Gobar Products: कर्ण सिंह ने अपने उद्योग को अभी तक जिस भी मुकाम पर पहुंचाया है वो अपने दम पर पहुंचाया है. अभी तक कर्ण सिंह ने किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं ली है. हालांकि जिला प्रशासन सरस मेलों में अब मंच मुहैया करवाने लगा है. (Report-Virender Bhardwaj)
News18 Himachal PradeshLast Updated :March 18, 2024, 12:40 ISTEdited byVinod Kumar Katwal
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मंडी. हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले के कोटली उपमंडल के तहत आने वाले चलोह गांव निवासी कर्ण सिंह अपनी संस्कृति को अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ने वाले कर्णधार का काम कर रहे हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उन्होंने प्रदेश का पहला ऐसा लघु उद्योग चला रखा है. यहां पर सिर्फ और सिर्फ गाय के गोबर से ही सभी प्रकार के उत्पाद बनाए जाते हैं. इस लघु उद्योग का नाम श्री कामधेनू पंचगव्य उद्योग रखा गया है.
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इन दिनों मंडी में जारी सरस मेले में कर्ण सिंह ने अपने इन उत्पादों को प्रदर्शनी एवं बिक्री के लिए रखा है, जो लोगों के लिए आकषर्ण का केंद्र बने हुए हैं. कर्ण सिंह ने बताया कि उसने वर्ष 2020 में गाय के गोबर से उत्पाद बनाने का कार्य शुरू किया और 6 महीनों की जद्दोजहद के बाद एक दीपक बना पाया. लेकिन उसके बाद हार नहीं मानी और स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को अपने साथ जोड़कर उन्हें भी इस काम को और आगे बढ़ाया.
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कर्ण सिंह ग्रामीणों से 5 रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदते हैं और उसके 25 तरह के उत्पाद बनाते हैं. इन उत्पादों में दीपक, चप्पल, नेम प्लेट, लोगो, मोमेंटो, भगवान की मूर्तियां, आकृतियां, ईंट, टाईल्स और गमले आदि शामिल हैं.
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कर्ण सिंह ने बताया कि स्थानीय बाजारों में उनके उत्पादों की मांग काफी कम है, लेकिन बाहरी राज्यों में इन उत्पादों को लोग बहुत ज्यादा पसंद करते हैं. वे ऑनलाइन भी इन उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं और लोग वहां से इन्हें जमकर खरीद भी रहे हैं.
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कर्ण सिंह के अनुसार उन्हें इस कारोबार में मुनाफा हो रहा है. हालांकि, उतना मुनाफा तो नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि लागत से अधिक वह कमा पा रहे हैं. भविष्य में जैसे-जैसे इन उत्पादों की डिमांड बढ़ेगी तो उससे आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी.
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कर्ण सिंह ने मंडी जिला प्रशासन और ग्रामीण विकास विभाग का आभार जताया जिनके माध्यम से वे सरस जैसे मेलों में देश के विभिन्न कोनों में जाकर अपने उत्पादों को प्रदर्शित और बेच पा रहे हैं. कर्ण सिंह ने लोगों से अपील की है कि वे प्लास्टिक और कैमिकल युक्त हानिकारक उत्पादों का प्रयोग न करते हुए इन उत्पादों का इस्तेमाल करें, जिससे गौमाता का संरक्षण भी होगा और वातावरण भी शुद्ध रहेगा.
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कर्ण सिंह ने अपने उद्योग को अभी तक जिस भी मुकाम पर पहुंचाया है वो अपने दम पर पहुंचाया है. अभी तक कर्ण सिंह ने किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं ली है. हालांकि जिला प्रशासन सरस मेलों में अब मंच मुहैया करवाने लगा है