पहले 4 पैरों के होते थे सांप, क्या होगा यदि धरती से सांप खत्म हो जाएं

1 month ago

होम

/

न्यूज

/

ज्ञान

/

पहले 4 पैरों के होते थे सांप, फिर कहां चले गए ये, क्या होगा अगर धरती से सांप पूरी तरह खत्म हो जाएं तो

सांप के चार पैरों का काल्पनिक चित्र.

सांप के चार पैरों का काल्पनिक चित्र.

धरती पर जो जीव सबसे ज्यादा कौतुहल वाले माने जाते हैं, जिनसे डर भी लगता है, वो सांप हैं, वो जहरीले होते हैं, तेजी से रें ...अधिक पढ़ें

News18 हिंदीLast Updated : March 29, 2024, 10:54 ISTEditor picture

हाइलाइट्स

अगर सांप धरती से लुप्त हो गए तो हमारे पर्यावरण और जीवनदायी दवाओं पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा
बहुत पहले शायद सांप अपने पैरों का उपयोग शिकार के लिए करता रहा होगा लेकिन काफी कम
डायनासौर और सांप करोड़ों साल पहले धरती पर साथ रहते थे लेकिन सांप कैसे बच गए

कुछ समय पहले ब्राज़ील में जब जमीन की खुदाई हो रही थी तो खोजकर्ताओं को वहां बहुत पुराने सांप के जीवाश्म मिले, जिनसे पता चला कि पहले धरती पर चार पैरों वाले सांप होते थे, ये वो समय था जबकि डायनासौर भी हुआ करते थे.

वैज्ञानिकों को सांप का 04 पैरों का जो जीवाश्म ब्राजील में मिला, वो करीब 11 करोड़ साल पुराना है. वैसे पिछली दो टांगों वाले सांपों के कई और जीवाश्म भी पहले भी मिल चुके हैं. हालांकि माना जाता है कि तब भी सांप रेंगते ही थे लेकिन पैरों की इस्तेमाल शिकार को पकड़ने के लिए करते रहे होंगे. ये पैरे छोटे और नाजुक हुआ करते थे.

कितने लंबे होते थे पैर
जीवाश्म से पता चलता है कि सांपों के ये पैर कुछ मिलीमीटर लंबे होते थे. बाद में जैसे जैसे सांपों का और विकास हुआ, तो उनके ये दो पैर गायब हो गए. हालांकि सांप पानी में भी पाए जाते हैं लेकिन ये बराबर माना जाता है कि सांपों का विकास जमीन पर ही हुआ और फिर में कुछ प्रजातियां पानी में भी रहने लगीं.

11 करोड़ साल पुराना वो जीवाश्म, जिसमें सांप के पिछले दो पैर साफ नजर आ रहे हैं.

पैरों को लेकर बहस
जमीन पर रहने वाला सांप भी पानी में तैर सकता है हालांकि ये उसके लिए आसान तो नहीं होता हालांकि पानी में रहने वाला सांप बखूबी इसमें रहता है और केवल आक्सीजन लेने के लिए अपना मुंह पानी से बाहर निकालता है और काफी समय तक अंदर रह सकता है. सांपों के पैरों को लेकर जीवाश्म वैज्ञानिकों के बीच लंबे समय से बहस हो रही है.

ब्राजील में जो 11 करोड़ साल पुराना जीवाश्म मिला, उसके अध्ययन से जुड़े यूनिवर्सिटी ऑफ़ बाथ के डॉक्टर निक लांगरिच ने कहना है कि ये सांप का सबसे पुराना जीवाश्म है.

अब सांप के पैर नहीं होते लेकिन वो बखूबी रेंग सकते हैं.

अब नहीं होते पैर
अब मौजूदा दौर के सापों में आम तौर पर सांपों के पैर नहीं होते. उनमें पैरों की हड्डियां नहीं होतीं. हालांकि सांप के शरीर में एक रीढ़ की हड्डी होती है जो 200-300 कशेरुकाओं से बनी होती है. रीढ़ की हड्डी के साथ कई पसलियां जुड़ी होती हैं. सांप एक रेंगता हुआ शरीर होता है, जिसमें उन्हें पैरों की आवश्यकता नहीं होती.

यह व्यापक रूप से माना जाता है कि सांपों का विकास वेरानिडे परिवार की छिपकलियों से हुआ. इसमें सांपों ने तो अपने लंबे होने और रेंगने के कारण पैर खोना शुरू कर दिया लेकिन छोटा होने के कारण छिपकलियों के पैर बने रहे.

