कामकाजी लोग तो हैं, मगर अगली पीढ़ी के लिए खतरा… भारत में गिरती जन्म दर का संकट

22 hours ago

Last Updated:June 10, 2025, 16:29 IST

India Population 2025: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या 2025 तक 1.46 अरब होगी, जो दुनिया में सबसे अधिक है. देश की प्रजनन दर घटकर 1.9 (प्रति महिला) रह गई है, जो प्रतिस्थापन दर (2.1) से कम ह...और पढ़ें

कामकाजी लोग तो हैं, मगर अगली पीढ़ी के लिए खतरा… भारत में गिरती जन्म दर का संकट

डेढ़ अरब के करीब पहुंच भारत की आबादी: यूएन. (File Photo)

नई दिल्ली: भारत की जनसंख्या के भीतर एक बड़ा बदलाव आ रहा है. संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा ‘विश्व जनसंख्या स्थिति (SWOP) रिपोर्ट 2025’ में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है – भारत की कुल प्रजनन दर अब ‘प्रत्यास्थापन स्तर’ (Replacement Level) से नीचे पहुंच चुकी है. इसका मतलब है कि जितने लोग जा रहे हैं, उतने नए लोग पैदा नहीं हो रहे. रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत तक भारत की जनसंख्या 1.46 अरब तक पहुंचने का अनुमान है. मगर कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate) अब 1.9 पर आ गई है, जबकि स्थायी जनसंख्या के लिए इसे कम से कम 2.1 होना चाहिए. साफ है कि भारत में अब महिलाएं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आबादी को स्थिर बनाए रखने के लिए ज़रूरी बच्चों से कम जन्म दे रही हैं.

असली संकट: बच्चे की चाह न पूरी कर पाने वाले दंपतियों का दर्द

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की इस रिपोर्ट में इस स्थिति को ‘वास्तविक प्रजनन संकट’ बताया गया है. रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में लाखों लोग ऐसे हैं, जो अपने वास्तविक प्रजनन लक्ष्यों तक नहीं पहुंच पा रहे. यानी या तो वे जितने बच्चे चाहते हैं उतने नहीं कर पा रहे, या वे संतानहीनता की स्थिति में फंसे हुए हैं.

इसका सबसे बड़ा कारण महिलाओं की गर्भनिरोधक साधनों तक अधूरी पहुंच, स्वास्थ्य सेवाओं में खामी, करियर व आर्थिक चिंताओं के कारण बच्चे न पैदा करने का फैसला और बदलती सामाजिक धारणाएं मानी जा रही हैं.

देश जवान, लेकिन चुनौतियां बड़ी

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में अभी भी युवा जनसंख्या का बड़ा हिस्सा है:

0-14 वर्ष: 24% 10-19 वर्ष: 17% 10-24 वर्ष: 26% 15-64 वर्ष (कामकाजी उम्र): 68%

इस कामकाजी जनसंख्या के साथ भारत के पास एक बड़ा ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ (Demographic Dividend) है, यानी यदि सही नीतियां बनाई जाएं तो भारत आने वाले दशकों में आर्थिक महाशक्ति बन सकता है.

जनसंख्या का ढांचा बदल रहा है

यूएन रिपोर्ट के अनुसार भारत अब मध्यम आय वाले देशों के उस समूह में है, जहां जनसंख्या दोगुनी होने में 79 वर्ष लगने का अनुमान है. यह एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि पहले यह समय बहुत कम था.

यूएनएफपीए की भारत में प्रतिनिधि एंड्रिया एम वोज्नर के मुताबिक, ‘भारत ने पिछले पांच दशकों में प्रजनन दर कम करने में उल्लेखनीय सफलता पाई है. 1970 में जहां एक महिला औसतन 5 बच्चे पैदा कर रही थी, वहीं अब यह आंकड़ा 2 के आसपास आ चुका है. यह शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का नतीजा है.’

क्या है चिंता?

एक तरफ यह गिरती प्रजनन दर भारत में जनसंख्या विस्फोट पर लगाम लगने का संकेत है, दूसरी तरफ इसका एक खतरनाक पहलू भी है- भविष्य में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और कामकाजी उम्र के युवाओं की घटती संख्या.

अगर यह रुझान जारी रहा, तो अगले 2-3 दशकों में भारत को बुजुर्गों के लिए नई नीतियां और स्वास्थ्य सेवाएं तैयार करनी होंगी. साथ ही, कम होती युवा जनसंख्या का असर आर्थिक उत्पादकता पर भी पड़ेगा.

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Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

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