बिहार में कौन कर रहा 'ताबड़तोड़ तेल मालिश'... तेजस्वी ने TTM पर क्या कहा?

11 hours ago

Last Updated:July 06, 2025, 14:48 IST

Tejashwi Yadav on TTM: तेजस्वी यादव ने बिहार की राजनीति में 'ताबड़तोड़ तेल मालिश' शब्द का इस्तेमाल क्यों और किसके लिए किया? बिहार की सियासत में तेजस्वी के इस बयान के बाद क्या मचेगी हलचल?

बिहार में कौन कर रहा 'ताबड़तोड़ तेल मालिश'... तेजस्वी ने TTM पर क्या कहा?

तेजस्वी यादव ने मीडिया पर क्यों बोला हमला?

हाइलाइट्स

तेजस्वी यादव ने किस पर टीटीएम का आरोप लगाया.बिहार चुनाव से पहले तेजस्वी का बयान सियासी हलचल मचा रहा है.तेजस्वी ने मीडिया पर सत्ताधारी NDA की चाटुकारिता का आरोप लगाया.

पटना. बिहार में ‘ताबड़तोड़ तेल मालिश’ यानी TTM शब्द को बवाल शुरू हो गया है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस शब्द का प्रयोग कर बिहार की राजनीति बहस छेड़ दी है. दरअसल, इस शब्द का प्रयोग लालू यादव ने संसद में कभी कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को निशाना बनाकर किया था. अब उनके बेटे तेजस्वी यादव ने ‘टीटीएम’ का तड़का बिहार की राजनीति में लगाकर हलचल मचा दी है. तेजस्वी ने शनिवार को मीडिया पर निशाना साधते हुए इस शब्द का इस्तेमाल किया. तेजस्वी ने कहा, ‘सत्ता की ताबड़तोड़ तेल मालिश छोड़ दो. अभी भी वक्त है, दलाली से निकलो, पत्रकारिता पर लौटो. वरना आने वाली पीढ़ियां तुम्हें ‘झूठ का दलाल’ कहेंगी.’ तेजस्वी से पहले TTM शब्द का इस्तेमाल लालू यादव ने 2000 के दशक में संसद में दिए अपने एक संबोधन में किया था. लालू यादव ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा था, ‘मैडम सोनिया के इर्द-गिर्द कुछ टीटीएम करने वाले लोग हैं.’ उन्होंने संसद में टीटीएम का फुल फॉर्म ताबड़तोड़ तेल मालिश बताया तो पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा. लेकिन अब लालू की तरह ही उनका बेटा भी सत्ता की चाटुकारिता को लेकर कुछ मीडिया हाउसेज को निशाने पर लिया है.

बिहार चुनाव से पहले तेजस्वी यादव ने कुछ मीडिया हाउस पर सत्ताधारी NDA की ‘ताबड़ तोड़ तेल मालिश’ करने का आरोप लगाया है. तेजस्वी यादव ने बड़े ही तल्ख अंदाज में कहा, कुछ मीडिया है वो टीटीएम करने का काम छोड़ेंगे नहीं. ताबड़तोड़ तेल मालिश करो मीडिया के लोगों. एजेंडा सेट करते हैं, प्रोपोगेंडा करते हैं. ऐसे लोगों ने बिहार और देश के लोगों को बर्बाद कर दिया है. हम खुलकर कहना चाहते हैं कुछ बिहार के अखबार हैं जो विपक्ष की बातों को नहीं छापते. लालू-राबड़ी राज में विपक्ष की खबर पहले पन्ने पर छपता था. कहीं चिंटी मर गई तो पहले पन्ने पर होता था. आज बिहार में अपराध बढ़ रहा है और इन कायरों की हिम्मत नहीं है कि पहले पन्ने पर छाप सकें. कायर हैं और इन अखबारों को मैं कुछ दिनों का समय देते हैं. हम अपने समर्थकों को कहेंगे कि अगर ऐसे-ऐसे अखबार नहीं सुधरेंगे तो उनका बॉयकाट करें. कोई गांव में अखबार नहीं जाएगा और कोई नहीं पढ़ेगा. साथ दीजिए आप. देश को बर्बाद करने में मीडिया की भूमिका है. एक खास वर्ग ने कब्जा लिया है.’

तेजस्वी के ताबड़तोड़ तेल मालिश बोलने के मायने

तेजस्वी के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में बवाल आ सकता है. यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले विपक्ष की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वे सत्ताधारी गठबंधन को घेरने के लिए पुराने और चटपटे शब्दों का सहारा ले रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी का ‘TTM’ शब्द का इस्तेमाल और बिहार चुनाव से गहरा नाता है. तेजस्वी अपने समर्थकों को यह बताना चाह रहे हैं कि सत्ताधारी दल और उनके कथित मीडिया समर्थन के बहकावे में न आएं. अपराध और सरकार की कथित नाकामियों को उजागर करने के लिए तेजस्वी ने यह तंज उनके पिता लालू की आक्रामक और चटपटी शैली को आगे बढ़ाने का भी प्रयास है, जो हमेशा से जनता के बीच लोकप्रिय रही है.

क्या बिहार में मीडिया बिक चुकी है?

तेजस्वी यादव के इस आरोप ने बिहार में पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर बहस छेड़ दी है. कई विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी का गुस्सा बिहार में बढ़ते अपराध की खबरों को कवर करने में मीडिया की कथित उदासीनता से उपजा है. बिहार में हाल के महीनों में आपराधिक घटनाओं में वृद्धि की खबरें सामने आई हैं, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि ये मुद्दे मीडिया में उतनी प्रमुखता से नहीं उठाए जा रहे जितना होना चाहिए. कुछ स्वतंत्र पत्रकारों और विश्लेषकों का कहना है कि सरकारी विज्ञापनों और दबाव के चलते कई मीडिया हाउस सत्ताधारी दलों के प्रति नरम रुख अपनाते हैं.

फिलहाल बिहार की सियासत में ‘ताबड़ तोड़ तेल मालिश’ का यह जुमला एक बार फिर चर्चा का केंद्र बना हुआ है. तेजस्वी के बिहार में बढ़ते अपराध और सामाजिक मुद्दों को कवर करने में मीडिया की कथित नाकामी पर सवाल उठाने के कई मायने हो सकते हैं. तेजस्वी ने आरोप लगाने के दौरान किसी भी अखबार की कोई कटिंग नहीं दिखाई, जिसमें पहले पन्ने पर अपराध की खबर नहीं हो. गोपाल खेमका की मर्डर की खबर शनिवार सुबह आई तो बिहार के सभी अखबारों में रविवार के अंक में पहले पेज पर यह खबर थी. ऐसे में तेजस्वी यादव का यह कहना कि सिर्फ लालू-राबड़ी राज में ही अपराध की खबर पहले पन्ने पर दिखती है, उचित नहीं जान पड़ती.

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