नई दिल्ली (इंटरनेट डेस्क) अदिति शुक्ला। दिल्ली का एक्यूआई करीब 400 के पार जा रहा है, लोगों ने घरों में एयर प्यूरिफायर्स लगाए हुए हैं, इंडिया में ऐसा एयर पॉल्यूशन होना कोई नईं बात नहीं है, वर्ल्ड की टॉप 10 मोस्ट पॉल्यूटिंग सिटीज में अकेले भारत के 6 देश शामिल है, इससे आप आंदाजा लगा ही सकते हैं हम कैसी हवा में सांस ले रहे हैं। शहर की सड़कें एक धुंधले चैंबर में बदल चुकी हैं जहां हर सांस के साथ इनविजिबल जहर शरीर में एंटर कर रहा है। PM2.5 जो हमारे फेफड़ों की सबसे नाजुक जगह तक पहुंच जाता है। यह वही पार्टिकल है जो COPD यानी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज को ट्रिगर करता है और पहले से गम्भीर मरीजों की हालत मिनटों में बिगाड़ सकता है।
COPD को बढ़ावा दे रहा पॉल्यूशन
- COPD बेसिकली दो सिचुएशन का मिक्सचर है एम्फायजेमा, जिसमें फेफड़ों के एयर सैक्स धीरे-धीरे टूटने लगते हैं, और क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस, जिसमें एयरवे हमेशा सूजे रहते हैं। इस बीमारी में सांस लेने की क्षमता लगातार घटती जाती है और एक बार जो नुकसान हो जाए वह वापस नहीं आता। पॉल्यूशन इस बीमारी को कई स्तरों पर तेजी से बढ़ाता है। सबसे बड़ी वजह है PM2।5। यह बेहद छोटे कण फेफड़ों की सबसे अंदरूनी सतह पर जाकर सूजन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और स्थायी नुकसान का कारण बनते हैं।
- रिसर्च बताती है कि सिर्फ PM2।5 के थोड़े-से बढ़ने पर भी COPD मरीजों में एक्सैसरबेशन यानी अचानक बुरा होने के चांसेज कई गुना बढ़ जाते हैं। दिल्ली में 2016–2018 के बीच हुए एक स्टडी में पाया गया कि PM2।5 लेवल और अस्पताल पहुंच रहे सांस के मरीजों के बीच 0।88 का स्ट्रॉन्ग कॉरिलेशन था मतलब हवा जितनी खराब, अस्पताल उतने भरे।
NO₂ और SO₂ : हवा के दो और खतरनाक दुश्मन
दिल्ली की हवा में सिर्फ धूल नहीं, कई जहरीली गैसें भी घुली रहती हैं। नाइट्रोजन डायऑक्साइड (NO₂) जो ज्यादातर वाहनों से निकलती है एयरवे को सीधे इरिटेट करती है। COPD मरीजों में सिर्फ थोड़ी-सी NO₂ की वृद्धि भी लगभग 33% तक एक्सैसरबेशन का रिस्क बढ़ा देती है। सल्फर डायऑक्साइड (SO₂) जिसका भारत दुनिया में सबसे बड़ा उत्सर्जक है दिल्ली की हवा में बड़ा रोल निभाता है। एक स्टडी बताती है कि SO₂ लेवल बढ़ने वाले दिनों में सांस की बीमारियों के अस्पताल विजिट्स 30-80% तक बढ़ जाते हैं। COPD वाले व्यक्ति के लिए यह गैस सीधे खतरनाक साबित होती है क्योंकि यह एयरवे की लाइनिंग को नुकसान पहुंचाकर बलगम बढ़ाती है और सांस को बेहद कठिन बना देती है।
ओजोन: पर बेहद हार्मफुल गैस
सर्दियों में सूरज की रोशनी कम होने और धुंध बढ़ने के कारण ओजोन लेवल भी गड़बड़ होने लगता है। यह गैस फेफड़ों के फंक्शन को तेजी से कम करती है और पहले से कमजोर फेफड़ों वाले लोगों के लिए गंभीर खतरा बन जाती है। ओजोन और NO₂ का कॉम्बिनेशन दिल्ली की हवा को और जहरीला बनाता है।
ऐसे महसूस होते हैं COPD एक्सैसरबेशन
जब हवा बेहद खराब हो, COPD मरीजों को अचानक:
- सांस लेने में तेज दिक्कत,
- बलगम बढ़ना,
- सीने में जकड़न,
- थकान और कभी-कभी बुखार जैसे लक्षण महसूस होते हैं।
यह एक्सैसरबेशन कई दिनों तक रहता है और कई बार अस्पताल में भर्ती करना पड़ जाता है। दिल्ली की सर्दियां हर साल ऐसे मामलों को चरम पर पहुंचा देती हैं।
पॉल्यूशन से ऐसे बचें
पॉल्यूशन पूरी तरह से अवॉयड करना लगभग नामुमकिन है, लेकिन नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
1. प्रणायाम और बॉक्स ब्रीदिंग
पुराने जमाने के भारतीय ब्रीदिंग तरीके अब साइंस से भी सही पाए गए हैं। रोजाना थोड़ी देर प्रणायाम करने से आपके फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और सांस लेने में आसानी होती है। रिसर्च में दिखा है कि पीक एक्सपिरेटरी फ्लो रेट 37% तक सुधर सकती है। वहीं बॉक्स ब्रीदिंग (4 सेकंड इनहेल, 4 सेकंड होल्ड, 4 सेकंड एक्सहेल, 4 सेकंड होल्ड) भी बहुत काम आती है। सिर्फ 30 दिन लगातार करने से FVC और FEV1 जैसे लंग फंक्शन में सुधार आता है।
2. खाना-पकाना और पॉल्यूशन से बचाव
हम जो खाते हैं, वो भी फेफड़ों की हेल्थ में बड़ा रोल निभाता है। गाजर, स्वीट पोटैटो और ऑरेंज वेजिटेबल्स जैसी चीजें COPD के रिस्क को कम करती हैं। विटामिन C, E और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स भी पॉल्यूशन से होने वाले नुकसान को कम करते हैं। मेडिटेरेनियन डाइट इस मामले में सबसे बढ़िया मानी जाती है।
3. अपना क्लीन एयर जोन बनाएं
घर के अंदर HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर लगाएं। ये PM2।5 को 60% तक कम कर सकते हैं और सांस लेने में आसानी देते हैं। स्पाइडर प्लांट और स्नेक प्लांट जैसी इंडोर प्लांट्स भी हवा साफ करती हैं।
4. सर्वाइवल किट
उच्च AQI वाले दिनों में N95 या N99 मास्क पहनें, AQI ऐप्स से हवा की क्वालिटी चेक करें, और हर्बल स्टीम (यूक्लिप्टस या जिंजर) रोज 5-10 मिनट लें। ये सब अपनी दवाओं के साथ करें, रिप्लेसमेंट के तौर पर नहीं।

3 hours ago
