दक्षिण सूडान में इस साल बाढ़ ने ऐसा कहर बरपाया है कि देखकर दिल दहल जाए. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, करीब 8.9 लाख लोग इस बाढ़ की चपेट में हैं. ये संख्या तीन हफ्ते पहले के मुकाबले दोगुनी हो गई है. यूएन के संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि दक्षिण सूडान में लगभग 890,000 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जो तीन सप्ताह पहले दर्ज की गई संख्या से दोगुने से भी अधिक है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने एक दैनिक ब्रीफिंग में बताया कि मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय ने बताया है कि भारी बारिश और नील नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण पूरे दक्षिण सूडान में बाढ़ जारी है.
उन्होंने बताया कि प्रभावित लोगों में से अधिकांश जोंगलेई और यूनिटी राज्यों में हैं, और उनमें से लगभग एक तिहाई विस्थापित हो गए हैं और ऊँची जगहों पर शरण ले रहे हैं.
प्रवक्ता ने कहा कि बाढ़ ने घरों, फसलों, स्कूलों, स्वास्थ्य सुविधाओं, सड़कों और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को भारी नुकसान पहुँचाया है, जिससे मानवीय पहुँच और भी जटिल हो गई है.
हक ने कहा, "इन चुनौतियों के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र और उसके मानवीय सहयोगी जीवन रक्षक सहायता प्रदान करना जारी रखे हुए हैं, जिसमें आश्रय, भोजन और पोषण सहायता, नकद सहायता, स्वास्थ्य, जल एवं स्वच्छता सेवाएँ," साथ ही रेत की बोरियाँ और अन्य बाढ़ नियंत्रण सामग्री शामिल हैं.
उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण सूडान के अधिकांश हिस्सों में औसत से अधिक बारिश होने की संभावना है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है.
शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रवक्ता के अनुसार, 13 अक्टूबर तक, दक्षिण सूडान के लिए 2025 की मानवीय आवश्यकताएँ और प्रतिक्रिया योजना, जिसके अंतर्गत 54 लाख लोगों की सहायता के लिए 1.7 अरब डॉलर की मांग की गई है, केवल 30 प्रतिशत ही वित्त पोषित है, जिससे आपातकालीन हस्तक्षेप बढ़ाने, आपूर्ति की पूर्व-व्यवस्था करने और संचालन को बनाए रखने की क्षमता बाधित हो रही है.
संयुक्त राष्ट्र की एक मानवीय एजेंसी ने कहा कि दक्षिण सूडान में भारी बारिश के कारण आई व्यापक बाढ़ में 19 लोगों की मौत हो गई और छह राज्यों के 26 जिलों में अनुमानित 639,225 अन्य लोग प्रभावित हुए.
इसने कहा कि 11 काउंटियों में 144 साँपों के काटने और 3,391 कुपोषण के मामलों की रिपोर्ट के बीच कम से कम 121 स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रभावित हुई हैं.
दक्षिण सूडान नील नदी बेसिन में स्थित होने, निचली स्थलाकृति और भारी वर्षा तथा विक्टोरिया झील में उच्च जल स्तर सहित कई कारकों के कारण बाढ़ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है. हाल के वर्षों में बाढ़ और भी विकराल हो गई है, जिससे लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, कृषि भूमि और पशुधन नष्ट हुए हैं, और खाद्य असुरक्षा और भी बदतर हो गई है.