चिराग फ्रंट फुट पर, 243 की बात कर नीतीश को सांसत में डाला, उधर बीजेपी का 'खेल'

20 hours ago

Last Updated:June 10, 2025, 13:07 IST

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीते 8 जून को आरा की लोजपाआर की रैली में दिये गये चिराग पासवान के बयान और अब बीजेपी नेता सम्राट चौधरी की इसको लेकर कही गई बातें, दोनों को मिलाएंगे तो इसके केंद्...और पढ़ें

चिराग फ्रंट फुट पर, 243 की बात कर नीतीश को सांसत में डाला, उधर बीजेपी का 'खेल'

बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान.

हाइलाइट्स

चिराग पासवान ने बिहार की 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया.बिहार चुनाव को लेकर चिराग के आक्रामक दांव से नीतीश पर बढ़ा दबाव.भारतीय जनता पार्टी एनडीए में संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रही है.

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं और एनडीए गठबंधन के भीतर सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं. केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान की आरा रैली में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर बिहार के सियासी हलकों में हलचल मचा दी है. उनके इस बयान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) को असहज स्थिति में ला खड़ा किया है. दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठबंधन की एकजुटता पर जोर देते हुए बीजेपी की बैलेंसिंग पॉलिटिक्स (संतुलनकारी राजनीति) की ओर संकेत किया है. इस बीच, तेजस्वी यादव और महागठबंधन की रणनीति भी एनडीए की अंदरुनी राजनीति पर नजर रखे हुए है.

चिराग का आक्रामक दांव- बता दें कि बीते 8 जून को आरा रैली में दिए गए चिराग पासवान के बयान ने बिहार की राजनीति को गरमा दिया है. दरअसल, उन्होंने कहा था कि, मैं बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ूंगा और एनडीए को जिताऊंगा. यह बयान न केवल उनकी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, बल्कि एनडीए के भीतर सीट बंटवारे पर दबाव बनाने की रणनीति भी मानी जा रही है. सूत्र बताते हैं कि चिराग पासवान की पार्टी को 25-28 सीटें मिलने की संभावना है, लेकिन उनका यह बयान जेडीयू और बीजेपी से अधिक हिस्सेदारी की मोलभाव की कोशिश कही जा रही है. बता दें कि चिराग पासवान का 40 से 50 सीटों का दावा है.

चिराग पासवान की क्या है रणनीति?

दरअसल, वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने जेडीयू के खिलाफ बगावत कर 35 सीटों पर उसके वोट काटे थे जिसके चलते जेडीयू को केवल 43 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में जेडीयू की हैसियत इतनी घट गई कि कभी बिहार की नंबर वन का पोजिशन रखने वाली पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. इस बार चिराग पासवान की रणनीति सामान्य सीटों पर भी चुनाव लड़ने की है, ताकि वह केवल दलित नेता की छवि से बाहर निकलकर सर्वसमाज के नेता के रूप में उभर सकें. उनकी युवा अपील और ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का नारा दलित और गैर-यादव पिछड़े वर्गों में लोकप्रियता बढ़ा रहा है जो नीतीश कुमार की राजनीति के लिए चिंता का विषय हो सकता है.

नीतीश कुमार पर बढ़ता जा रहा दबाव

चिराग पासवान के बयान ने नीतीश कुमार की सियासी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. हाल के सर्वेक्षणों में नीतीश की लोकप्रियता में कमी देखी गई है और तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे नेता उनसे आगे निकल रहे हैं. नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर अटकलें और जेडीयू का 2020 का खराब प्रदर्शन उनकी स्थिति को कमजोर कर रहे हैं. ऐसे में चिराग पासवान का यह बयान जेडीयू के लिए खतरे की घंटी कही जा रही है, क्योंकि यह एनडीए गठबंधन के भीतर एकजुटता पर सवाल उठाता है. हालांकि, भाजपा की कोशिश एनडीए की राजनीति में संतुलन बनाए रखने की है.

बिहार एनडीए में बीजेपी का बैलेंसिंग एक्ट

बीजेपी बिहार में नीतीश को गठबंधन का चेहरा बनाए रखने पर सहमत है, लेकिन चिराग की बढ़ती महत्वाकांक्षा को भी नजरअंदाज नहीं कर रही. सूत्रों के अनुसार, एनडीए में सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय हो चुका है जिसमें जेडीयू को 102-103, बीजेपी को 101-102, और चिराग की पार्टी को 25-28 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी, चिराग को एक युवा और दलित चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट कर तेजस्वी के खिलाफ जवाबी रणनीति बना रही है, लेकिन नीतीश कुमार की नाराजगी से बचने के लिए सतर्कता बरत रही है. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के इस बयान पर गौर करिये जिसमें चिराग पासवान के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए एकजुट होकर चुनाव लड़ेगा और सरकार बनाएगा.

एनडीए पर सम्राट चौधरी ने क्या कहा?

सम्राट चौधरी ने नीतीश और पीएम मोदी के नेतृत्व में बिहार के विकास की बात दोहराई, लेकिन चिराग पासवान की आक्रामकता को संतुलित करने की कोशिश में बीजेपी का रुख सावधानी वाला भी दिखाया. सम्राट चौधरी ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा, लालू यादव और उनके बेटे ने 15 साल में कोई जातीय गणना नहीं की. नीतीश के कामों को ही भुनाया. उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना के फैसले का श्रेय एनडीए को दिया.जाहिर है यह बयान बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वह सामाजिक न्याय के मुद्दे पर महागठबंधन को घेरना चाहती है तो एनडीए की भीतर संतुलन बनाए रखने की कवायद भी.

एनडीए पर महागठबंधन की पैनी नजर

वहीं, दूसरी र तेजस्वी यादव और महागठबंधन एनडीए के भीतर इस उथल-पुथल का फायदा उठाने की कोशिश में हैं. तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाया है, लेकिन सम्राट चौधरी के बयान ने इसे सीएम नीतीश और पीएम मोदी की उपलब्धि के रूप में पेश कर उनके नैरेटिव को कमजोर करने की कोशिश की है. महागठबंधन की 12 जून की बैठक में तेजस्वी सीट बंटवारे और सामाजिक न्याय के मुद्दे को और धार देंगे, ताकि एनडीए की आंतरिक कलह का लाभ उठाया जा सके.

दिलचस्प मोड़ पर एनडीए की राजनीति

बहरहाल, महागठबंधन के सियासी हमलों के बीच एनडीए की इस राजनीति में चिराग पासवान का 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का बयान उनकी सियासी महत्वाकांक्षा और एनडीए के भीतर अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति को दर्शाता है. यह नीतीश कुमार के लिए चुनौती है, जिनकी लोकप्रियता और सेहत को लेकर सवाल उठ रहे हैं. वहीं बीजेपी सम्राट चौधरी के नेतृत्व में नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रही है, ताकि गठबंधन की एकजुटता बनी रहे. दूसरी ओर, तेजस्वी यादव इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं. बिहार का सियासी रण अब न केवल गठबंधनों के बीच, बल्कि एनडीए के भीतर भी दिलचस्प मोड़ ले रहा है.

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Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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