जिस धरती ने लालू को बनाया बड़ा नेता, राजद के लिए उसर हो गई वो मिट्टी!

1 month ago

सारण लालू की कर्मभूमि रही है लेकिन बीते कुछ चुनाव से यहां पार्टी लगातार हार रही है.

सारण लालू की कर्मभूमि रही है लेकिन बीते कुछ चुनाव से यहां पार्टी लगातार हार रही है.

देश में लोकतंत्र का उत्सव चल रहा है. ऐसे में बिहार की चर्चा कैसे नहीं हो सकती है. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और अधिकतर सीटों पर मुकाबला तगड़ा है. आज एक ऐसी सीट की चर्चा जो बिहार के एक सबसे बड़े नेता लालू प्रसाद यादव की कर्मभूमि रही है. यहां की धरती ने उन्हें बड़ा नेता बनाया, लेकिन बीते कुछ चुनावों से राजद के लिए यहां की मिट्टी उसर बन गई है. बीते कई चुनाव से यहां उसे हार नसीब हो रही है. लालू को अपना नायक मानने वाली यह धरती बीते 2014 के चुनाव में उनकी पत्नी राबड़ी देवी को भी दगा दे दी. 2019 में लालू के समधी यहां से उम्मीदवार थे लेकिन उन्हें भी हार झेलना पड़ा.

हम बात कर रहे हैं सारण लोकसभा सीट की. यहां 2014 से बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी का कब्जा है. सारण सीट कई मायनों में खास है. यहां की राजनीति की एक धूरी पर बीते करीब तीन दशक से राजीव प्रताप रूडी जमे हुए हैं. दूसरी तरफ यह सीट लालू परिवार के नाम पर भी पहचानी जाती है.

सारण में लालू परिवार का सालों तक दबदबा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में लालू परिवार की दूसरी पीढ़ी यहां से चुनावी मैदान में उतर सकती है. यहां से बीजेपी ने एक बार फिर राजीव प्रताप रूडी को अपना चेहरा बनाया है. वहीं लालू की बेटी रोहिणी आचार्य के यहां से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने की खबर आ रही है.

लालू परिवार की खास सीट
सारण लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि और भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की धरती रही है. सारण लोकसभा सीट का अस्तित्व 2008 के परिसीमन के बाद सामने आया, इससे पहले यह सीट छपरा लोकसभा के रूप में जानी जाती थी. 1977 से पहले यह सीट कांग्रेस की गढ़ थी, पर 1977 में लालू प्रसाद यादव के यहां से जीतने के बाद यह उनके परिवार की पहचान बन गई. लालू का पहली बार छपरा से ही लोकसभा में प्रवेश हुआ. इसके बाद लालू यहां से 1989, 2004 और फिर 2009 में सांसद बने. छपरा से ही चुनाव जितने के बाद वह केंद्र में रेल मंत्री रहे.

2014 में लालू ने सारण से अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मैदान में उतारा, जहां सामना बीजेपी के रूडी से हुआ. रूडी ने राबड़ी देवी को करीब 41 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया. रूडी सारण से 1996, 1999, 2014 और 2019 यानी चार बार चुनाव जीत चुके हैं. 2019 में सारण सीट से लालू ने अपने समधी चंद्रिका राय को मैदान में उतारा, पर उनको रूडी ने मात दे दी. सारण सीट लालू परिवार हमेशा से अपनी पहचान के रूप में रखना चाहता है.

रोहिणी आचार्य!
लोकसभा चुनाव में बीजेपी बिहार की सभी 40 सीटें का दावा कर रही है. वहीं लालू ने बेटी रोहिणी आचार्य को सारण सीट से ही राजनीतिक जीवन की शुरुआत कराने का फैसला लिया है. रोहिणी आचार्य भले ही राजनीतिक मंचों पर भाषण देते अब तक नहीं देखी गई हैं, पर सोशल मीडिया पर वह काफी सक्रिय हैं. वह विरोधियों पर तीखे हमले करती हैं.

सारण सीट का जातीय अंक गणित
सारण सीट पर जहां लालू परिवार का लंबे समय तक कब्जा रहा है वहीं अब बीजेपी ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली है. परिसीमन के बाद छपरा की जगह सारण सीट के अस्तित्व में आने के बाद इसका वोट का गणित भी तेजी से बदला है. सारण लोकसभा में 6 विधानसभा क्षेत्र आता है. सारण में छपरा, सोनपुर, परसा, मढ़ौरा, अमनौर और गड़खा विधानभा क्षेत्र आता है. सारण क्षेत्र के जातीय और वर्ग समीकरण को देखे तो सारण राजपूत और यादव बहुल क्षेत्र है. राजपूत और यादव सारण के सब्स बड़े मतदाता हैं पर मुसलमान और वैश्य समुदाय के वोट निर्णायक माने जाते हैं. माई समीकरण के तहत ही लालू लगातार सारण से चुनाव जीतते रहे हैं पर परिसीमन के बाद वैश्य वोटों की गोलबंदी के कारण रजीव प्रताप रूड़ी ने लालू को मात दे दी. इस बार के चुनाव में लालू की पुत्री रोहिणी आचार्य अपने पुराने माई समीकरण के भरोसे ही राजनीतिक करियर की शुरुआत कर रही हैं. वहीं राजीव प्रताप रूडी एकबार फिर अपने सामाजिक समीकरण के बदौलत दो दो हाथ करने को तैयार हैं.

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Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Rajiv Pratap Rudy, Saran News

FIRST PUBLISHED :

March 28, 2024, 16:39 IST

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