डायनासौर खत्म हो गए तो सांप कैसे बचे
वैसे ये हैरानी की बात है कि सांप धरती पर तब से हैं जब से डायनासौर हुआ करते थे लेकिन डायनासौर तो खत्म हो गए लेकिन सांप बचे रहे. एक नई स्टडी कहती है कि एस्टेरॉयड के धरती से टकराने के कारण धरती से डायनासोर ख़त्म हो गए.

धरती पर बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई, ज़्यादातर जानवर और पेड़-पौधे ख़त्म हो गए. लेकिन सांप इसलिए बच गए क्योंकि वो धरती के भीतर जाकर छिप गए और लंबे समय तक बिना भोजन के जीवित रहने में कामयाब रहे. ये बात छह करोड़ 60 लाख साल पुरानी है, जब धरती से ये एस्टेरॉयड टकराया था. उसमें डायनासोर ख़त्म हो गए.

अगर सांप दुनिया से गायब हो गए तो पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा.

इसके बाद सांप दुनियाभर में फैल गए. आज दुनियाभर में इनकी तीन हज़ार से अधिक प्रजातियां हैं. सांपों की जो प्रजातियां जीवित रहने में कामयाब रह सकीं, वो प्रमुख तौर पर वो प्रजातियां थीं जो धरती के अंदर या जंगलों में पेड़ों के नीचे या फिर साफ़ पानी के स्रोतों में रहती थीं.

समंदर से लेकर मरुस्थल तक सांप
आज दुनिया भर में सांपों की जो प्रजातियां पाई जाती हैं, उनमें पेड़ पर रहने वाले, समुद्र में रहने वाले, ज़हरीले सांप और अजगर जैसे सांप शामिल हैं, कुछ में जहर होता है और कुछ में नहीं. धरती पर सांप अंटार्कटिक को छोड़कर लगभग सभी जगहों पर पाए जाते हैं. वो मरुस्थल से लेकर समंदर तक मिलते हैं.

अगर सांप धरती से गायब हो गए तब
वैसे सच कहें तो पर्यावरण की रक्षा के लिए भी सांपों का होना ज़रूरी है. ये कीड़े मकौड़ों को नियंत्रित करके इंसानों की मदद करता है. सांपों के न होने से चूहों की मात्रा बढ़ जाएगी. चूहों की पैदावार बढ़ने पर फसलों का उत्पादन भी प्रभावित होगा. चील की आबादी कम हो जाएगी. मेंढकों की आबादी बढ़ जाएगी. कीड़ों की आबादी कम हो जाएगी.

मोटे तौर पर ये सब होगा अगर सांप लुप्त हो गए तो…
खाद्य श्रृंखला में गड़बड़ी: खाद्य श्रृंखला उन जीवों से बनी होती है जो विभिन्न स्तरों पर एक-दूसरे को खाते हैं. सांपों को हटाने से खाद्य श्रृंखला बाधित होगी, इसका असर ये होगा कि अन्न और खाद्य कम होने लगेंगे.

फसल कुतरने वालों में वृद्धि: फसल कुतरने वाले छोटे जीव अधिक प्रजनन करेंगे और ज्यादा फसलें खाएंगे, इससे खाद्य समस्या के साथ बीमारियां भी फैल सकती हैं.

मुसोफ़ोबिया: चूहे-चूहियों का भय बढ़ेगा.

प्रजातियों में गिरावट : कई प्रजातियाँ जो भोजन के लिए साँपों पर निर्भर हैं, जैसे सूअर, नेवले और शिकारी पक्षियों की संख्या में गिरावट आएगी. कुछ प्रजातियां विलुप्त भी हो सकती हैं.

चिकित्सा में दवाओं पर असर : कुछ जीवनदायी दवाएं सांप के जहर से ही बनती हैं, जिनसे कैंसर और मधुमेह के संभावित उपचार शामिल हैं. और भी कई जीवनदायी दवाओं में सांप के जहर का उपयोग होता है.

चील यानि ईगल आबादी में कमी : चील की आबादी कम हो जाएगी.

मेढकों की जनसंख्या में वृद्धि : मेंढकों की आबादी बढ़ेगी.

कीड़ों की आबादी में कमी : कीड़ों की आबादी कम हो जाएगी.

पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव : सांप जिस पारिस्थितिकी तंत्र में रहते हैं उस पर प्रभाव डालते हैं.

.

Tags: Cobra snake, Snake, Snake Rescue, Snake Venom, Snakebite

FIRST PUBLISHED :

March 29, 2024, 10:54 IST

Read Full Article at Source