MiG-21: IAF के 8 पायलट, जो पहली बार मिग-21 पर हुए सवार, यहां मिली थी ट्रेनिंग

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Last Updated:September 26, 2025, 13:29 IST

Retirement of MiG 21 of Indian Air Force: अप्रैल 1963 में भारतीय वायुसेना ने मिग-21 का पहला स्क्वाड्रन शुरू किया. इसके बाद आठ सीनियर पायलट्स को स्पेशल ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया. इनमें कौन-कौन थे और कहां मिली ट्रेनिंग? जानने के लिए पढ़ें आगे...

 IAF के 8 पायलट, जो पहली बार मिग-21 पर हुए सवार, यहां मिली थी ट्रेनिंग

Retirement of MiG 21 of Indian Air Force: 1962 का भारत-चीन युद्ध खत्म हुआ तो लगा जैसे आसमान में तनाव की काली छायाएं छटना शुरू हो गई हैं. लेकिन हकीकत इससे थोड़ा अलग थी् दरअसल, पाकिस्तान को उस वक्त गलतफहमी हो चली थी कि युद्ध के बाद भारत कमजोर पड़ गया है. ऊपर से अमेरिका ने उसे F-104 स्टारफाइटर जेट्स दे दिए, जिन्‍हें उस समय आसमान के शहंशाह बताया जा रहा था. इन जेट्स के दम पर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ की साजिश रचनी शुरू कर दी. लेकिन भारत चुप बैठने वालों में से कहां था?

खुफिया जानकारी पहले ही मिल चुकी थी और भारत ने अपने आसमान को और मजबूत करने का फैसला कर लिया. इसी दौरान, भारत ने एक बड़ा दांव खेला. अमेरिका के F-104 स्टारफाइटर और फ्रांस के मिराज जेट्स को ठुकराकर सोवियत संघ के मिग-21 सुपरसोनिक फाइटर जेट को चुना. ये जेट उस समय का सबसे घातक हथियार था और भारत ने इसे अपनी वायुसेना का ‘सिकंदर’ बनाने की ठान ली. मिग-21 की डील फाइनल होते ही भारतीय वायुसेना (IAF) ने अपने आठ टॉप पायलट्स को इस सुपरसोनिक जेट की ट्रेनिंग के लिए रूस भेजने का प्लान बनाया. विंग कमांडर दिलबाग सिंह की अगुवाई में ये मिशन शुरू हुआ.

भारत के ‘सिकंदर’ का पहला कदम और रूस में ट्रेनिंग
भारतीय वायुसेना के जिन आठ पायलट्स का नाम इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया, उनमें विंग कमांडर दिलबाग सिंह, स्क्वाड्रन लीडर एमएसडी वोलेन, स्क्वाड्रन लीडर एस के मेहरा, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एके मुखर्जी, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एचएस गिल, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एके सेन, फ्लाइट लेफ्टिनेंट डेंजिल कीलर और फ्लाइट लेफ्टिनेंट बी डी जयल का नाम शामिल था. हालांकि, मेडिकल कारणों से डेंजिल कीलर ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाए. इन पायलट्स की ट्रेनिंग का सफर किर्गिस्तान के फ्रुंजे से शुरू हुआ और कजाकिस्तान के लुंगोवाया में जाकर खत्म हुआ.

रूस में इन पायलट्स को ऐसा प्रशिक्षण दिया गया, जैसे वो युद्ध के मैदान में दुश्मन का काल बनने जा रहे हों. मिग-21 भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था, जो मैक-2 की रफ्तार से उड़ सकता था. पायलट्स को इसकी हाई-स्पीड फ्लाइंग टेक्निक्स सिखाई गईं. इसके अलावा, जेट के इंजन, K-13A मिसाइल सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बारीकियां समझाई गईं. मिग-21 को कोरियाई युद्ध के बाद शॉर्ट-रेंज इंटरसेप्टर और लाइट फाइटर के तौर पर डिजाइन किया गया था. इसलिए, पायलट्स को एयर वॉर और ग्राउंड अटैक की रणनीतियां भी सिखाई गईं. ये ट्रेनिंग इतनी सख्त थी कि पायलट्स दिन-रात बस इस जेट को समझने और उड़ाने में जुटे रहे.

चंडीगढ़ में बना मिग-21 का पहला स्क्वाड्रन
ट्रेनिंग पूरी होने के बाद विंग कमांडर दिलबाग सिंह की लीडरशिप में भारत में मिग-21 का पहला स्क्वाड्रन तैयार किया गया. ये स्क्वाड्रन चंडीगढ़ में बनाया गया, जो उस समय रणनीतिक तौर पर बेहद अहम था. लेकिन मिग-21 को भारत लाना भी कोई आसान काम नहीं था. सोवियत संघ से ये जेट्स अलग-अलग हिस्सों में भारत भेजे गए. सबसे पहले इसके पार्ट्स बॉम्बे इक्विपमेंट डिपो पहुंचे, फिर आगरा होते हुए चंडीगढ़ लाए गए. सोवियत इंजीनियर्स की एक टीम भी भारत आई, जिन्होंने इन जेट्स को असेंबल किया और टेस्ट फ्लाइट्स कीं.

अप्रैल 1963 में छह मिग-21 जेट्स को आधिकारिक तौर पर स्क्वाड्रन में शामिल किया गया. इसके साथ ही भारत की वायुसेना ने एक नया इतिहास रच दिया. ये जेट्स सिर्फ मशीनें नहीं थीं, बल्कि भारत के हौसले और ताकत का प्रतीक बन गए.

‘सिकंदर’ की ताकत ने बढ़ाया भारत का हौसला
मिग-21 की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये जेट उस समय के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट्स में से एक था. इसकी स्पीड, मिसाइल सिस्टम और मैन्यूवरेबिलिटी ने इसे युद्ध के मैदान में एक खतरनाक हथियार बना दिया. भारत के इन आठ पायलट्स ने न सिर्फ इसे उड़ाना सीखा, बल्कि इसे दुश्मन के लिए काल बनाने का हुनर भी हासिल किया.

पाकिस्तान भले ही अपने F-104 स्टारफाइटर्स के दम पर ऑपरेशन जिब्राल्टर की साजिश रच रहा था, लेकिन भारत का ‘सिकंदर’ तैयार था. मिग-21 ने न सिर्फ 1965 और 1971 के युद्धों में अपनी ताकत दिखाई, बल्कि दशकों तक भारतीय वायुसेना की रीढ़ बना रहा. ये कहानी न सिर्फ मिग-21 की है, बल्कि उन पायलट्स की हिम्मत और जज्बे की भी है, जिन्होंने भारत के आसमान को और मजबूत किया.

Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें

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First Published :

September 26, 2025, 13:29 IST

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