
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी की ₹100 करोड़ की मानहानि वाली याचिका खारिज कर दी, क्योंकि वे सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद नहीं थे। यह याचिका उन्होंने अपने भाई शमसुद्दीन सिद्दीकी और पत्नी के खिलाफ दाखिल की थी।
नवाजुद्दीन का आरोप था कि उनके बारे में झूठे और बदनाम करने वाले बयान फैलाए गए, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा और उन्हें बड़ी मानसिक व सामाजिक हानि हुई।

इस मामले में नवाजुद्दीन सिद्दीकी और उनके वकील कई बार अदालत में पेश नहीं हुए, जिसके चलते याचिका गैर-प्रसिक्षण (non-prosecution) के आधार पर खारिज कर दी गई। शमसुद्दीन सिद्दीकी की ओर से वकील अली काशिफ खान देशमुख, स्निग्धा खंडेलवाल और फारिद शेख ने पैरवी की। वकील देशमुख ने कहा कि नवाजुद्दीन द्वारा दायर यह मामला पूरी तरह निराधार था और इसमें कोई न्यायसंगत दावा नहीं था। यह याचिका केवल हमारे मुवक्किल पर वित्तीय विवादों के चलते दबाव बनाने के उद्देश्य से दायर की गई थी।

यह मामला उस विवाद से जुड़ा था, जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने भाई को अपने मैनेजर के रूप में नियुक्त किया था और उसे पैसों से जुड़े कई कामों की जिम्मेदारी दी थी। बाद में दोनों के बीच मनमुटाव हो गया और उन्होंने सोशल मीडिया पर एक-दूसरे पर आरोप लगाना शुरू कर दिया। इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों पक्ष सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के खिलाफ कोई पोस्ट न करें, ताकि मामला शांतिपूर्वक सुलझाया जा सके।
इस मामले के खारिज होने के बाद विवाद फिलहाल कानूनी तौर पर कोर्ट में बंद हो गया है। बावजूद इसके, दोनों पक्षों के बीच सामाजिक और पारिवारिक तनाव की खबरें अब भी सामने आती रहती हैं।