गोलियों से छलनी हो चुका था पूरा शरीर, सामने थे 9 पाकिस्‍तानी और 4 बंकर, फिर...

10 hours ago

Last Updated:July 26, 2025, 07:16 IST

Kargil Ki Kahani: गोलियों से छलनी कैप्‍टन अनुज नैयर ने अकेले पाकिस्‍तान के छह सैनिकों को मार दुश्‍मन के चार बंकरों को नेस्‍तनाबूद कर दिया था. कारगिल युद्ध में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले जांबाज को मरणोपरां...और पढ़ें

गोलियों से छलनी हो चुका था पूरा शरीर, सामने थे 9 पाकिस्‍तानी और 4 बंकर, फिर...

हाइलाइट्स

मश्‍कोह वैली के प्वाइंट 4875 पर लड़ी गई यह जंग.15,990 फीट की ऊंचाई पर स्थित है प्वाइंट 4875.‘पिंपल टू’ के नाम से जाना जाता है प्‍वांट 4875.

Kargil Ki Kahani: यह कहानी है मश्‍कोह वैली के प्वाइंट 4875 पर लड़ी गई उस जंग की है, जहां भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता और बलिदान की नई इबारत लिख दी. समुद्र तल से 15,990 फीट की ऊंचाई पर स्थित प्वाइंट 4875, जिसे ‘पिंपल टू’ के नाम से जाना जाता था, सामरिक दृष्टि से बेहद अहम था. आतंकियों के भेष में घुसपैठ आए पाकिस्तानी सैनिकों ने इस चोटी पर कब्जा जमा रखा था. इसे वापस हासिल करने का जिम्मा 17 जाट रेजीमेंट को सौंपा गया था.

6 जुलाई 1999 को मेजर ऋतेश शर्मा के नेतृत्व में 17 जाट रेजीमेंट की चार्ली कंपनी ने इस कठिन मिशन को अंजाम तक पहुंचाने की शुरुआत की थी. 7 जुलाई को भारतीय सेना के जांबाज और दुश्मन के बीच आमने-सामने की लड़ाई शुरू हो चुकी थी. युद्ध के दौरान मेजर ऋतेश शर्मा गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें इलाज के लिए वापस बेस भेजा गया. अब उनकी जगह कैप्टन अनुज नय्यर को चार्ली कंपनी की कमान सौंपी गई.

दुश्‍मन की गोलियों पर भारी पड़ा कैप्‍टन अनुज का हौसला
कैप्टन अनुज ने नए सिरे से रणनीति बनाई और असॉल्ट टीम को दो हिस्सों में बांटा. पहली टीम का नेतृत्व कैप्टन विक्रम बत्रा ने संभाला, जबकि दूसरी टीम की कमान उन्होंने अपने पास रखी. दुश्मन की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक टोही दल भेजा गया, जिसने चार दुश्मन बंकरों की मौजूदगी की जानकारी दी. इस सूचना के आधार पर कैप्टन अनुज ने अपनी टीम के साथ दुश्‍मन पर हमला बोल दिया.

जैसे ही भारतीय जांबाज आगे बढ़े, दुश्मन ने बंकरों से मोर्टार और आर्टिलरी फायर शुरू कर दिया. लेकिन कैप्टन अनुज की टीम ने हिम्मत नहीं हारी. वे दुश्मन की गोलाबारी का जवाब देते हुए तेजी से आगे बढ़े. कैप्टन अनुज ने रॉकेट लांचर और ग्रेनेड से पहले बंकर पर हमला बोला और उसे ध्वस्त कर दिया. इसके बाद, एक-एक कर उन्होंने दुश्‍मन के तीन अन्‍य बंकरों को भी नेस्तनाबूद कर दिया और चौथे की तरफ आगे बढ़ गए.

तिरंगा फहरा कैप्‍टन अनुज ने दिया प्राणों का सर्वोच्‍च बलिदान
दुश्मन, भारतीय जांबाजों के इस जोश को देखकर घबरा गया और उसने ऑटोमेटिक हैवी मशीनगन से अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. लेकिन कैप्टन अनुज ने अपनी जान की परवाह किए बिना हमला जारी रखा. इसी दौरान दुश्मन ने रॉकेट लांचर से उन पर ग्रेनेड दागा, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए. युद्धभूमि में ही कैप्टन अनुज ने देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे दिया.

इस लड़ाई में कैप्टन अनुज ने अकेले नौ दुश्मन सैनिकों को मार गिराया और तीन मध्यम मशीन गन पोजीशन को नेस्‍तनाबूद कर दिया. उनकी वीरता और नेतृत्व ने भारतीय सेना की साहसिक परंपराओं को जीवंत कर दिया. प्वाइंट 4875 पर भारतीय तिरंगे को फिर से फहराने में उनकी भूमिका अविस्मरणीय रही. कैप्टन अनुज नय्यर की इस अदम्य वीरता और देशभक्ति के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 3 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें

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