जहां इंसानों का पहुंचाना होता है मुश्किल, वहां BRO कैसे बनाता है सड़क

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Last Updated:July 28, 2025, 15:38 IST

नई दिल्‍ली. बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन हिमांक परियोजना के तहत लद्दाख में सासोमा-दौलत बेग ओल्डी सड़क बन रही है. यह सड़क भारतीय सेना को तेजी से सामान और सैनिक पहुंचाने में मदद करेगी, जो चीन सीमा पर भारत की ताकत बढ़ाएगी.

बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन हिमांक परियोजना के तहत लद्दाख में सासोमा-दौलत बेग ओल्डी सड़क बन रही है. यह सड़क भारतीय सेना को तेजी से सामान और सैनिक पहुंचाने में मदद करेगी, जो चीन सीमा पर भारत की ताकत बढ़ाएगी.

लद्दाख में बाढ़ से टूटी सड़क को जोड़ता बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन का बेली ब्रिज! योजक परियोजना के तहत निम्मू-पदम-दर्चा सड़क पर रातोंरात 50 फीट का ब्रिज बनाया गया. कठिन इलाकों में BRO की तेजी और समर्पण से सेना और स्थानीय लोगों को मदद मिलती है. यह ब्रिज रणनीतिक कनेक्टिविटी को मजबूत करता है.

बीआरओ ने विश्व की सबसे ऊंची सुरंग लद्दाख में शिंकुला सुरंग (15,840 फीट) पर बना रहा है. यह 4.1 किलोमीटर की डबल ट्यूब सुरंग मनाली से लेह तक हर मौसम में कनेक्टिविटी देगी. इससे सेना और रसद तेजी पहुंचेगा और लद्दाख के लोग फायदा होगा. यह प्रोजेक्‍ट भारत की इंजीनियरिंग ताकत दिखाता है.

BRO की दंतक परियोजना के तहत भूटान में डमचू-चुखा सड़क (30 किमी) बनाकर फुंटशोलिंग से थिम्पू का सफर आसान किया. दुर्गम पहाड़ी इलाकों में बनी यह सड़क व्यापार और संपर्क को बढ़ाती है. 1961 से दंतक परियोजना भूटान के विकास में योगदान दे रही है.

लद्दाख की सड़कों पर भारी बर्फबारी के बीच BRO के जवान दिन-रात काम करते हैं. कठिन मौसम और ऊंचे पहाड़ों में सड़कें खुली रखकर सेना और स्थानीय लोगों का सफर आसान करते हैं. दौलत बेग ओल्डी तक कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना BRO का मिशन है.

लद्दाख के फोब्रांग-मार्शिमिक-ला में सिर्फ 20 दिनों में 280 फीट का डबल लेन स्टील ब्रिज बनाया गया. हिमांक परियोजना के तहत यह ऐतिहासिक काम किया. यह ब्रिज सीमा पर सेना की ताकत बढ़ाता है और स्थानीय लोगों का आवागमन आसान करता है.

बीआरओ ने अमरनाथ श्रद्धालुओं के लिए ऐसी रास्‍ता बनाया है, जिससे सफर आसान बन सके.

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