Last Updated:June 27, 2025, 11:56 IST
SCO Controversy: शंघाई कोआपरेशन आर्गनाइजेश के संयुक्त घोषणा पत्र पर विवाद हो गया है. भारत इसमें पहलगाम आतंकी घटना जोड़ना चाहता था, जो नहीं हुआ तो भारत ने इस पर साइन नहीं किया.

हाइलाइट्स
भारत ने SCO घोषणा पत्र पर साइन नहीं किया.पाकिस्तान और चीन ने पहलगाम घटना पर आपत्ति जताईSCO में सर्वसम्मति से निर्णय लिए जाते हैंSCO यानि शंघाई कोआपरेशन आर्गनाइजेश का संयुक्त घोषणा पत्र विवादों में है. भारत के इस पर साइन करने से मना करने के बाद. इस संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत इसमें पहलगाम आतंकी घटना को जुड़वाना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ लेकिन पाकिस्तान और चीन की मिलीभगत से इसमें जाफराबाद एक्सप्रेस की घटना के निंदा को शामिल किया गया. हम ये जानेंगे कि भारत की कोशिश के बाद भी कैसे पहलगाम की घटना इसमें नहीं जुड़ पाई. इसको बनाने की प्रक्रिया क्या होती है.
SCO घोषणा पत्र क्या है?
हर साल SCO की बैठक के बाद एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया जाता है. इसमें सदस्य देश आपसी सहमति वाले मुद्दों, सामूहिक चिंता, आतंकवाद, सुरक्षा, व्यापार, संपर्क, सांस्कृतिक सहयोग और और जिसपर सभी देश राज़ी हों, उसे शामिल किया जाता है. ये किसी एक देश का संयुक्त बयान नहीं होता.
क्यों नहीं जुड़ा पहलगाम आतंकी हमला?
दरअसल इस घोषणा पत्र में किसी भी चीज को शामिल करने की सबसे बड़ी शर्त सर्वसम्मति होती है. SCO के हर दस्तावेज़ में विशेष रूप से घोषणा पत्र में हर सदस्य देश की सहमति ज़रूरी होती है.
– यदि कोई भी सदस्य (जैसे पाकिस्तान या चीन) आपत्ति कर दे, तो उस घटना का ज़िक्र नहीं होता.
भारत चाहता था कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 9 जून 2025 को हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की जाए लेकिन पाकिस्तान और शायद चीन ने इसके विरोध में आपत्ति जताई होगी.चूंकि SCO निर्णय सर्वसम्मति से लेती है, इसलिए इसे शामिल नहीं किया गया.
SCO घोषणा पत्र को फाइनल रूप कैसे दिया जाता है?
इसकी प्रक्रिया काफ़ी औपचारिक और चरणबद्ध होती है.
मसौदा तैयार करना -सदस्य देशों के विदेश मंत्रालय के अधिकारी, जिसमें आमतौर पर ज्वाइंट सेक्रेट्री होते हैं, वो एक लेवल बैठक करके एक ड्राफ्ट तैयार करते हैं. इसमें सभी पक्ष अपने मुद्दे और सुझाव डालते हैं.
आपसी चर्चा –कई दौर की बातचीत होती है. जो मुद्दे सबको मंज़ूर होते हैं, वे मसौदे में रह जाते हैं. जिन पर किसी देश को आपत्ति होती है, उनपर चर्चा होती है.
सौदेबाज़ी और शब्दों पर सहमति – अक्सर शब्दावली पर लंबी बातचीत होती है. मसलन आतंकवादी घटना या हिंसक घटना – किस शब्द का इस्तेमाल होगा, ये भी सर्वसम्मति से तय होता है.
आखिरी तौर पर सहमति बनाना- फिर इसे विदेश मंत्रियों या प्रधानमंत्री/राष्ट्राध्यक्ष स्तर की बैठक में भेजा जाता है. आख़िरी समिट वाले दिन घोषणा पत्र को अंतिम रूप दिया जाता है.
स्वीकार करना और सभी के दस्तखत – समिट के अंत में सभी सदस्य देश संयुक्त रूप से इसे अपनाते हैं. दस्तावेज़ सार्वजनिक किया जाता है.
क्या SCO में आतंकवाद पर निंदा की जाती है?
हां, लेकिन सामान्य आतंकवाद विरोधी बयान तो होता है, लेकिन किसी देश विशेष की आतंकी घटना का ज़िक्र तभी होता है जब सभी देश सहमत हों. जैसे SCO 2023 समिट में भी अफगानिस्तान आधारित आतंकवाद की निंदा की गई थी लेकिन भारत या पाकिस्तान से जुड़ी घटनाओं पर दोनों देश एक-दूसरे के ज़िक्र को रोक देते हैं.
तो क्या हुआ होगा पहलगाम को लेकर
– पहलगाम हमले का ज़िक्र नहीं हुआ क्योंकि पाकिस्तान या चीन ने आपत्ति की होगी. भारत ने इसपर अलग से विरोध दर्ज कराया होगा. ऐसे मामलों में भारत अक्सर अपनी प्रेस रिलीज़ या विदेश मंत्री के स्टेटमेंट में अपनी बात दर्ज कर देता है. ऐसे बहुपक्षीय मंचों में ये सामान्य कूटनीतिक रणनीति है. ASEAN, BRICS, G20 में भी यही प्रक्रिया होती है.
तो इसमें जफराबाद एक्सप्रेस घटना का जिक्र कैसे आ गया
पाकिस्तान ने SCO बैठक में जफराबाद एक्सप्रेस ट्रेन हादसे का ज़िक्र करने की कोशिश की, जिसमें उन्होंने इसे एक ‘दुर्भाग्यपूर्ण मानवीय दुर्घटना’ के रूप में SCO के डिक्लेरेशन में डलवाया. पाकिस्तान ने इस हादसे को आतंकवाद या राजनीतिक घटना की बजाय इंसानी जान जाने वाली मानवीय त्रासदी के रूप में प्रोजेक्ट किया. ऐसी घटनाओं को आमतौर पर SCO डिक्लेरेशन में संवेदना प्रकट करने वाले पैराग्राफ़ में रखा जाता है, जो कोई विवाद का विषय नहीं बनता. भारत ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई होगी क्योंकि ये आतंकवादी घटना नहीं थी. इसलिए भारत ने कूटनीतिक लिहाज़ से इसे जाने दिया होगा.
भारत की नीति क्या होती है?
भारत SCO में ऐसी घटनाओं पर तभी आपत्ति करता है
– जब कोई आतंकी घटना को लेकर राजनीतिक टिप्पणी होती हो
– या कोई देश कश्मीर का नाम लेकर बयान जोड़ने की कोशिश करे
– या आतंकवाद के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश करे
एससीओ में कितने देश हैं
SCO में कुल नौ सदस्य देश हैं. भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कज़ाख़स्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और ईरान. इसमें अलावा अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया इसके पर्यवेक्षक देश हैं. बेलारूस को 2025 समिट में फुल मेंबर बनाए जाने की प्रक्रिया भी चल रही है. 14 देश एससीओ के डॉयलाग पार्टनर देश हैं. श्रीलंका, नेपाल, तुर्की, कंबोडिया, अज़रबैजान, आर्मेनिया, सऊदी अरब, कतर, मिस्र, बहरीन, मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात, म्यांमार और कुवैत. एससीओ की स्थापना 2001 में की गई. इसका मुख्यालय बीजिंग, चीन में है.
संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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