एक जज ऐसे भी, ना कोई फेयरवेल ना ताम-झाम, रिटायर होते ही खाली किया बंगला और...

8 hours ago

Last Updated:July 06, 2025, 18:09 IST

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टीस डीवाई चंद्रचूड़ रिटायरमेंट के बाद सरकारी बंगला खाली ना करने पर चर्चा में हैं. मगर, सुप्रीम कोर्ट के एक ऐसे भी जज हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट के अगले ही दिन सरकारी बंगला खाली कर अ...और पढ़ें

एक जज ऐसे भी, ना कोई फेयरवेल ना ताम-झाम, रिटायर होते ही खाली किया बंगला और...

एक जज ऐसे भी, तुरंत खाली किया था सरकारी बंगला.

सरकारी पदों पर आसीन उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों चाहे सरकारी अफसर हों या कोई मंत्री…. सरकारी बंगले के इतने आदि हो चुके होते हैं कि कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनका मोह खत्म नहीं होता है. महीनों-सालों तक उसी में डेरा जमाए हुए रहते हैं. कभी-कभी तो लंबे समय तक सरकारी नोटिस को दरकिनार करते रहते हैं, जब तक कड़ाई से उनसे बंगला खाली ना करवाया जाए. ऐसे नेताओं और सरकारी अफसरों की लिस्ट काफी लंबी है. मगर, चर्चा में हैं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़. वह बीते साल 10 नवंबर 2024 को रिटायर हुए थे, मगर वह अभी तक उन्होंने सरकारी बंगला खाली नहीं किया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार के लिखे लेटर के बाद बवाल मचा हुआ है. मगर, हम इस विवाद पर बात नहीं करेंगे. हम एक सुप्रीम कोर्ट के एक ऐसे ही जज की बात करेंगे, जिन्होंने रिटायर होते ही अपना सरकारी बंगला खाली किए और बिना किसी तामझाम के अपने गांव चल दिए. दरअसल, हम बात कर रहे हैं- जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर की. वह 22 जून 2018 को रिटायर हुए थे. आइए, उनकी कहानी पर नजर डालते हैं.

तारीख 22 जून साल 2018… सुबह के 5 बजे थे, दिल्ली के तुगलक रोड स्थित जजेज कॉलोनी से सामान से लदे हुए ट्रक रवाना हो रहे थे. जब मीडिया और लोगों ने जानने की कोशिश की कि आखिर माजरा क्या है? तो पता चला सुप्रीम कोर्ट के बेबाक जज, जो अपने कड़े फैसलों के लिए जाने जाते थे, ने छह वर्षों से उपयोग में लाए गए अपने बंगले को खाली कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में आज उनका आखिरी दिन था यानी न्यायिक पद पर न्यायिक पद पर लगभग 21 वर्ष और 8 महीने का कार्यकाल का आखिरी दिन. बिना ताम-झाम, बिना किसी फेयरवेल…और बिना किसी देरी और किसी पद के मोह में उन्होंने 6 साल पहले मिले बंगले को खाली कर अपने गांव आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पेद्दा मुत्तेवी जाने का फैसला किया. जस्टिस चेलमेश्वर ने न्यायपालिका में अपने करियर के दौरान कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं और कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने.

कोई पद नहीं चाहिए

अपने न्यायिक सफर में उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में अतिरिक्त जस्टिस के रूप में शुरुआत की. 2007 में वह गुवाहाटी हाईकोर्ट और फिर केरल हाईकोर्ट का मुख्य जस्टिस बने. अक्टूबर 2011 में वे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के रूप में प्रोमोट हुए. रिटायरमेंट से पहले तो जस्टिस चेलमेश्वर ने साफ कर दिया था कि वह किसी सरकारी पद की तलाश में नहीं हैं और अपने गांव लौट जाएंगे. अपने वादे के अनुसार, उन्होंने वैसा ही किया और बंगला को वैसे ही लौटाया, जैसा कि उनको 6 साल पहले दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के गंभीर मुद्दों पर उठा चुके हैं सवाल

उनके कार्यकाल की सबसे चर्चित घटना वह ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी. 12 जनवरी 2018 को उनके आवास पर आयोजित की गई थी. इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जस्टिसों के साथ मिलकर देश की सर्वोच्च अदालत में व्याप्त गंभीर मुद्दों को उजागर किया था. उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखे एक पत्र को सार्वजनिक किया था, जिसमें मामलों के आवंटन (Master of Roster) को लेकर पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा किया गया था.

पारंपरिक विदाई को अस्वीकार कर दिए थे

18 मई को उनका अंतिम कार्यकाल था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मुख्य जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ बेंच में बैठकर मामलों की सुनवाई की थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से दी जाने वाली पारंपरिक विदाई लेने से इनकार कर दिया था. ऐसा उन्होंने गुवाहाटी और केरल हाईकोर्ट में भी किया था. उनके इस फैसले ने फिर से एक चर्चा को जन्म दिया. अपने विदाई पर उन्होंने बार के सदस्यों की सराहना की. उन्होंने सभी लोगों से माफी मांगी. वह दोनों हाथ जोड़कर सुप्रीम कोर्ट से विदाई ली और लोगों से माफी मांगते हुए कहा यदि किसी को आहत किया हो तो क्षमा चाहते हैं.

कई महत्वपूर्ण फैसले

– जस्टिस चेलमेश्वर ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए. उन्होंने इनफॉरमेंशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 66A को असंवैधानिक करार देते हुए अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. यह धारा सोशल मीडिया पर “आपत्तिजनक” समझे गए पोस्ट को लेकर लोगों की गिरफ़्तारी की वजह बन रही थी.

– वह उस तीन-जस्टिसों की पीठ का हिस्सा भी थे जिसने यह कहा कि कोई भी नागरिक केवल आधार न होने की वजह से सरकारी योजनाओं या सब्सिडी से वंचित नहीं किया जा सकता. इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) मामले में एकमात्र असहमति का निर्णय दिया था, जिसमें उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली की अपारदर्शिता पर सवाल उठाए थे.

Deep Raj Deepak

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...

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