PM मोदी की अपील पर बच्चों ने बदली कैंटीन, समोसे की छुट्टी, फ्रूट सलाद शामिल

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Last Updated:July 06, 2025, 17:08 IST

PM Modi Sugar Alert Impact: प्रधानमंत्री मोदी की 'मन की बात' से प्रभावित होकर बच्चों ने स्कूल कैंटीन में बड़ा बदलाव कर दिया है. अब खुद बच्चे हेल्दी मेन्यू बना रहे हैं और मीठे से दूरी बना रहे हैं.

PM मोदी की अपील पर बच्चों ने बदली कैंटीन, समोसे की छुट्टी, फ्रूट सलाद शामिल

छात्रा मिष्टी बताती है कि प्रधानमंत्री मोदी की बात सुनकर उनमें शुगर को लेकर जागरूकता आई है. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

PM की बात का असर, बच्चों ने खुद बदला कैंटीन मेन्यू.समोसे की छुट्टी, फल-सलाद की एंट्री: CBSE भी एक्शन में.अब बच्चे खुद कहते हैं- कोल्ड ड्रिंक नहीं, फ्रूट दीजिए अंकल.

नई दिल्ली: “पहले कैंटीन में सिर्फ समोसा और कोल्ड ड्रिंक मिलती थी, अब हम खुद कहते हैं – अंकल, फ्रूट सलाद है क्या?” ये बदलाव किसी ऐड की लाइन नहीं बल्कि देश के कई स्कूलों की सच्ची तस्वीर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ में की गई एक अपील अब बच्चों के लंच बॉक्स और कैंटीन मेन्यू में बड़ा बदलाव ला रही है.

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में बच्चों में बढ़ते मोटापे और शुगर से जुड़ी बीमारियों पर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि “बचपन की मिठास अगर ज्यादा हो जाए, तो आगे चलकर वह सेहत के लिए कड़वी साबित हो सकती है.” इसी संदेश के बाद CBSE ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया कि वे कैंटीन में मिलने वाले खाने का शुगर डेटा सार्वजनिक करें और बच्चों को इस पर जागरूक करें.

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बच्चे बने सेहत के सिपाही
जयपुरिया जैसे स्कूलों में अब बच्चों को खुद कैंटीन का मेन्यू तय करने की जिम्मेदारी दी जा रही है. छात्र-छात्राएं मिलकर तय करते हैं कि किस दिन कैंटीन में क्या मिलेगा और यह भी ध्यान रखते हैं कि उसमें कितनी चीनी है. स्कूल की प्रिंसिपल शालिनी नांबियार का कहना है कि हेल्दी कैंटीन मॉडल की शुरुआत बच्चों की सोच से ही हुई है. अब बच्चे खुद कैंटीन में जाकर कहते हैं कि उन्हें फ्रूट चाहिए, कोल्ड ड्रिंक नहीं.

बच्चों की बातें, जो दिल छू जाएं
छात्रा मिष्टी बताती है कि प्रधानमंत्री मोदी की बात सुनकर उनमें शुगर को लेकर जागरूकता आई है. अब वह मीठा खाने से बचने की कोशिश करती हैं क्योंकि उन्हें समझ में आ गया है कि चीनी सिर्फ दांतों को नहीं बल्कि दिल और दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकती है.

अन्वेषा नाम की छात्रा बताती है कि पहले उनके घर में पैक्ड जूस आता था. लेकिन अब वह अपनी मम्मी से कहती हैं कि ताजे फल लाएं और शेक बनाएं, लेकिन उसमें चीनी न डालें.

एक और स्टूडेंट, रूही, कहती हैं कि पहले मीठा खाना उन्हें बहुत सामान्य लगता था. लेकिन जब प्रधानमंत्री ने इसके नुकसान को लेकर बात की, तभी उन्होंने इस पर सच में ध्यान देना शुरू किया और अब वह खुद भी मीठी चीज़ों की ज़िद नहीं करतीं.

बोर्ड और ब्रेकफास्ट दोनों बदले
अब स्कूलों में जगह-जगह शुगर अलर्ट बोर्ड लगाए गए हैं. इनमें बताया जाता है कि एक छोटी सी कैंडी में कितनी चीनी होती है और इसका शरीर पर क्या असर पड़ सकता है. मॉर्निंग असेंबली में हेल्दी फूड पर भाषण होते हैं. छोटे बच्चों के माता-पिता के लिए खास सूचना पत्र भेजे जाते हैं, जिनमें टिफिन के लिए हेल्दी मेन्यू होता है.

ये सिर्फ एक कैंपेन नहीं, एक बदलाव है
यह पहल अब बच्चों को सिर्फ़ जानकारी नहीं दे रही, बल्कि उन्हें फैसले लेने वाला बना रही है. जब बच्चा खुद कहे कि “मुझे फल खाना है, फिज़ी ड्रिंक नहीं,” तो समझ लीजिए बदलाव असली है.

प्रधानमंत्री की अपील से शुरू हुआ ये ‘मीठा बदलाव’ अब बच्चों की आदतों और सोच दोनों को बेहतर बना रहा है. और यही उम्मीद है – आज की छोटी-सी कैंटीन में हुई सुधार कल के बड़े भारत की सेहत बनाएगा.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

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