Last Updated:December 18, 2025, 08:14 IST
सीजेआई सूर्यकांत ने जूडिशियरी में बढ़ते भ्रष्टाचार पर चिंता जताई है.CJI Surya Kant News: सुप्रीम कोर्ट ने जूडिशियरी में भ्रष्टाचार को लेकर सार्वजनिक तौर पर एक बेबाक स्वीकारोक्ति की है. उन्होंने कहा कि रिटायर होने से पहले जज ताबड़तोड़ फैसले देते हैं. यह एक बढ़ती हुए प्रवृत्ति है. चीफ जस्टिस एस सूर्याकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को यह टिप्पणी की. पीठ में सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जोयमल्या बागची शामिल थे. मामले की सुनवाई मध्य प्रदेश के एक मुख्य डिस्ट्रिक्ट जज की याचिका पर हो रही थी. डिस्ट्रिक जज को रिटायर होने से महज 10 दिन पहले निलंबित कर दिया गया था. आरोप है कि निलंबन उनके द्वारा पारित दो न्यायिक आदेशों के कारण हुआ. सीजेआई की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यानी डिस्ट्रिक जज ने रिटायरमेंट से ठीक पहले सिक्सर मारना शुरू कर दिया. यह एक दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति है. मैं इस को और विस्तार नहीं देना चाहता.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विपिन सांघी ने कहा कि डिस्ट्रिक जज का करियर शानदार रहा है और उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में बहुत अच्छी रेटिंग मिली है. वे 30 नवंबर को रिटायर होने वाले थे, लेकिन 19 नवंबर को उनको निलंबित कर दिया गया. सांघी ने सवाल उठाया कि जूडिशियल आदेशों के लिए किसी अधिकारी को कैसे निलंबित किया जा सकता है? अगर फैसला या आदेश गलत है तो उसे हाईकोर्ट में अपील करके सुधारा जा सकता है.
इस सीजेआई की पीठ ने स्पष्ट किया कि गलत आदेश पारित करने के लिए जूडिशियल अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती. उसे इसके लिए निलंबित नहीं किया जा सकता. लेकिन अगर आदेश स्पष्ट रूप से बेईमानी से भरे हों तो क्या किया जाए? पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायिक आदेशों की गलती के लिए निलंबन उचित नहीं है.
एक साल बढ़ की रिटायरमेंट की उम्र
डिस्ट्रिक जज मूल रूप से 30 नवंबर को रिटायर होने वाले थे. सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि राज्य कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु 62 वर्ष करने के फैसले के कारण उनके रिटायरमेंट को एक साल के लिए टाल दिया जाए. अब वे 30 नवंबर 2026 को रिटायर होंगे. सीजेआई ने कहा कि जब उन्होंने वे दो आदेश पारित किए, तब उन्हें नहीं पता था कि उनकी रिटायरमेंट आयु एक साल बढ़ा दी गई है. रिटायरमेंट से ठीक पहले इतने सारे आदेश पारित करने की एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति है.
पीठ ने सांघी से पूछा कि याचिकाकर्ता ने निलंबन को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया. सांघी ने जवाब दिया कि चूंकि यह फुल कोर्ट का फैसला था, इसलिए अधिकारी को लगा कि निष्पक्ष सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना बेहतर होगा. पीठ ने कहा कि बहुत से मामले हैं जहां हाईकोर्ट ने फुल कोर्ट के फैसलों को न्यायिक पक्ष पर रद्द कर दिया है. कोर्ट ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि याचिकाकर्ता ने निलंबन के आधार जानने के लिए आरटीआई आवेदन दिए. पीठ ने कहा कि वे इस संबंध में एक प्रतिवेदन दे सकते थे. एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी से आरटीआई का सहारा लेने की उम्मीद नहीं की जाती. हमें याचिका सुनवाई योग्य बनाने का कोई आधार नहीं दिखता.
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न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
First Published :
December 18, 2025, 08:14 IST

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