किसकी लगती है इलेक्शन में ड्यूटी, ये क्यों जरूरी, नहीं करने पर क्या है सजा

1 month ago

होम

/

न्यूज

/

ज्ञान

/

Explainer: किसकी लगती है इलेक्शन में ड्यूटी, ये क्यों जरूरी, इसे नहीं करने पर क्या मिलती है सजा

मतदान केंद्र के बाहर वोटरों की लंबी लाइन.

मतदान केंद्र के बाहर वोटरों की लंबी लाइन.

Explainer: चुनाव आयोग को चुनाव कराने के लिए बड़ी संख्या में कर्मियों की जरूरत होती है और ये कर्मी विभिन्न सरकारी विभागो ...अधिक पढ़ें

News18 हिंदीLast Updated : March 28, 2024, 13:12 ISTEditor picture

हाइलाइट्स

चुनाव आयोग को चुनाव कराने के लिए बड़ी संख्या में कर्मियों की जरूरत होती है.
ये कर्मी विभिन्न सरकारी विभागों, सरकारी स्कूल के शिक्षकों, बैंकों से लिए जाते हैं.
चुनाव ड्यूटी के लिए नियुक्त लोगों के अनुपस्थित रहने की कोई गुंजाइश नहीं है.

चुनाव किसी भी लोकतंत्र के लिए महापर्व की तरह होता है. इस समय देश में 2024 लोकसभा चुनावों को लेकर तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं. इस बार देश में सात चरणों में चुनाव होंगे, मतदान की प्रक्रिया 19 अप्रैल से एक जून तक चलेगी. चार जून को मतगणना की जाएगी. चुनाव आयोग को चुनाव कराने के लिए बड़ी संख्या में कर्मियों की जरूरत होती है और ये कर्मी विभिन्न सरकारी विभागों, सरकारी स्कूल के शिक्षकों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और एलआईसी सहित विभिन्न उद्यमों जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से लिए जाते हैं. मतदान दलों में पीठासीन अधिकारी और मतदान अधिकारी, सेक्टर और जोनल अधिकारी, माइक्रो-ऑब्जर्वर, सहायक व्यय पर्यवेक्षक, चुनाव में उपयोग किए जाने वाले वाहनों के ड्राइवर, कंडक्टर और क्लीनर आदि शामिल होते हैं. 

सुरक्षा और कानून व्यवस्था में शामिल पुलिसकर्मी, सेक्टर और जोनल अधिकारी , रिटर्निंग अधिकारी, सहायक रिटर्निंग अधिकारी, जिला चुनाव अधिकारी और उनके कर्मचारी, अन्य लोगों में से हैं जो देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपने-अपने जिलों में चुनाव कराने में मदद करते हैं. चुनाव ड्यूटी के लिए नियुक्त लोगों के अनुपस्थित रहने की कोई गुंजाइश नहीं है. अनुपस्थिति पर आयोग की ओर से दंड दिया जाता है. 

किसकी लगती है डयूटी
चुनाव कार्य में केवल उन्हीं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा सकती है जो केंद्र या राज्य के स्थायी कर्मचारी हैं. इसके बाद भी अगर जरूरत पड़ती है तो उन कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई जा सकती है जो रिटायर होने के बाद प्रतिनियुक्ति (Deputation) पर हैं. चुनाव कार्य में कांट्रैक्ट या दैनिक वेतनभोगी की ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती है. अगर पति-पत्नी दोनों सरकारी कर्मचारी हैं तो चुनाव ड्यूटी में एक को छूट मिल सकती है. ऐसे में पति-पत्नी दोनों की ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी. दंपती में से कोई एक बच्चों या अपने बुजुर्ग मां-बाप की सेवा के लिए अपनी ड्यूटी हटाने के लिए आवेदन दे सकती है.

ये भी पढ़ें- रूस के वो सीक्रेट शहर, जहां रहने वालों को वोटिंग की भी थी मनाही, देश के नक्शे से ही कर दिया गायब

हो सकती है छह माह तक की सजा
हर चुनाव में पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी प्रथम, मतदान अधिकारी द्वितीय और मतदान अधिकारी तृतीय की अहम भूमिका होती है. अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी जानबूझकर खुद को चुनाव ड्यूटी से अलग रखता है तो यह असंज्ञेय अपराध (Non- cognizable cases) की श्रेणी में आता है. ऐसे अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 128 के तहत कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. इसके तहत दोषी पाए जाने पर छह माह की सजा का प्रावधान है.

किसे मिल सकती है छूट
केवल चार कारण हैं जब किसी सरकारी कर्मचारी की चुनाव ड्यूटी रद्द की जा सकती है. इसके लिए संबंधित कर्मचारी को अपने उच्च अधिकारियों को एक वैध प्रमाण प्रस्तुत करना होगा. चुनाव ड्यूटी से छूट के आदेश केवल जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) द्वारा पारित किए जा सकते हैं. अधिकांश जिलों में, जिला कलेक्टर को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 13एए के अनुसार डीईओ के रूप में नामित किया गया है. अधिनियम के अनुसार, वह मुख्य निर्वाचन अधिकारी को रिपोर्ट करेगा जो नामित डीईओ की देखरेख, निर्देशन और नियंत्रण करेगा. जो बदले में एक जिले के चुनाव कार्य का पर्यवेक्षण करता है. 

दो अलग स्थानों पर ड्यूटी
एक मानदंड यह है कि यदि किसी कर्मचारी को दो अलग-अलग स्थानों पर ड्यूटी दी जाती है, तो वह एक स्थान पर ड्यूटी रद्द करने का अनुरोध कर सकता है क्योंकि उसके लिए दोनों स्थानों पर रिपोर्ट करना असंभव नहीं होगा. 

ये भी पढ़ें- Explainer: जब आप ज्यूडिशियल कस्टडी में होते हैं तो क्या होते हैं अधिकार

किसी राजनीतिक दल से जुड़ाव
दूसरा मानदंड राजनीतिक संबद्धता है. यदि कोई कर्मचारी किसी विशेष राजनीतिक दल से जुड़ा है, तो वह व्यक्ति अपनी राजनीतिक संबद्धता का हवाला देकर छूट मांग सकता है. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ” उस व्यक्ति को संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को राजनीतिक दल के साथ अपनी संबद्धता का सबूत जमा करना होगा. इसे आगे की कार्रवाई के लिए डीईओ को भेजा जाएगा.”

विदेश यात्रा की पूर्व-बुकिंग
यदि आपने पहले से ही विदेश यात्रा की योजना बनाई है जो लोकसभा चुनाव की तारीखों से टकराती है तो आप चुनाव ड्यूटी रद्द करने के लिए कह सकते हैं. यहां समस्या यह है कि यात्रा की पहले से बुकिंग होना जरूरी है. टिकट और दिए गए वीजा को यात्रा के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करना होगा. 

हार्ट या दुर्लभ रोग
दिशानिर्देशों के अनुसार, जो व्यक्ति गंभीर हार्ट डिजीज या दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं जो उनके कामकाज को प्रभावित करते हैं, वे भी छूट मांग सकते हैं. इस मामले में भी, संबंधित कर्मचारी को सभी आवश्यक चिकित्सा प्रमाण पत्र जमा करने होंगे.

.

Tags: 2024 Lok Sabha Elections, Election commission, Election Commission of India, Lok Sabha Election 2024

FIRST PUBLISHED :

March 28, 2024, 13:12 IST

Read Full Article at Source