ब्रह्मोस से ज्‍यादा घातक, 7400 KMPH की रफ्तार, दुश्‍मनों के लिए तबाही

10 hours ago

Last Updated:June 07, 2025, 11:17 IST

India-Russia Defence Deal: चीन और पाकिस्‍तान को जरूरत पड़ने पर एक साथ सबक‍ सिखाया जा सके, इसके लिए भारत अपने हथियारों के भंडार को बढ़ाने के साथ ही उसे अपग्रेड करने में भी जुटा है. रूस से ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइल ख...और पढ़ें

ब्रह्मोस से ज्‍यादा घातक, 7400 KMPH की रफ्तार, दुश्‍मनों के लिए तबाही

रूस का R-37M मिसाइल दुनिया के खतरनाक मिसाइलों में से एक है. (फोटो: विकिपीडिया)

हाइलाइट्स

भारत रूस से हाइपरसोनिक मिसाइल R-37M खरीदने पर विचार कर रहादुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइल में से एक, 400 किलोमीटर तक है रेंजमैक-6 यानी 7400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अटैक करने में कैपेबल

नई दिल्‍ली. पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद भारत ने जिस तरह से रिस्‍पांस किया उससे पाकिस्‍तान के साथ ही पूरी दुनिया भी हैरत में पड़ गई. पाकिस्‍तान के तो होश उड़ गए. आतंकियों के आका ने सपने में भी सोचा था कि आतंकवादियों को पनाह देकर उसके जरिये हमला कराने का इतना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्‍च कर पहले पीओके और पाकिस्‍तान में मौजूद आतंकी अड्डों को तबाह किया और उसके बाद एक ही झटके में 11 एयरबेस को टारगेट कर व्‍यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचाया. भारत के इस प्रचंड प्रहार से पाकिस्‍तानी सेना के साथ ही सरकार की चूलें हिल गईं. ऑपरेशन सिंदूर में इंड‍ियन एयरफोर्स की भूमिका सबसे अहम रही. वायुसेना के जवानों ने महज कुछ ही मिनटों में पाकिस्‍तान में तबाह ला दी. खासकर ब्रह्मोस क्रूज सुपरसोनिक मिसाइल ने तो पाकिस्‍तान के हौसले को ही पंक्‍चर कर दिया. ब्रह्मोस के वार से पाकिस्‍तान झट से घुटनों पर आ गया. करोड़ों देशवासियों के साथ ही पूरी दुनिया ने ब्रह्मोस की ताकत और दुश्‍मनों को तबाह करने की क्षमता को देखा. पाकिस्‍तान अभी इसकी दहशत में जी रहा है, उधर भारत अपने वेपन सिस्‍टम में नई और ब्रह्मोस से भी घातक मिसाइल को जोड़ने जा रहा है. नई दिल्‍ली रूस से R-37M हाइपरसोनिक एयर-टू-एयर मिसाइल खरीदने पर विचार कर रहा है.

भारत एयरफोर्स की ताकत को और बढ़ाने पर विचार कर रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के साथ ही मॉडर्न वॉरफेयर में सशक्‍त एयरफोर्स की भूमिका काफी अहम और महत्‍वपूर्ण है. दुनिया के तमाम देश वायुसेना के साथ ही नेवी को भी मॉडर्न टेक्‍नोलॉजी से लैस करने में जुटा है. भारत भी इसमें पीछे नहीं है. डिफेंस फोर्सेज को अपडेट करने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे है. बता दें कि देश की उत्‍तरी और पश्चिमी सीमा से चीन और पाकिस्‍तान का बॉर्डर लगता है. इन दोनों देशों का भारत के साथ शत्रुतापूर्ण रवैया जगजाहिर है, ऐसे में देश की सेना और डिफेंस सिस्‍टम को मजबूत और उसे अभेद्य बनाना काफी जरूरी है. न्‍यूक्लियर टेस्‍ट के बाद ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल और राफेल फाइटर जेट को एयरफोर्स के बेड़ा से जोड़ा गया, जिससे देश की एयर पावर को नई ऊर्जा और ताकत मिली है. एयरफोर्स को और ताकतवर बनाने के लिए भारत की ओर से बड़ा कदम उठाया जा रहा है. भारत रूस से R-37M हाइपरसोनिक मिसाइल खरीदने और फिर भविष्‍य में उसे देश में ही बनाने पर विचार कर रहा है. इस मिसाइल की गिनती दुनिया की खतरनाक मिसाइलों में होती है.

