRICS : अमेरिका ने जापान और दक्षिण कोरिया पर 25 फीसदी का सीधा टैरिफ लगा दिया है. इसके बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्‍या यह दोनों देश भी ब्रिक्‍स संगठन में शामिल होंगे. अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप...और पढ़ें

ब्रिक्‍स देशों के साथ आ गए कोरिया और जापान तो फेल हो जाएगा ट्रंप का प्‍लान

अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप को ब्रिक्‍स संगठन से सबसे ज्‍यादा खतरा महसूस हो रहा है.

हाइलाइट्स

ट्रंप ने जापान और दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाया.जापान और दक्षिण कोरिया के ब्रिक्स में शामिल होने की संभावना बढ़ी.ब्रिक्स देशों का आपसी व्यापार 1 ट्रिलियन डॉलर पार.

नई दिल्‍ली. अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप फिलहाल पूरी दुनिया के व्‍यापार आंकड़ों को बदलने में लगे हैं. जब से गद्दी संभाली है, उनका सिर्फ एक ही लक्ष्‍य है कि अमेरिका को सबसे आगे रखकर और सिर्फ फायदे पर ही कारोबारी समझौते करना. इस दौड़ में उन्‍होंने दोस्‍त और दुश्‍मन सभी को एक तराजू में तौल दिया है. उन्‍हें बस चाहिए तो अमेरिका का फायदा, जिसके लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं. यही वजह है कि उन्‍हें न कोई ऐसा देश और न ही संगठन रास आ रहा है, जिससे अमेरिका को चुनौती मिलती दिखे. तभी महज 16 साल पहले बने ब्रिक्‍स देशों के संगठन से भी ट्रंप को डर लग रहा है. इस संगठन में अगर 2 और देश शामिल हो जाएं तो ट्रंप का सारा प्‍लान ध्‍वस्‍त हो जाएगा.

ब्रिक्‍स संगठन की शुरुआत तो 5 देशों के साथ हुई थी, लेकिन अब इसके सदस्‍यों की संख्‍या 10 पहुंच चुकी है. ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण कोरिया के अलावा इस संगठन में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया भी शामिल हो गए हैं. अगर इस संगठन में दक्षिण कोरिया और जापान शामिल हो जाएं तो अमेरिका की सांस फूल जाएगी. ट्रंप की ओर से जापान और दक्षिण कोरिया पर 25 फीसदी का सीधा टैरिफ लगाए जाने के बाद इसकी संभावना भी अब बढ़ने लगी है. ब्रिक्‍स देशों के व्‍यापार आंकड़े और उनका अमेरिका व जापान-दक्षिण कोरिया के साथ व्‍यापार आंकड़ा देखकर तो यही लगता है कि इस संगठन में देशों की संख्‍या 12 पहुंचने के बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति का टैरिफ प्‍लान पूरी तरह फेल हो जाएगा.

ब्रिक्‍स देशों का आपसी व्‍यापार कितना
ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया) के बीच आपसी कारोबार (इंट्रा-ब्रिक्स व्यापार) हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है. साल 2025 तक यह कारोबार बढ़कर सालाना 1 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 83.5 लाख करोड़ रुपये) को पार कर चुका है और यह बढ़ता ही जा रहा. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इसका उल्‍लेख किया है. ब्रिक्‍स देशों का आपसी कारोबार दुनिया के कुल कारोबार का करीब 20 फीसदी है. जनसंख्‍या के लिहाज से इन देशों में करीब 45 फीसदी लोग रहते हैं. जाहिर है कि ये देश मिलकर दुनिया का करीब आधा बाजार बनाते हैं.

ब्रिक्‍स देशों का दक्षिण कोरिया और जापान से कितना कारोबार
जैसा कि उम्‍मीद लगाई जा रही कि दक्षिण कोरिया और जापान भी ब्रिक्‍स में शामिल हो सकते हैं तो उनके असर को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि ब्रिक्‍स देशों का इनके साथ कितना कारोबार है. ब्रिक्‍स में सबसे बड़ा व्‍यापारिक साझेदार है चीन. ब्रिक्‍स देशों का दक्षिण कोरिया और जापान के साथ कुछ कारोबार करीब 820 अरब डॉलर का माना जा रहा है.

