क्या आपने कभी सोचा है कि वोट देते समय आपकी ऊंगली पर जो स्याही लगाई जाती है, वो आती कहां से है? उस स्याही को बनाता कौन है? कितनी कीमत है?
News18 हिंदीLast Updated :March 18, 2024, 14:33 ISTWritten byPrabhat Upadhyay
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भारत में लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) का बिगुल बज चुका है. कुल 7 चरण में चुनाव होंगे. शुरुआत 19 अप्रैल से होगी और आखिरी चरण का मतदान 1 जून को होगा. नतीजे 4 जून को आएंगे. इलेक्शन कमीशन, लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस चुका है. मतदाता सूची से लेकर ईवीएम तक को अंतिम रूप दे रहा है. चुनाव सामग्री पहुंचाई जा रही है. क्या आपने कभी सोचा है कि वोट देते समय आपकी ऊंगली पर जो स्याही लगाई जाती है, वो आती कहां से है? उस स्याही को बनाता कौन है? कितनी कीमत है?
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1962 के लोकसभा चुनाव में पहली बार पारदर्शिता और फर्जी वोटिंग रोकने के लिए ऊंगली पर स्याही लगाने की शुरुआत हुई. इसके बाद से हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इस पक्की स्याही (Indelible Ink) का इस्तेमाल होता आया है. जब पहली बार स्याही का इस्तेमाल हुआ तब चुनाव आयोग का मानना था कि स्याही लगाने से कोई दोबारा वोट नहीं डाल पाएगा और धांधली रोकी जा सकेगी.
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तब से आज तक सिर्फ एक कंपनी स्याही को बनाती आ रही है. इस कंपनी का नाम है मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (MPVL). यह कर्नाटक सरकार की कंपनी है और इसकी शुरुआत साल 1937 में हुई थी. एमपीवीएल की नींव नलवाड़ी कृष्णा राजा वाडियार ने रखी थी. शुरुआत में इस कंपनी का नाम मैसूर लाक फैक्ट्री हुआ करता था. 1947 में जब देश आजाद हुआ तो इस कंपनी को सरकर ने टेकओवर कर लिया और इसका नाम मैसूर लाक एंड पेंट्स लिमिटेड रखा.
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साल 1989 में कंपनी ने वार्निश प्रोडक्शन शुरू किया और इसके साथ अपना नाम भी बदल लिया. एमपीवीएल का भारत की चुनावी यात्रा में बहुत अहम योगदान है. 70 के दशक से आज तक सिर्फ इसी कंपनी को चुनाव में इस्तेमाल होने वाली स्याही बनाने की इजाजत है. स्याही का फार्मूला भी सीक्रेट है और कंपनी किसी और के साथ इस फॉर्मूले को शेयर नहीं कर सकती. एमपीवीएल, नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री की मदद से स्याही तैयार करती है.
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मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (MPVL) सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के 25 और देशों को भी यह स्याही एक्सपोर्ट करती है. एमपीवीएल द्वारा तैयार की गई स्याही की एक शीशी से कम से कम 700 उंगलियों पर पक्की स्याही लगाई जा सकती है. हर शीशी में 10 एमएल स्याही होती है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्याही की 10 एमएल की शीशी की कीमत करीब 127 रुपये है.
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इस लिहाज से 1 लीटर की कीमत करीब 12,700 रुपये होगी. वहीं, एक एमएल यानी एक बूंद की बात करें तो करीब 12.7 रुपये इसकी कीमत बैठेगी. इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया यानी चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एमपीवीएल को 26 लाख वायल से ज्यादा स्याही बनाने का जिम्मा दिया है. स्याही का प्रोडक्शन भी अंतिम फेज में है.
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कौन बनाता है वो स्याही, जिसका चुनाव में होता है इस्तेमाल? कितनी है एक बूंद की कीमत
भारत में लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) का बिगुल बज चुका है. कुल 7 चरण में चुनाव होंगे. शुरुआत 19 अप्रैल से होगी और आखिरी चरण का मतदान 1 जून को होगा. नतीजे 4 जून को आएंगे. इलेक्शन कमीशन, लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस चुका है. मतदाता सूची से लेकर ईवीएम तक को अंतिम रूप दे रहा है. चुनाव सामग्री पहुंचाई जा रही है. क्या आपने कभी सोचा है कि वोट देते समय आपकी ऊंगली पर जो स्याही लगाई जाती है, वो आती कहां से है? उस स्याही को बनाता कौन है? कितनी कीमत है?