R-37M और ब्रह्मोस मिसाइल में कई अंतर हैं.

R-37M हाइपरसोनिक मिसाइल

रूस द्वारा डेवलप R-37M हाइपरसोनिक मिसाइल को NATO ने AA-13 एक्‍सहेड का नाम दिया है. बियॉन्‍ड विजुअल रेंज (BVR) कैटेगरी में दुनियाभर में इसे सबसे घातक मिसाइल माना जाता है. BVR की खासियत होने की वजह से यह दुश्‍मनों के रडार की पकड़ में नहीं आती है, जिससे यह और खतरनाक हो जाती है. इसका रेंज 300 से 400 किलोमीटर है. ऐसे में इस मिसाइल से इंडियन एयरफोर्स का फाइटर जेट अपनी वायु सीमा में रहते हुए पाकिस्‍तान के कई महत्‍वपूर्ण शहरों को तबाह कर सकता है. इस्‍लामाबाद, लाहौर, कराची और रावलपिंडी एयरफोर्स की जद में आ जाएगा. R-37M मिसाइल के इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में शामिल होने से पाकिस्‍तान के साथ ही चीन की भी धुकधुकी बढ़नी तय है.

ब्रह्मोस मिसाइल की गिनती घातक मिसाइल्‍स में होती है.

R-37M बनाम ब्रह्मोस मिसाइल

R-37M और ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल में सामरिक रूप से कई महत्‍वपूर्ण अंतर हैं. ब्रह्मोस के शुरुआती वैरिएंट की रेंज 290 किलोमीटर थी. उसके बाद इसके रेंज को बढ़ाकर 400 से 450 किलोमीटर तक किया गया. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसकी रफ्तार ध्‍वनि की गति से 2.8 (मैक 2.8) गुना है, जो इसे और खतरनाक बनाता है. दूसरी तरफ, R-37M एक हाइपरसोनिक एयर-टू-एयर मिसाइल है. यह मैक 6 यानी कि आवाज की रफ्तार से 6 गुना ज्‍यादा की गति से टारगेट को हिट करने में सक्षम है. इस तरह R-37M एक हाइपरसोनिक मिसाइल है. इस मिसाइल की रेंज 300 से 400 किलोमीटर तक का है. R-37M 7400 किलोमीटर की रफ्तार से दुश्‍मन को ध्‍वस्‍त कर सकती है.

मारक क्षमता में बढ़ोतरी

R-37M मिसाइल हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. इसकी सबसे बड़ी ताकत स्टैंड-ऑफ रेंज है. यानी यह इतनी दूर से दुश्‍मन के विमानों को निशाना बना सकती है कि भारतीय पायलटों को उनके रडार या हथियार की जद में आए बिना ही हमला करने का मौका मिल जाता है. इससे पाकिस्तान की वायुसेना को रणनीतिक तौर पर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. खासतौर पर उसके आधुनिक माने जाने वाले F-16 लड़ाकू विमान और हवाई निगरानी प्लेटफॉर्म यानी AWACS अब खतरे में दिख रहे हैं. R-37M की रेंज और गति पाकिस्तान के पास मौजूद अमेरिकी AIM-120C AMRAAM और चीन से प्राप्त PL-15 मिसाइलों से कहीं अधिक है. इससे भारतीय पायलटों को पहले हमला करने और सुरक्षित दूरी से निकल जाने की सुविधा मिलती है.

भारत में उत्‍पादन

भारत को रूस की ओर से R-37M हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल की आपूर्ति की पेशकश की गई है. यह पेशकश न केवल सीधे मिसाइल सप्‍लाई तक सीमित है, बल्कि इसके तहत मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत भारत में स्‍थानीय उत्‍पादन का विकल्‍प भी शामिल है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस संभावित स्‍थानीय उत्‍पादन में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की भागीदारी हो सकती है. R-37M मिसाइल की विशेषता इसकी लगभग 400 किमी की रेंज और माक 6 की गति है, जिससे यह दुनिया की सबसे लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों में से एक मानी जाती है. इसका लक्ष्‍य मुख्य रूप से हाई-वैल्‍यू एरियल एसेट्स (जैसे AWACS, AEW&C और टैंकर विमान) को बड़े स्‍टैंड-ऑफ डिस्टेंस से निशाना बनाना होता है, जिससे दुश्‍मन के एयर डिफेंस नेटवर्क को कमजोर किया जा सके.

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Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...

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