साल 2023 के आंकड़ों के अनुसार, चीन का दक्षिण कोरिया के साथ द्विपक्षीय व्यापार करीब 300 अरब डॉलर और जापान के साथ करीब 350 अरब डॉलर था. भारत का दक्षिण कोरिया के साथ व्यापार 2023 में लगभग 25 अरब डॉलर और जापान के साथ लगभग 22 अरब डॉलर था. रूस का दक्षिण कोरिया और जापान के साथ व्यापार मुख्य रूप से ऊर्जा (तेल और गैस) पर आधारित है. 2023 में रूस का दक्षिण कोरिया के साथ व्यापार करीब 30 अरब डॉलर और जापान के साथ 20 अरब डॉलर था. ब्राजील का दक्षिण कोरिया और जापान के साथ व्यापार मुख्य रूप से कृषि उत्पादों (सोयाबीन, मांस) और खनिजों पर आधारित है, जो 2023 में लगभग 10-15 अरब डॉलर के बीच था. दक्षिण अफ्रीका का जापान और दक्षिण कोरिया के साथ व्यापार खनिज और ऑटोमोटिव क्षेत्रों में केंद्रित है, जो 2023 में लगभग 5-7 अरब डॉलर था. नए ब्रिक्स सदस्य जैसे मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई, और इंडोनेशिया का दक्षिण कोरिया और जापान के साथ कुल व्‍यापार करीब 50 अरब डॉलर का है, जिसमें 20 अरब डॉलर का व्‍यापार यूएई और जापान के साथ रहा है.

ब्रिक्‍स देशों का अमेरिका से कितना कारोबार
जापान और दक्षिण कोरिया के साथ आने के बाद ब्रिक्‍स संगठन और मजबूत हो जाएगा और अमेरिका को सीधे चुनौती देने की स्थिति में पहुंच जाएगा. इसका प्रभाव जानने के लिए ब्रिक्‍स देशों और अमेरिका के बीच हो रहे कारोबार को समझना होगा. ब्रिक्स देशों का अमेरिका के साथ व्यापार 2023-2024 के डेटा के आधार पर साल 2025 तक 1,170 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.

चीन : अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है चीन, जिसका साल 2025 में सिर्फ अमेरिका से कुल व्‍यापार करीब 700 अरब डॉलर के बीच रहने की संभावना है. भारत : साल 2023 में अमेरिका से कुल कारोबार लगभग 191 अरब डॉलर था, जो साल 2025 में 250 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है और 2030 तक 500 अरब डॉलर का लक्ष्‍य है. ब्राजील : अमेरिका के साथ इसका व्यापार साल 2023 में करीब 89 अरब डॉलर था, जो साल 2025 में 100 अरब डॉलर रह सकता है. रूस : यूक्रेन संकट और प्रतिबंधों के कारण साल 2023 में दोनों का कारोबार काफी कम होकर 15 अरब डॉलर रह गया, जो साल 2025 में और नीचे जा सकता है. दक्षिण अफ्रीका : अमेरिका के साथ इसका व्यापार साल 2023 में लगभग 22 अरब डॉलर था, जो साल 2025 में करीब 25 अरब डॉलर हो जाएगा. नए ब्रिक्स देश : इंडोनेशिया और अमेरिका का कारोबार 2023 के 38 अरब डॉलर से बढ़कर 2025 में 50 अरब डॉलर तक जा सकता है. इसके अलावा यूएई का व्यापार साल 2023 में करीब 30 अरब डॉलर था, जबकि ईरान पर व्‍यापारिक प्रतिबंध है. मिस्र और इथियोपिया का व्यापार 5-10 अरब डॉलर के बीच है.

