जगदीप धनखड़ का इस्तीफा...कांग्रेस ने चली चाल, पर अपने ही चक्रव्यूह में फंस गई?

1 month ago

Last Updated:July 24, 2025, 13:24 IST

Jagdeep Dhankhar News: जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं. क्या कांग्रेस ने राजनीतिक जीत हासिल की या खुद को नुकसान पहुंचाया?

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा...कांग्रेस ने चली चाल, पर अपने ही चक्रव्यूह में फंस गई?Jagdeep Dhankhar News: जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को इस्तीफा दे दिया था.

हाइलाइट्स

जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया.कांग्रेस की रणनीति से विपक्षी एकता टूट गई.न्यायमूर्ति वर्मा के महाभियोग पर चर्चा हुई.

Jagdeep Dhankhar News: जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की वजहें तलाशी जा रही हैं. मानसून सत्र के पहले दिन ही उन्होंने अपना इस्तीफा क्यों दिया. जब तक खुद वजह नहीं बताते, तब तक कयासों का दौर जारी रहेगा. कांग्रेस को सेहत वाली वजह पर यकीन नहीं. इस बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर उठे ताजा राजनीतिक भूचाल की जड़ शायद 8 जुलाई 2025 को मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर हुई कांग्रेस की रणनीतिक बैठक में है. यह बैठक जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी. उस बैठक में पी चिदंबरम जैसे सीनियर नेता भी शामिल थे.

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कथित तौर पर सरकार को एक और जज जस्टिस शेखर यादव के महाभियोग पर स्पष्ट रुख अपनाने के लिए मजबूर करने की कोशिश की. कांग्रेस ने संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की पहले की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार और भाषण में अंतर है. जो इन दोनों जजों के संदर्भ में थी.

आखिरकार कांग्रेस ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ राज्यसभा में एक अलग महाभियोग प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया. इसमें अन्य विपक्षी दलों के समर्थन सहित 65 हस्ताक्षर जुटाए गए. रणनीतिक रूप से इसका मकसद जस्टिस यादव मुद्दे पर भी सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव बनाना था.

किसने उपराष्ट्रपति को दिया महाभियोग वाला प्रस्ताव?

कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे, अरविंद केजरीवाल और जयराम रमेश जैसे नेताओं ने यह प्रस्ताव उपराष्ट्रपति को सौंपा. उपराष्ट्रपति ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह ‘इस पर विचार करेंगे. लेकिन जब जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को राज्यसभा में इस प्रस्ताव का जिक्र किया और मंजूर किया तो इससे राजनीतिक उथल-पुथल मच गई. खुद सरकार चौंक गई और उनके इस कदम से नाराज हो गई. कांग्रेस के कई नेताओं को लगा कि उनकी योजना सफल रही. हालांकि, इसका एक नुकसान भी हुआ वह यह कि विपक्षी एकता फिर से टूट गई.

विपक्षी एकता में कैसे फूट पड़ गई?

तनाव तब बढ़ गया जब टीएमसी और समाजवादी पार्टी जैसी पार्टियों और यहां तक कि कई कांग्रेस सांसदों ने कुछ कांग्रेस नेताओं के जगदीप धनखड़ के प्रति सहानुभूति दिखाने पर नाराजगी जताई. जयराम रमेश की एक सोशल मीडिया पोस्ट, जिसमें उन्होंने जगदीप धनखड़ को ‘किसान पुत्र’ कहकर सम्मानजनक विदाई न मिलने की बात कही, यह बात कई लोगों को पसंद नहीं आई. विडंबना यह है कि कांग्रेस ने ही बीएसी बैठक में विदाई भाषण का सुझाव दिया था. हालांकि, इस प्रस्ताव का किसी ने समर्थन नहीं किया. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस ने उस व्यक्ति के लिए खेद व्यक्त करते हुए राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करके अपनी विश्वसनीयता को कमज़ोर कर लिया है, जिस पर उसने कभी महाभियोग चलाने की कोशिश की थी.

क्या कांग्रेस ने खुद को नुकसान पहुंचाया?

अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस ने पॉलिटिकल प्वाइंट हासिल करने की कोशिश में अपनी ही विश्वसनीयता को कमजोर कर दिया है, जबकि उसने एक ऐसे व्यक्ति के लिए खेद व्यक्त किया जिसके खिलाफ उसने कभी महाभियोग लाने की कोशिश की थी.

Location :

Delhi,Delhi,Delhi

homenation

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा...कांग्रेस ने चली चाल, पर अपने ही चक्रव्यूह में फंस गई?

Read Full Article at Source