जापान-दक्षिण कोरिया का अमेरिका से कारोबार
साल 2023 में अमेरिका और जापान के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 230 अरब डॉलर था, जो साल 2025 में 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. जापान से अमेरिका को 70 अरब डॉलर का व्‍यापार घाटा होता है. ट्रंप ने जापान को सुझाव दिया है कि यदि जापानी कंपनियां अमेरिका में विनिर्माण करें तो टैरिफ से बचा जा सकता है. साल 2023 में दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच व्यापार करीब 150 अरब डॉलर था, जो 2025 में 200 अरब डॉलर तक हो सकता है. इससे अमेरिका का व्‍यापार घाटा करीब 28 अरब डॉलर का है. 1 अगस्‍त से 25 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के बाद दोनों देशों को झटका लग सकता है.

ट्रंप के टैरिफ से ब्रिक्‍स पर कितना असर
डोनाल्‍ड ट्रंप ने भले ही चीन के साथ समझौता करके व्‍यापारिक तनाव कम किया हो और भारत से ट्रेड डील पर आगे बढ़ रहे, लेकिन ब्रिक्‍स देशों के साथ उनके रवैये ने काफी तनाव बढ़ाया है. ट्रंप ने ब्रिक्‍स देशों पर 10 फीसदी अतिरिक्‍त टैरिफ लगाने की बात कही है. इसके अलावा ज्‍यादातर सदस्‍यों पर 25 से 40 फीसदी का टैरिफ लगा दिया है. 1 अगस्‍त यह प्रभावी हो जाएगा तो निश्चित रूप से इन देशों के बीच अमेरिका से कारोबार करना चुनौती बन जाएगा. व्‍यापार लागत बढ़ने के साथ सप्‍लाई चेन भी डिस्‍टर्ब होगी.

ब्रिक्‍स से क्‍यों घबरा रहे ट्रंप
ब्रिक्‍स देशों के समूह से अमेरिका को सबसे बड़ा खतरा डि-डॉलराइजेशन को लेकर है. ब्रिक्स देश अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, ताकि अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम हो. साल 2023 में इस संगठन के देशों का आपसी कारोबार उनकी स्‍थानीय मुद्राओं में करीब 500 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जो उनके कुल कारोबार का करीब 50 फीसदी हिस्‍सा है. साल 2024 के कजान शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स देशों ने स्थानीय मुद्रा में कर्ज बांटने पर भी बातचीत की थी. यह समूह वैश्विक जीडीपी में लगभग 30% और क्रय शक्ति क्षमता (PPP) के आधार पर 35% का योगदान देता है. रूस और चीन के बीच तो 95% व्यापार रूबल और युआन में होता है, जबकि दक्षिण कोरिया और जापान के साथ व्यापार में स्थानीय मुद्राओं का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है.

कैसे फेल होगा ट्रंप का प्‍लान
मान लेते हैं कि जापान और दक्षिण कोरिया ब्रिक्‍स संगठन में शामिल हो जाते हैं, जिससे अमेरिका के साथ उनके व्‍यापार पर असर पड़ता है. लेकिन, इन दोनों देशों का अमेरिका से कुल व्‍यापार महज 500 अरब डॉलर तक का ही है, जबकि ब्रिक्‍स देशों के साथ कुल व्‍यापार 820 अरब डॉलर का है. अगर ब्रिक्‍स देश आपस में मुक्‍त व्‍यापार समझौता करते हैं तो जापान और दक्षिण कोरिया के इस नुकसान की भरपाई आसानी से हो जाएगी. उन्‍हें स्‍थानीय मुद्रा में कारोबार करने का फायदा भी मिलेगा. ब्रिक्‍स संगठन को भी अमेरिका से अपने कुल 1,170 अरब डॉलर के व्‍यापार की काफी हद तक भरपाई इन दोनों देशों के साथ आने से हो जाएगी.

एक नजर में सारे आंकड़े क्‍लीयर

ब्रिक्‍स देशों का आपसी कारोबार 1,000 अरब डॉलर ब्रिक्‍स का अमेरिका से कारोबार 1,170 अरब डॉलर ब्रिक्‍स देशों का जापान-कोरिया से कारोबार 820 अरब डॉलर जापान-कोरिया से अमेरिका का व्‍यापार घाटा 100 अरब डॉलर ब्रिक्‍स देशों से अमेरिका को व्‍यापार घाटा 600 अरब डॉलर

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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